0 0 lang="en-US"> लोकतंत्र केवल चुनाव तंत्र बनकर रह गया, शांता कुमार ने बुनियादी समस्‍याओं के समाधान के लिए दिया यह सुझाव - ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क
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लोकतंत्र केवल चुनाव तंत्र बनकर रह गया, शांता कुमार ने बुनियादी समस्‍याओं के समाधान के लिए दिया यह सुझाव

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लोकतंत्र केवल चुनाव तंत्र बनकर रह गया, शांता कुमार ने बुनियादी समस्‍याओं के समाधान के लिए दिया यह सुझाव।हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने कहा भारत में कुल छोटे-बड़े 34 प्रदेश हैं। हर साल एक या कुछ प्रदेशों में चुनाव होते हैं।

उसके लिए पूरे देश की सभी पार्टियां सभी नेता पूरी तरह से उलझ जाते हैं। हर पार्टी के देशभर के नेता उन प्रदेशों में पूरा समय लगाते हैं। करोड़ों अरबों रुपये खर्च होते हैं। भारत में पूरे पांच साल सरकार व पार्टियां चुनाव के मूड में ही रहती हैं। देश की बुनियादी समस्याओं पर सोचने और कुछ करने का समय बहुत कम मिलता है। उन्होंने कहा कि इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव थे। देश की राजनीति पूरी तरह से उलझी रही। छोटे से हिमाचल प्रदेश में ही कुल मिला कर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च हुए।

लोकतंत्र केवल चुनाव तंत्र बन कर रह गया, दो साल में 17 चुनाव

शांता कुमार ने कहा अगले वर्ष 2023 में दस प्रदेशों के चुनाव हैं और 2024 में सात प्रदेशों तथा लोक सभा के चुनाव हैं। हिमाचल और गुजरात से निवृत होकर देश की पूरी राजनीति अगले दो वर्ष में 17 विधानसभा और लोक सभा के चुनाव के लिए पूरी तरह से उलझ जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र केवल चुनाव तंत्र बन कर रह गया है। विश्व के दूसरे देशों में ऐसा नहीं होता। संविधान के अनुसार चुनाव पांच साल में एक बार होने चाहिएं।

1967 तक पूरे देश में एक बार में ही होते थे चुनाव

भारत में 1967 तक पूरे देश के सभी चुनाव पांच साल में एक बार होते थे। उसके बाद दलबदल से सभी परिस्थितियां बदल गईं। भारत में कुछ समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। गरीबी और बेरोजगारी से लोग परेशान हैं हंगर इन्डैक्स रिपोर्ट के अनुसार 15 करोड़ लोग रात को भूखे पेट सोते हैं। बेरोजगारी के कारण युवा शक्ति हताश हो रही है, आत्महत्याएं बढ़ रही हैं। बेटियों पर हत्याचार बढ़ रहे हैं। दुष्‍कर्म की दृष्टि से भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच गया।

चुनाव में करोड़ों खर्च करना एक राजनीतिक मूर्खता लगती है

दुर्भाग्य यह है कि इन सब बुनियादी समस्याओं पर विचार करने का देश के नेताओं के पास समय ही नहीं है। लोक सभा में कभी भी गंभीरता से इन समस्याओं पर विचार नहीं हुआ। इन भयंकर बढ़ती समस्याओं को देख कर हर वर्ष के चुनाव में समय शक्ति व करोड़ों रुपये खर्च करना एक राजनीतिक मूर्खता लगती है।

एक देश एक चुनाव को अतिशीघ्र लागू करने की आवश्‍यकता

शांता कुमार ने कहा प्रधानमंत्री मोदी ने एक देश एक चुनाव की बात कही है। अब उसे अतिशीघ्र लागू करना बहुत आवश्यक है। कानून बदलकर पांच साल में देश के सभी चुनाव केवल एक बार हों। तीन महीनों का समय चुनाव के लिए रखा जाए। पंचायतों से लेकर हर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक बार हो जाएं। यदि कोई स्थान किसी कारण खाली हो तो उप-चुनाव का प्रावधान समाप्त कर दिया जाए और वहां चुनाव में दूसरे नंबर पर आने वाले व्यक्ति को विजयी घोषित कर दिया जाएं।

इस तरह होगा बुनियादी समस्‍याओं का समाधान

किसी भी विधान सभा में अविश्वास प्रस्ताव के साथ विश्वास प्रस्ताव रखना भी अवश्य हो। यदि सरकार बदलना चाहते हैं तो बताना पड़ेगा कि नई सरकार कैसी होगी। इसके बाद भी यदि किसी प्रदेश की सरकार टूट जाए तो वहां बाकी समय के लिए राष्ट्रपति शासन हो। इस नियम से ही दलबदल समाप्त हो जाएगा। नेताओं की बोली लगने और बिकने का कलंक पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। पांच साल में पूरे तीन महीने में सारे चुनाव कर लिए जाएं। बाकी पूरे चार साल और 9 महीने सरकार पार्टियों व नेता केवल काम करें। समय बचेगा, धन बचेगा, भ्रष्टाचार कम होगा और बुनियादी समस्याओं का समाधान भी होगा।

http://dhunt.in/G2u1u?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “जागरण”

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