मिशन अमृत सरोवर के शुभारंभ के 6 महीने के भीतर 25,000 से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण पूरा कर लिया गया है। 15 अगस्त, 2023 तक 50,000 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। 17 नवंबर, 2022 तक अमृत सरोवरों के निर्माण के लिए लगभग 90,531 स्थलों की पहचान की गई है, जिनमें से 52,245 स्थलों पर काम शुरू कर दिया गया है। यह संख्या अमृत सरोवर के रूप में वर्षा जल संरक्षण के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है। मिशन अमृत सरोवर में होने वाली सभी गतिविधियों को पकड़ने के लिए एक अमृत सरोवर पोर्टल बनाया गया है, जिसका लिंक https://water.ncog.gov.in/AmritSarovar/login. है।
जल संरक्षण एवं जल संचय के उद्देश्य से और देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट दूर करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वाहन पर आजादी के 75वें साल में, आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने के संकल्प के साथ मिशन अमृत सरोवर दिनांक 24 अप्रैल 2022 को शुरु किया गया।
मिशन अमृत सरोवर एक सम्पूर्ण सरकार के दृष्टिकोण (whole of government approach) पर आधारित मिशन है, जिसमें भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ जल शक्ति मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा तकनीकी सहयोग के लिए भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG-N), मिलकर काम कर रहे हैं।
‘जनभागीदारी’ मिशन अमृत सरोवर के केन्द्र में स्थित है। इसलिये इसमें सभी स्तरों पर लोगों की भागीदारी को शामिल किया गया है। मिशन की शुरुआत से ही अमृत सरोवरों के निर्माण की आधारशिला का नेतृत्व स्वतंत्रता सेनानी एवं इनके परिवारजन, शहीदों के परिवारजन, पद्म पुरस्कार से सम्मानित व्यक्ति अथवा ग्राम पंचायत के सबसे वृद्ध व्यक्ति के हाथों में दिया गया है। अमृत सरोवर के निकट पर्यावरण को संजीवनी देने वाले दीर्घायु और छायादार पेड़ जैसे नीम, पीपल, बरगद इत्यादि का भी रोपण जनभागीदारी के जरिये किया जा रहा है। इसी के मद्देनजर अमृत सरोवरों पर इस साल 15 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता दिवस के पावन पर्व पर आजादी का जश्न मनाया गया और तिरंगे लहराये गये। इन अमृत सरोवरों पर इनके द्वारा ग्रामवासियों एवं जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में ध्वजारोहण किया गया और कार्यक्रम आयोजित किए गए।
बहुउद्देश्यीय स्वरुप में बन रहे अमृत सरोवरों के निर्माण से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। ग्रामीण, सरोवर में मछली पालन, मखाने की खेती एवं पर्याप्त सिंचाई व्यवस्था होने से खाद्यान का अधिक उत्पादन करके खुद को समृद्ध बना सकेंगे।