मंडी, 23 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश योजना सलाहकार बासु सूद ने बताया कि जेंडर रेस्पोंसिव बजटिंग व जेंडर बजट स्टेटमेंट का मुख्य उद्देश्य विभिन्न संसाधनों का समान लैंगिक वितरण सुनिश्चित करना है। ऐसा बजट जो खासकर महिलाओं और वंचित वर्ग की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। वह शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास विभाग, संयुक्त राष्ट्र महिला भारत, हिमाचल प्रदेश योजना विभाग तथा जिला प्रशासन की सौजन्य से जेंडर रेस्पोंसिव बजट व जेंडर बजट स्टेटमेंट के संबंध में डीआरडीए समिति हॉल में एक दिवसीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। वहीं, अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त एवं प्लानिंग प्रबोध सक्सेना ने शिमला से वर्चुअली तमाम विभागों के कार्यालय प्रमुखों को कार्यशाला में कई अहम जानकारियां बताई व सीखाईं।
बासु सूद ने बताया कि बजट राज्य सरकार की सामाजिक व आर्थिक योजनाओं और प्राथमिकताओं का सबसे व्यापक विवरण होता है। बताया कि जेंडर रेस्पोंसिव बजटिंग (जी.आर.बी.) का उद्देश्य सार्वजनिक खर्चों और आमदनी में जेंडर समानता व हरेक पहलुओं को सम्मिलित करके सार्वजनिक वित्त प्रबंधन में गुणवत्ता व दक्षता बढ़ाना है। कहा कि लैंगिक असमानता को कम करने के लिए हरेक विभाग की भादारी महत्वपूर्ण है। इस उद्देश्य को सफल बनाने के लिए विविध विभागों में जेंडर बजट सेल गठित किए गए हैं। जेंडर बजट सेल एक संस्थागत प्रणाली है, जो सरकारी बजट में जेंडर विश्लेषण के एकीकरण की सुविधा प्रदान करती है।
बासु ने कहा कि विभागों द्वारा स्थापित किए गए जेंडर बजट सेलों के उचित मार्ग दर्शन के लिए राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान, राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग और संयुक्त राष्ट्र महिला भारत, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान से कार्यशालाओं और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन कर रहे हैं। कहा कि प्रदेश के हित धारकों की सहायता के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जा रही है।
बासु ने बताया कि जी.आर.बी. का मतलब महिलाओं और पुरूषों के लिए अलग-अलग बजट बनाना नहीं है, अपितु जेंडर समानता और महिला सशक्तिकरण की ओर बजट के आबंटन में सुधार करना है। कहा कि सरकार की नीतियों, योजनाओं, बजट व कार्यक्रमों के लिए जेंडर रेस्पोंसिव बजट तैयार कराना है, ताकि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हरेक जरूरतमंद लाभार्थी को मिल सके।
उन्होंने बताया कि जेंडर समानता और महिला सशक्तिकरण एक वैश्विक प्राथमिकता है। कहा कि जेंडर समानता और महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।
बासु ने बताया कि जेंडर रिस्पोंसिव बजटिंग डेटा पर बहुत अधिक निर्भर करता है, ताकि नीतियों, कार्यक्रमों और बजटों को मिथकों या मान्यताओं के आधार के बजाय तथ्यों पर प्रमाणित किया जा सके। बताया कि जेंडर बजट स्टेटमेंट एक जेंडर-विशिष्ट जवाबदेही दस्तावेज है, जिसे सभी विभागों द्वारा सालाना पेश किया जाता है। जी.आर.बी, यू.एन. वीमेन इंडिया की राज्य तकनीकी समन्वयक श्रुति सिंह ने भी जेंडर रेस्पोंसिव बजटिंग आदि पर विस्तार से कई अहम जानकारियां दीं।
उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी ने मंडी जिले में जेंडर रेस्पोंसिव बजट व जेंडर बजट स्टेटमेंट विविध विभागों के माध्यम से योजनाओं, कार्यक्रमों आदि के लिए बेहतर प्रभावी तरीके से तैयार कराने का विश्वास दिलाया। वहीं, जिला के विविध कार्यालय प्रमुखों से जेंडर रेस्पोंसिव बजट व जेंडर बजट स्टेटमेंट प्रशिक्षण अनुसार ही तैयार करने को कहा।
कार्यशाला में जिला परिषद अध्यक्ष पाल वर्मा, नगर निगम महापौर दीपाली जस्वाल, उप-निदेशक प्लानिंग रविंद्र कुमार समेत विविध विभागों के अधिकारी, पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि, एन.जी.ओ. के सदस्यों ने भाग लिया।
संसाधनों के समान लैंगिक वितरण के लिए जेंडर रेस्पोंसिव बजटिंग व जेंडर बजट स्टेटमेंट जरूरी – बासु सूद
Read Time:5 Minute, 44 Second