सीपीएस की नियुक्तियों को कोर्ट में चुनौती दे सकती है भाजपा : जयराम ठाकुर। हिमाचल प्रदेश की सुखविंद्र सरकार द्वारा 6 मुख्य संसदीय सचिवों(सीपीएस) की नियुक्ति पर कांग्रेस और भाजपा में सियासी तकरार पैदा हो गई है।
विपक्षी दल भाजपा ने इस मुद्दे पर भौहें तरेर ली हैं। सीपीएस की नियुक्तियों पर भाजपा कानूनी राय ले रही है। कानूनविदों की राय के बाद भाजपा इसे अदालत में चुनौती दे सकती है। नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सोमवार को शिमला में एक पत्रकार वार्ता में सीपीएस की नियुक्ति पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन नहीं, व्यवस्था परिवर्तन की बात मुख्यमंत्री लगातार कर रहे हैं, लेकिन वही मुख्यमंत्री व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर खजाने पर खर्च का बोझ लगातार बढ़ा रहे हैं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि असम में सीपीएस की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट से रद्द हो चुकी है। मणिपुर व दिल्ली में भी सीपीएस की नियुक्तियों को अदालती आदेशों के बाद सरकारों ने रद्द कर दिया। भाजपा की पूर्व सरकार ने प्रदेश में सीपीएस की नियुक्ति नहीं की। असम में सीपीएस की नियुक्ति रद्द करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह संविधान के अनुच्छेद 164 (1) (ए) की मूल भावना के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का प्रदेश हित में काम करने के बजाय सरकार टिकाने पर अधिक फोकस है। जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश मंत्रिमंडल में जातीय व क्षेत्रीय संतुलन का ध्यान नहीं रखा गया। कांगड़ा जिला से सरकार बनी है। मगर वहां से एक ही मंत्री बनाया गया। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से एक मंत्री व विधान सभा अध्यक्ष है। जातीय संतुलन का भी सरकार ने ख्याल नहीं रखा है
l Source : “दैनिक ट्रिब्यून”