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कर्ज में डूबी हिमाचल सरकार को राहत, इस तरह से मिलेंगे 5400 करोड़

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कर्ज में डूबी हिमाचल सरकार को राहत, इस तरह से मिलेंगे 5400 करोड़ । कर्ज में डूबी हिमाचल सरकार को राहत मिली है. हिमाचल की नई सुक्खू सरकार पिछले वित्त वर्ष में सरेंडर किए लोन के 5,400 करोड़ रुपये की राशि ले सकेगी. केंद्र सरकार से इसकी इजाजत मिल गई है।

शिमला: आर्थिक तंगी जूझ रही सुखविंदर सरकार को बड़ी राहत मिली है. सुक्खू सरकार पिछले वित्त वर्ष में सरेंडर किए लोन के 5,400 करोड़ रुपये की राशि ले सकेगी. केंद्र सरकार से इसकी इजाजत मिल गई है. हिमाचल सरकार 2026 तक यह राशि ले सकेगी. इस तरह सरकार इस राशि से अपना काम चला सकेगी. रोजमर्रा के खर्चों के लिए लोन पर निर्भर हिमाचल सरकार को केंद्र ने राहत दी है.

केंद्र सरकार ने पूर्व में सरेंडर किए गए लोन के 5,400 करोड़ रुपए लेने की इजाजत दे दी है. इसके बाद सरकार इस राशि ले सकेगी. सरकार के लिए राहत इसलिए है क्योंकि कर्ज की हर साल की लिमिट तय की गई है. हालांकि पहले यह जीडीपी का 4 फीसदी थी, लेकिन अब यह 6 फीसदी कर दी गई है. इसके लिए सरकार ने हाल ही में शीतकालीन सत्र में बिल भी पेश किया था.

लेकिन, इस सीमा तक लोन लेने पर भी हिमाचल सरकार अपना खर्च पूरा नहीं कर पाएगी. क्योंकि सरकार पर कर्मचारियों की करीब 11,000 करोड़ की देनदारियां हैं. कर्मचारियों को नए वेतनमान के एरियर साथ-साथ उनको डीए की किश्तें भी देनी है, जाहिर है कि सरकार को इसके लिए लोन लेना पड़ेगा. ऐसे में सरकार इस सरेंडर की गई 5400 करोड़ की राशि को कभी भी ले सकती है.

2021-22 में सरकार ने लिया था 4000 करोड़ का लोन: दरअसल, केंद्र ने हिमाचल के लिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में लोन की लिमिट 9400 करोड़ रुपए तय की थी. वर्ष 2021 का अधिकांश समय कोविड में गया. इस पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान सरकार ने केवल 4000 करोड़ रुपए का लोन ही लिया. इस तरह करीब 5400 करोड़ के लोन लिमिट का बच गया था. इसके चलते राज्य सरकार ने केंद्र से आग्रह किया कि बीते वित्तीय वर्ष की लोन लिमिट में से जो 5400 करोड़ रुपए सरेंडर हुआ है, उसकी लेने की इजाजत अगले वित्तीय वर्ष में इजाजत दी जाए.

केंद्र सरकार ने 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को मानते हुए राज्य को कुल लोन लिमिट का इस्तेमाल वित्त आयोग के पूरे कार्यकाल के दौरान करने की अनुमति दे दी है. 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें फिलहाल वर्ष 2021 से 2026 तक लागू रहेंगी. इसलिए अब सुखविंदर सरकार इस अवधि में किसी साल सरेंडर की गई लोन लिमिट का इस्तेमाल वर्ष 2026 तक कर सकती है.

इस साल 10 हजार करोड़ से पार हो जाएगा लोन: हिमाचल के सरकारी खजाने का बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च हो रहा है. वहीं, सरकार ने कई वादे चुनावी घोषणा पत्र में किए हैं. ऐसे में हिमाचल की सरकार भी लोन लेने के लिए मजबूर हो रही है. हिमाचल इस वित्त वर्ष में अब तक 8000 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुका है. इसके बाद सरकार बाकी बचे 3 महीनों यानी चालू माह जनवरी, फरवरी व मार्च में बजट से पहले कुल 3000 करोड़ रुपए लोन लेने की पात्र है. इसमें से 1500 करोड़ रुपए लोन तो इसी माह यानी जनवरी माह में सरकार द्वारा लिया जा रहा है.

इसके साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष में अब तक लोन का आंकड़ा 9500 करोड़ रुपए हो जाएगा. बाकी का 1500 करोड़ रुपए मार्च से पहले लिया जा सकेगा. हालांकि सरकार इसमें से कितना लोन लेती है, लेकिन यह तय है कि हाल ही में बढ़ाई गई लोन लिमिट के बाद इस वित्त वर्ष यानी मार्च तक कर्ज का आंकड़ा एक साल में ही 10 हजार करोड़ के मार्क को पार कर जाएगा. इस तरह तरह मार्च में बजट आने से पहले हिमाचल पर कुल 78 हजार करोड़ रुपए का कर्ज होगा.

Source : “ETV Bharat हिंदी” ..

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