0 0 lang="en-US"> Himachal Election: पिछली बार के मुकाबले कम मतदान का मतलब, सरकार रहेगी या जाएगी? - ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क
Site icon ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क

Himachal Election: पिछली बार के मुकाबले कम मतदान का मतलब, सरकार रहेगी या जाएगी?

Spread the Message
Read Time:9 Minute, 35 Second

Himachal Election: पिछली बार के मुकाबले कम मतदान का मतलब, सरकार रहेगी या जाएगी?।विधानसभा चुनाव (Himachal Election 2022) में 68 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ और उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई. हिमाचल के इस चुनाव में लोकतंत्र की खूबसूरती दिखाती कई तस्वीरें भी सामने आईं और 70 फीसदी से ज्यादा मतदान ने बताया कि पहाड़ हो या मैदान जनता अपने अधिकार के लिए हर जगह तैयार है.

हिमाचल में अब मतदान हो गया है और 8 दिसंबर को नतीजे आने हैं. ऐसे में तब तक लोग यही हिसाब लगाएंगे कि कौन जीत रहा है और कांग्रेस की सरकार बन रही है, बीजेपी सत्ता में वापस आ रही है या आप कुछ कमाल करने वाली है. बर्फ की चादर से ढके पहाड़ों के बीच महीने भर चाय की दुकनों पर यही चकल्लस होने वाल है. ऐसे में आपको भी ये जानने की इच्छा होगी कि भाई जीत कौन रहा है? तो चलिए हिमाचल के चुनावी इतिहास में झांकते हैं और इस बार के मतदान को समझते हुए देखते हैं कि आने वाले वक्त में क्या हो सकता है और कौन जीत सकता है.

हिमाचल में वोटिंग ट्रेंड क्या कहता है?

1990 में पहली बार बीजेपी ने हिमाचल में सरकार बनाई थी. तब से लेकर अब तक यहां हर बार सरकार बदलती रही है. इस बार बीजेपी सत्ता में वापसी का दावा कर रही है. क्या ऐसा होगा, इसका जवाब हम पिछले कुछ चुनावों के मत प्रतिशत और बाद में बनी सरकारों से लगा सकते हैं. उदाहरण के लिए हम 1990 से अब तक के मत प्रतिशत और सीटों के साथ पार्टियों को मिले वोट को एनलाइज करते हैं.

1990 में हिमाचल विधानसभा चुनाव में 67.76 फीसदी मतदान हुआ था और बीजेपी ने 41.78 प्रतिशत वोट लेकर सरकार बनाई थी. उन्हें 46 सीटें मिली थी जबकि कांग्रेस को 9 सीटों से संतोष करना पड़ा था. और उन्हें 36.54 प्रतिशत वोट मिले थे. बीजेपी ने शांता कुमार को मुख्यमंत्री बनाया था. दोनों पार्टियों के बीच करीब 5 फीसदी वोट प्रतिशत का अंतर था.

1992 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा और 1993 में फिर से चुनाव हुए, जिसमें 71.50 फीसदी मतदान हुआ. इस बार कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई और उसे 48.82 फीसदी वोट मिले और 52 सीटों पर उसने कब्जा किया. बीजेपी को इस चुनाव में मात्र 8 सीटें मिली और उसे 36.13 फीसदी वोट मिले. दोनों के बीच मत प्रतिशत का अंतर करीब 8 फीसदी रहा.

1998 विधानसभा चुनाव बेहद रोचक थे. इस बार सूबे में कुल 71.23 फीसदी मतदान हुआ. बीजेपी को 39.02 प्रतिशत वोट मिले और 31 सीटों पर जीत हासिल हुई. कांग्रेस को 43.50 प्रतिशत वोट मिले और उसे भी 31 सीटें मिली. हिमाचल में इस साल एक नई पार्टी चुनाव लड़ी थी जिसका नाम था हिमाचल विकास कांग्रेस, उसे 5 सीटें मिली थी और 9.62 फीसदी वोट. इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच करीब 4 फीसदी वोटों का अंतर था लेकिन सीटें दोनों को बराबर मिली थी. और सरकार प्रेम कुमार धूमल की कयादत में बीजेपी ने बनाई थी.

2003 के विधानसभा चुनाव में कुल 73.51 फीसदी मतादन हुआ था. जिसमें कांग्रेस को 41 फीसदी वोट और 43 सीटें मिली. बीजेपी को 35.38 फीसदी वोट और 16 सीटें हासिल हुईं. दोनों के बीच करीब 6 फीसदी वोटों का अंतर रहा. और सरकार कांग्रेस ने बनाई. वीरभद्र सिंह सीएम बने.

2007 के विधानसभा चुनाव में 71.6 फीसदी मतदान हुआ. बीजेपी को 43.8 फीसदी वोट और 41 सीटें मिली. जबकि कांग्रेस को 38.9 प्रतिशत वोट और 23 सीटें हासिल हुईं. दोनों पार्टियों के बीच करीब 5 फीसदी वोट का अंतर रहा. जबकि बीजेपी ने सरकार बनी और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने.

2012 में 73.51 फीसदी मतदान हुआ था. इस चुनाव में कांग्रेस को 42.81 फीसदी वोट मिले और 36 सीटें. जबकि बीजेपी को 38.47 फीसदी वोट मिले और 26 सीटें. दोनों पार्टियों के बीच करीब चार फीसदी वोटों का अंतर रहा और कांग्रेस ने सरकार बनाई. सीएम बने वीरभद्र सिंह.

2017 में 75.57 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें बीजेपी को 48.8 प्रतिशत वोट मिले थे और 44 सीटें मिली थीं. जबकि कांग्रेस को 41.7 फीसदी वोट मिले और 21 सीटें. दोनों पार्टियों के बीच करीब 7 फीसदी वोट का अंतर रहा और बीजेपी ने सरकार बनाई. सीएम बने जयराम ठाकुर.

इस बार यानी 2022 में शाम को बजे तक करीब 66 फीसदी मतदान हुआ था. जो इलेक्शन कमीशन के मुताबिक 73 फीसदी तक जा सकता है. लेकिन सवाल ये है कि क्या इस बार सरकार बदलेगी या 32 साल का रिकॉर्ड टूटेगा और बीजेपी वापसी करेगी.

क्योंकि हिमाचल में मत प्रतिशत कम हुआ हो या ज्यादा सरकार हर बार बदलती रही है. ऐसे में वोट प्रतिशत से कोई भी अंदाजा लगाना मुश्किल है.

1990 से पहले भी बदली सरकारें

ऐसा नहीं है कि 1990 में बीजेपी के आने से पहले हिमाचल में सरकार नहीं बदली. हिमाचल की मिट्टी ही कुछ ऐसी है. यहां 1967 में जनसंघ ने पहली बार चुनाव लड़ा और 7 सीटें हासिल की. दूसरे चुनाव में भी उसे पांच ही सीटें मिली. लेकिन 1977 में जनता पार्टी बनी और उसने 53 सीटों के साथ हिमाचल में सरकार बना ली. फिर 1982 में बीजेपी पहली बार चुनाव लड़ी और उसने भी 29 सीटें जीत ली, हालांकि कांग्रेस ने 31 सीटें जीतकर सरकार बना ली. तो 1990 से पहले भी हिमाचल के लोगों ने बहुत दिन तक किसी को टिकने नहीं दिया.

क्या इस बार बदलेगा इतिहास?

कड़ाकेदार सर्दी की शुरुआत से पहले हिमाचल की पहाड़ियों में गरमाई सियासत के बीच एक बड़ा सवाल घूम रहा है कि क्या इस बार इतिहास बदलने जा रहा है. क्योंकि नरेंद्र मोदी की कयादत में बीजेपी ने ये कई जगह करके दिखाया है. लेकिन हिमाचल में रोजगार जैसे मुद्दे चुनाव में काफी हावी दिखे हैं तो अभी कह पाना आसान नहीं है कि इतिहास बदलेगा या नहीं.

हिमाचल चुनाव की अनोखी तस्वीर

दुनिया के सबसे ऊंचे पोलिंग बूथ पर 100 फीसदी मतदान हुआ, वहां कुल 52 वोट थे और सभी ने वोट डाले. ये पोलिंग बूथ इतना ऊपर था कि पोलिंग टीम वहां तक हेलिकॉप्टर से पहुंची थी.

वीरभद्र सबसे ज्यादा वक्त तक सीएम रहे

हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा कांग्रेस का ही राज रहा है. इसमें सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड वीरभद्र सिंह के नाम पर है. वीरभद्र सिंह 21 साल से ज्यादा समय तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. उन्हें पांच बार हिमाचल प्रदेश के मुखिया बनने का मौका मिला. इसके पहले कांग्रेस के यशवंत सिंह परमार 18 साल से अधिक समय तक हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे. इनके अलवा ठाकुर राम लाल तीन बार, शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल ने दो-दो बार राज्य की कमान संभाली. इसके अलावा दो बार राज्य में राष्ट्रपति शासन भी लगा.

http://dhunt.in/Fes60?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “क्विंट हिंदी”

Happy
0 0 %
Sad
0 0 %
Excited
0 0 %
Sleepy
0 0 %
Angry
0 0 %
Surprise
0 0 %
Exit mobile version