0 0 lang="en-US"> ‘पलोमा’ से ‘पैसिफिक्शन’ तक: पुर्तगाली फिल्म निर्माण की बारीकियों का उत्सव - ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क
Site icon ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क

‘पलोमा’ से ‘पैसिफिक्शन’ तक: पुर्तगाली फिल्म निर्माण की बारीकियों का उत्सव

Spread the Message
Read Time:5 Minute, 30 Second

गर्मी के मौसम के एक गर्म दिन में पालोमा ने अपनी सबसे प्यारी कल्पना को साकार करने का फैसला लिया: अपने प्रेमी ज़े के साथ चर्च में एक पारंपरिक शादी। वह पपीते के बागान में एक किसान के रूप में कड़ी मेहनत करती है और एक समर्पित माँ है। लंबे समय से संजो कर रखे गए इस सपने को पूरा करने के लिए वह पैसे बचा रही है। लेकिन, स्थानीय पादरी ने उसकी शादी करवाने से इंकार कर दिया और इस प्रकार उसकी कल्पना को वास्तविकता का सामना करना पड़ता है। इस ट्रांसजेंडर महिला को दुर्व्यवहार, धोखा, कट्टरता और अन्याय का दुःख सहना पड़ता है, फिर भी उसका विश्वास और संकल्प विचलित नहीं होता है। पुर्तगाल की समृद्ध भूमि से पालोमा फिल्म का आगमन 53वें आईएफएफआई में हुआ है, और यह आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक श्रेणी में प्रतिस्पर्धा कर रही है।

 

मार्सेलो गोम्स द्वारा निर्देशित फिल्म पलोमा (2022) की तस्वीर

 

53वें आईएफएफआई में प्रतिनिधि, पुर्तगाली मूल की अन्य फिल्मों का भी आनंद उठा सकते हैं, जिनमें मार्को मार्टिन्स द्वारा निर्देशित ग्रेट यारमाउथ (2022) और अल्बर्ट सेरा द्वारा निर्देशित पैसिफिक्शन (2022) शामिल हैं।

पुर्तगाली सिनेमा का इतिहास 1896 से शुरू होता है और कई प्रसिद्ध टोटेमिक नाम इस सिनेमा से जुड़े रहे हैं। सभी फिल्म-प्रेमी पुर्तगाली सिनेमा को पसंद करते हैं। लुमिएरे बंधुओं के इतिहास रचने के छह महीने बाद, 18 जून, 1896 को, पुर्तगाल के लिस्बन सिनेमा में रियल कोलिसेउ दा रुआ दा पाल्मा nº 288 में पुर्तगाली सिनेमा का जन्म हुआ। पहली बोलती पुर्तगाली फिल्म, “ए सीवेरा” 1931 में बनाई गई थी। शीघ्र ही पुर्तगाली सिनेमा अपने स्वर्ण युग में प्रवेश कर गया, जो 1933 में “ए कैनको डी लिस्बोआ” के साथ शुरू हुआ और अगले 20 वर्षों तक ओ पैटियो दास कैंटिगास (1942) और ए मेनिना दा रेडियो (1944) जैसी फिल्मों के साथ जारी रहा। पुर्तगाली सिनेमा की गतिशीलता ऐसी थी कि मैनोएल डी ओलिवेरा की पहली फिल्म, अनिकी-बोबो (1942) में एक प्रकार के यथार्थवादी सौंदर्यबोध का चित्रण था, जो प्रसिद्ध इतालवी नवयथार्थवाद सिनेमा से एक साल पहले ही आ चुकी थी।

53वें आईएफएफआई में पुर्तगाली फिल्म निर्माण की इस सम्मानित विरासत की एक झलक देखें और पालोमा, यारमाउथ और पैसिफिक्शन के माध्यम से पुर्तगाल द्वारा चित्रित कई कहानियों का अनुभव प्राप्त करें।

फिल्म ग्रेट यारमाउथ: प्रोविजनल फिगर्स की तस्वीर

 

फिल्म पैसिफिक्शन की तस्वीर

 

आईएफएफआई के बारे में

वर्ष 1952 में शुरू किया गया भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) एशिया के सबसे प्रमुख फिल्म महोत्सवों में से एक है। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के आयोजन का मुख्‍य उद्देश्‍य फिल्मों, उनमें बताई गई कहानियों और उन्‍हें बनाने वाली हस्तियों को सराहना है। इस तरह से हमारा उद्देश्‍य फिल्मों की प्रबुद्ध सराहना और प्रबल लगाव को प्रोत्‍साहित करना एवं दूर-दूर तक प्रचार-प्रसार करना; लोगों के बीच आपसी लगाव, समझ और भाईचारे के सेतु बनाना; और उन्हें व्यक्तिगत एवं सामूहिक उत्कृष्टता के नए शिखर पर पहुंचने के लिए प्रेरित करना है। यह महोत्सव हर साल सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एंटरटेनमेंट सोसायटी ऑफ गोवा, गोवा सरकार, मेजबान राज्य के सहयोग से आयोजित किया जाता है। आईएफएफआई के सभी प्रासंगिक अपडेट इस महोत्सव की वेबसाइट www.iffigoa.org पर, पीआईबी की वेबसाइट pib.gov.in पर; ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर आईएफएफआई के सोशल मीडिया अकाउंट पर; और पीआईबी गोवा के सोशल मीडिया हैंडल पर भी देखे जा सकते हैं। देखते रहिए, आइए हम सभी सिनेमाई उत्सव का लुत्‍फ निरंतर उठाते रहें… और इसकी खुशियां भी सभी के साथ बांटते रहें।

 

Happy
0 0 %
Sad
0 0 %
Excited
0 0 %
Sleepy
0 0 %
Angry
0 0 %
Surprise
0 0 %
Exit mobile version