‘टाइम बम से कम नहीं पुरानी पेंशन स्कीम, लागू करने वाले राज्य हो जाएंगे बदहाल’ । दे श गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को जमकर हवा दी है. हाल ही में पूरे हुए हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने पुरानी पेंशन स्कीम को बड़ा मुद्दा बनाया था और सरकार बनने पर इसे लागू करने का वादा किया था…
लेकिन राज्य सरकारों के लिए भी बड़ी चुनौती फंड की है, क्योंकि इससे लागू करने से सरकार के खजाने पर भारी बोझ बढ़ेगा. केंद्र सरकार ने इसे लागू करने से साफ मना कर दिया है. लेकिन सियासी रूप से पुरानी पेंशन स्कीम देश में एक बड़ा मुद्दा बन गई है.
भारत की नंबर 1 बिजनेस मैगजीन बिजनेस टुडे के बैंकिंग और इकोनॉमी समिट में क्रिसिल (CRISIL) के चीफ इकोनॉमिस्ट डी.के. जोशी, बैंक ऑफ बड़ौदा (BOB) के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस और एक्सिस बैंक (Axis Bank) के कार्यकारी वीपी और मुख्य अर्थशास्त्री शौगता भट्टाचार्य ने शिरकत की. उन्होंने ‘बैंकिंग ऑन द इकोनॉमी’ पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने पुरानी पेंशन स्कीम पर भी अपने बात रखी.
‘वित्तीय टाइम बम है ओपीएस’
पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) पर चर्चा के दौरान शौगता भट्टाचार्य ने कहा कि ओपीएस एक डिजास्टर होगा. ये एक टाइम बम की तरह है. समस्या ये है कि यह पहले से ही शीर्ष पर बैठे बहुत से लोगों को लाभान्वित कर रहा है. वे कहते हैं कि सभी खर्चों की गणना करने पर आपके पास डेवलपमेंट खर्च के लिए 10-15 प्रतिशत हिस्सा होता है. उन्होंने कहा कि सस्टेनेबल नहीं है.
मदन सबनवीस ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करना एक सब्सिडी देने की तरह ही होगा.जोशी ने कहा कि जब आप बहुत तेजी से बढ़ते हैं तो असमानता बढ़ती है. उन्होंने कहा कि पुनर्वितरण और विकास को साथ-साथ चलना होगा.
अहलूवालिया ने बताया था दिवालियापन की रेसिपी
योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर कहा था कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करना वित्तीय दिवालियापन की रेसिपी है. उन्होंने कहा कि मैं निश्चित रूप से इस विचार से सहमत हूं कि यह कदम बेतुका है और वित्तीय दिवालियापन के लिए एक रेसिपी है. इस कदम को आगे बढ़ाने वालों के लिए बड़ा फायदा यह है कि दिवालियापन 10 साल बाद आएगा. वहीं वित्त मंत्री ने निर्मला सीतारमण का कहना है कि ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली के नाम पर कर्मचारियों को भ्रमित करना ठीक नहीं है. पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने के लिए जो राज्य प्रतिबद्ध हैं, वे इस योजना के भारी वित्तीय बोझ का सामना कैसे करेंगे.
भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ
मदन सबनवीस ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था काफी संतोषजनक ढंग से आगे बढ़ रही है. उन्होंन कहा कि हमें 7-8 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने में 2-3 साल लगेंगे. बैंकिंग सेक्टर की स्थिति पर पर क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट डी.के. जोशी ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र पहले की तुलना में अर्थव्यवस्था को लुब्रिकेट करने की बेहतर स्थिति में है. आने वाले साल थोड़े मुश्किल भरे होंगे, लेकिन सेक्टर इसे संभाल लेगा.
रेपो रेट में बढ़ोतरी
सबनवीस ने कहा कि बैंकों को कर्ज देने में किसी भी तरह की झिझक नहीं होनी चाहिए. मूल रूप से क्लिनिंग का मतलब है कि उधार देने की बात आने पर बैंकों को कोई आशंका नहीं होगी. बढ़ते रेपो रेट पर शौगत भट्टाचार्य ने कहा कि लगता है कि हमने कमोबेश दरों में सख्ती का साइकिल पूरा कर लिया है. उम्मीद है कि हम नरमी देखना शुरू कर देंगे. इस दौरान सबनवीस ने कहा कि रिजर्व बैंक की पॉलिसी के कारण खाद्य कीमतें ऊपर और नीचे नहीं जाती हैं.
आगामी बजट पर बोलते हुए डी.के. जोशी ने कहा कि यह बजट नीति निर्माताओं की काबिलियत को टेस्ट करेगा. क्योंकि हम एक स्लो वृद्धि स्टेज में प्रवेश कर रहे हैं.
कई और राज्यों में भी होगी लागू
साल 2022 के बजट में राजस्थान सरकार ने भी अगले वित्त वर्ष में ओल्ड पेंशन को फिर से शुरू करने की घोषणा की थी. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ में भी राज्य सरकार इसको लागू करने वाली है. केंद्र सरकार ने साल 2004 में पुरानी पेशन योजना को खत्म करके उसके बदले राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension System) शुरू किया था.
पुरानी पेंशन स्कीम के फायदे
पुरानी पेंशन स्कीम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आखिरी ड्रॉन सैलरी के आधार पर बनती है. साथ ही इसमें महंगाई दर बढ़ने के साथ ही DA में भी इजाफा होता है. जब सरकार नया वेतन आयोग लागू करती है तो भी इससे पेंशन में इजाफा होता है.
क्यों राज्यों के लिए हानिकारक?
उदाहरण के लिए, हिमाचल प्रदेश अपने राजस्व व्यय का करीब 18 फीसदी पेंशन के मद में अलग रखता है, जो कि राष्ट्रीय औसत से अधिक है. यदि प्रदेश अपने कर्मचारियों के लिए OPS फिर से बहाल करता है, यह विकास पर होने वाले खर्च को कम करने की कीमत पर होगा. पंजाब का अनुमानित पेंशन खर्च 2022-23 के लिए 15,146 करोड़ रुपये है. यह पंजाब के 45,588 करोड़ रुपये के TAX से होने वाली आय का करीब एक तिहाई है.
Source : “आज तक”