ज्यादा उधार लेने की राज्यों की क्षमता को वापस लेना चाहती है केंद्र सरकार। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन (Prime Minister Narendra Modi’s administration) का उद्देश्य वैश्विक निवेशकों को कम करने के लिए राजकोषीय नीति (fiscal policy) को कड़ा करना है।
इसके तहत भारत उधार लेने के लिए अधिक हेडरूम चाहने वाले राज्यों को छूट देने से इनकार कर सकता है। इस मामले से परिचित लोगों ने ये जानकारी दी है। 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए राज्यों की उधार लेने की सीमा उनके सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 3.5% पर कैप किए जाने की संभावना है। इसमें बिजली क्षेत्र में सुधार हेतु लिए गये उधार भी शामिल हैं।
यह चालू वर्ष के लिए 4% कैप से कम है। इस मुद्दे की जानकारी रखने वालों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर ये जानकारी दी है। वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता से टिप्पणी मांगने के लिए उनके मोबाइल पर फोन करने पर उन्होंने कॉल का जवाब नहीं दिया। हालांकि कुछ प्रांतीय सरकारें कटौती का विरोध कर रही हैं क्योंकि इसका मतलब उधार लेने के लिए गुंजाइश कम हो जायेंगी।
खासकर ऐसे समय में जब देश और विदेश दोनों में अपेक्षित मंदी के कारण राजस्व प्रभावित हो सकता है। विपक्ष के शासन वाले दक्षिणी राज्य तमिलनाडु के वित्त मंत्री पलानीवेल थियागा राजन (Palanivel Thiaga Rajan) ने कहा, “अगर मंदी आती है तो राजस्व गिर जाएगा। इससे राज्यों को पिरामिड के निचले भाग में लोगों की सहायता के लिए अधिक खर्च करने की आवश्यकता होगी। बाजार से उधार लेने में लचीलेपन की आवश्यकता है।” नई दिल्ली ने पहले ही इस वर्ष से माल और सेवा कर व्यवस्था (Goods and Services Tax regime) में बदलाव के लिए राज्यों को मुआवजा देना बंद कर दिया है।
हालांकि इस वर्ष महामारी से अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ, राजस्व में सुधार हुआ, जिससे राज्यों को बाजार से कम उधार लेना पड़ा। FII की खरीदारी और रुपए में लौटी मजबूती ने बाजार में भरा दम, सेंसेक्स-निफ्टी ने इस हफ्ते हिट किया लाइफ टाइम हाई चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के लिए अनुमानित 6.55 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले राज्यों ने अप्रैल-नवंबर के बीच 4 लाख करोड़ रुपये ($ 49.3 बिलियन) उधार लिया। महामारी के पूर्व राज्यों द्वारा बाजार उधारी को पहले उनके सकल घरेलू उत्पाद के 3% पर कैप किया गया था। जिसे 2020-21 में 5% कर दिया गया था। ऐसा इसलिए किया गया था जिससे राज्यों को कोविड के चरम के दौरान अतिरिक्त संसाधनों के साथ मदद मिल सके। तब से केंद्र सरकार देश के समग्र राजकोषीय घाटे (fiscal deficit) को नियंत्रण में रखने के उद्देश्य से वित्त आयोग (finance commission) द्वारा अनुशंसित सीमा को कम कर रही है।
Source : “Money Control”