Lok Adalat: हिमाचल की लोक अदालतों में रिकार्ड मामलों की सुनवाई, 1.18 लाख केसों से इतने करोड़ जुर्माना वसूला।हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (Himachal Pradesh State Legal Services Authority) के मार्गदर्शन में प्री-लिटिगेशन (पूर्व मुकदमेबाजी) और पोस्ट-लिटिगेशन (मुकदमेबाजी के बाद) मामलों के लिए रविवार को प्रदेश के सभी न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया।
इनमें रिकार्ड आनलाइन व आफलाइन मामलों की सुनवाई हुई। कुल 1,18,005 मामले सुनवाई के लिए लाए गए। मौके पर इनका निपटारा किया गया। 133 बेंचों में मामलों की सुनवाई हुई। 76.73 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया। कई वर्षों से लंबित मामलों का मौके पर निपटारा किया गया।
133 बेंचों का किया गया था गठन
इतनी बड़ी संख्या में मामलों को निपटाने के लिए प्रदेश भर में 133 लोक अदालत बेंचों का गठन किया गया। यह लोक अदालत प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एए सईद जो राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक भी हैं, की देखरेख में आयोजित की गई। इसके अलावा प्रदेश उच्च न्यायालय की न्यायाधीश सबीना जो राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की कार्यकारी अध्यक्ष हैं, के मार्गदर्शन में लोक अदालत आयोजित की गई।
लोगों की सुविधा के लिए विशेष आनलाइन लोक अदालत
लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पहली बार विशेष आनलाइन लोक अदालत लगी। इस विशेष अदालत के दौरान आम जनता को कंपाउंडिंग फीस या जुर्माने के आनलाइन भुगतान के लिए सुविधा प्रदान की गई। इससे वह कंपाउंडिंग अथारिटी या कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए बिना जुर्माने का भुगतान आसानी से घर बैठे किया गया।
क्या कहते हैं प्राधिकरण के सचिव
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रेमपाल रांटा ने बताया कि हिमाचल पुलिस और परिवहन विभाग के साथ को-आर्डिनेशन करके प्री लिटिगेशन में एमवी यानी मोटर व्हीकल चालान और छोटे मामलों की अधिकतम पहचान और प्रभावी निपटान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इन लोक अदालतों के माध्यम से लोगों को बिना किसी देरी न्याय दिया जाता है।
75 करोड़ की राशि वसूली
1,06,376 मामले राष्ट्रीय लोक अदालत में निपटान के लिए विभिन्न बेंचों के समक्ष उठाए गए। इनमें से शाम 5.00 बजे तक लगभग 47,472 मामलों का निपटारा किया गया और 75,56,73,919 रुपये की राशि वसूल की गई।
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मामले निपटाने का बना रिकार्ड
इस राष्ट्रीय लोक अदालत में रिकार्ड संख्या में मुकदमों का निपटारा किया गया। इतनी संख्या में मामलों की पहचान और निपटारा केवल मीडिया सहित सभी हितधारकों के सहयोग से ही संभव हो सका है। यह वैकल्पिक समाधान प्रणाली में, विशेष रूप से लोक अदालत की संस्था में जनता के भरोसे और विश्वास को दर्शाता है, जो वादी जनता को उनकी पसंद के अनुसार उनके विवादों के समाधान के लिए एक आसान, सुलभ और सस्ता उपाय प्रदान करती है।
Source : “जागरण”