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Rohtang के बजाय 16500 फीट ऊंचा शिंकुला दर्रा बना पर्यटकों की पसंद, इन दो वजह से बढ़े यहां सैलानी

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Rohtang के बजाय 16500 फीट ऊंचा शिंकुला दर्रा बना पर्यटकों की पसंद, इन दो वजह से बढ़े यहां सैलानी।रोहतांग के बजाय शिंकुला दर्रा पर्यटकों की पहली पसंद बन गया है। रोहतांग दर्रे में जाने के लिए 550 रुपये खर्च कर परमिट लेना पड़ता है, जबकि शिंकुला दर्रे में पर्यटक बिना परमिट जा सकते हैं।यह दर्रा साहसिक खेलों, छुट्टियां मनाने के लिए बेहतर स्थान है। अटल टनल बनने के बाद 16500 फीट ऊंचे शिंकुला दर्रे तक पहुंचना सुगम हुआ है। भारी हिमपात होने से दिसंबर से अप्रैल तक यह दर्रा बंद रहता है। अप्रैल से नवंबर तक इस दर्रे में बर्फ का आनंद उठा सकते हैं। शिंकुला दर्रे को पार कर जांस्कर घाटी शुरू हो जाती है। जांस्कर से होते हुए कारगिल तक घूम सकते हैं।

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कैसे पहुंचें शिंकुला दर्रे में

शिंकुला दर्रा मनाली से 140 किलोमीटर दूर है। बीआरओ ने डबललेन सड़क चकाचक कर दी है।वाहन में आराम से शिंकुला दर्रे में जा सकते हैं। हिमाचल पर्यटन विकास निगम की बस भी मनाली से शिंकुला दर्रे के लिए जाती है। 1000 रुपये प्रति व्यक्ति किराया देकर शिंकुला दर्रे में घूम कर आ सकते हैं।

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रास्ते में रहने की भी है व्यवस्था

मनाली से सुबह शिंकुला दर्रे में जाकर शाम को लौट सकते हैं। सिस्सू, गोंदला, केलंग, गेमुर व जिस्पा में ठहर भी सकते हैं। यहां होम सटे में रहने की उचित व्यवस्था है। यहां रहकर ग्रामीण संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलेगा।

इस तरह विकसित हुआ शिंकुला दर्रा

शिंकुला दर्रे को सड़क से जोड़ने में जांस्कर निवासी बुजुर्ग लामा त्सुलटिम छोंजोर का योगदान सराहनीय है। 28 जून 2014 को शिंकुला दर्रे पर सड़क का निर्माण शुरू किया था। बीआरओ ने दारचा से आगे 27 किलोमीटर सड़क बनाई थी और लामा ने इससे आगे सड़क बनाना शुरू की थी। उन्होंने जांस्कर के पहले गांव करगये तक 13 किलोमीटर जीप योग्य सड़क बनाई है। लद्दाख के जनजातीय क्षेत्र के इस बुजुर्ग को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है।

http://dhunt.in/DvOpW?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “जागरण”

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