गोविंद सागर झील में प्रवासी पक्षियों के आगमन के साथ-साथ यहां वेटलैंड की संभावनाओं को भी उजागर करने के प्रति कोशिश की जा रही है। यद्यपि यहां प्रवासी पक्षियों की आमद अभी कम है किंतु यदि वेटलैंड निर्मित होती है तो यह संभावना बहुत बढ़ जाएंगी, जिससे बर्ड वाचिंग टूरिज्म को अधिमान मिलेगा। पर्यटन के विस्तृत क्षेत्र में बर्ड वाचिंग टूरिज्म का अपना एक अलग स्थान है जिसे विश्व भर में काफी मान्यता प्राप्त है। विदेशों में बर्ड वाचिंग टूरिज्म को एक बड़े उद्योग के रूप में स्थापित किया गया है, जो युवाओं के लिए खासी आमदनी का जरिया बना है। अनेक देशों के लोग हिंदुस्तान के विभिन्न जगहों पर बर्ड वाचिंग पर्यटन के तहत आवागमन करते हैं इसी रूप में गोविंद सागर के दोनों ओर के किनारों को बड़े रूप में विकसित किया जा सकता है।
गोविंद सागर झील के दोनों ओर का क्षेत्र बर्ड वाचिंग व वैटलैण्ड, बर्ड सैक्युचरी पर्यटन के लिए आने वाले समय उपयुक्त स्थान बनकर उभर सकता है। बर्ड सैक्युचरी के लिए जिन क्षेत्रों की आवश्यकता होती है वो सब क्षेत्र, जलवायु व वनस्पति एवं पहाड़ियां यहां उपलब्ध है। वैटलैण्ड इंटरनेशनल साउथ एशिया के तकनीकी अधिकारी अघ्र्या ने बताया कि इस दिशा में क्षमता निर्माण का कार्य आरम्भ किया जा रहा है। वैटलैण्ड निर्माण और बर्ड वाचिंग पर्यटन को स्थापित करने के लिए गोविंद सागर के पानी गुणवत्ता को और अधिक बढ़ाना होगा। पक्षियों की संख्या को बढ़ाने के दृष्टिगत उचित रख-रखाव, संरक्षण, सुरक्षा भी आवश्यक है। प्रदेश सरकार यदि इस क्षेत्र के प्रति सकारात्मक कदम उठाए तो यहां युवाओं को इस दिशा में रोजगार के अनेक अवसर प्राप्त होंगे और राजस्व का अहम जरिया बन सकता है।
युवाओं को बर्ड वाचिंग टूरिज्म के तरफ आकर्षित करने के लिए सम्बद्ध विभागों के साथ-साथ विशेष रूप से वन विभाग के वन्य जीव संकाय को इस कार्य के प्रति प्रोत्साहन की आवश्यकता है। युवा एवं इस दिशा में इच्छुक लोगों को पर्याप्त प्रशिक्षण, कार्यशालाओं के माध्यम से जानकारी व जागरूकता प्रदान की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त देश के अन्य क्षेत्रों में भ्रमण प्रवास कार्यक्रमों के द्वारा युवाओं में जिज्ञासा उत्पन्न की जा सकती है।
गोविंद सागर झील जोकि लगभग 168 वर्ग किलोमीटर में फैली है। बर्ड वाचिंग पर्यटन की अपार संभावनाओं से लबरेज है। इस दृष्टि से गोविंद सागर झील में जल पक्षी की पहली गणना बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और वेटलेनस् इंटरनेशनल साउथ एशिया द्वारा गत दिनों गोविंद सागर झील में एशियन वाटर बर्ड सेंसिज़ के रूप में की गई, जिसमें प्रवासी पक्षियों की 41 प्रजातियों के 3101 पक्षी जनगणना के अधीन पाए गए। इनमें बार हेडेड गूज़ और नाॅर्दनन पीन टेल की संख्या सबसे अधिक है। महत्वपूर्ण संरक्षण वाली प्रजातियों में काॅमन पोर्चड और रिवरटन शामिल है। उल्लेखनीय है कि रिवरटन प्रजाति के पक्षी का संरक्षण विश्व स्तर पर किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त पूर्व में रूडी शेलडक, नाॅर्दनन शाॅवलर, कूट्स, ग्रेटर थिंक नी, सेंडपाईपर, ग्रेटर काॅरमोरेंट, लिटल काॅरमोरेंट, मलारड़ रिवर लैपविंग, रेड वेंटिड लैपविंग, ब्राउन हेडेड गूल, पालाज़ गूल, लिटिल इग्रेट तथा गे्रट क्रिस्टिड ग्रैब प्रजातियां यहां देखी गई। गोविंद सागर झील में आने वाले प्रवासी पक्षी अधिकांश रूप से उत्तर अमेरिका, यूरोप व एशिया, मयंमार व थाईलैंड देशों से आते हैं।
गोविंद सागर में वर्ष भर पानी की निरंतरता को बनाए रखने के लिए प्रयास करने होंगे ताकि वेटलैंड तथा बर्ड वाचिंग पर्यटन को यहां पर बड़े स्तर पर आरंभ किया जा सके। गोविन्द सागर झील में प्रवासी पक्षियों की तादाद संख्या बढ़ने के संकेत वैटलैण्ड विकास एवं बर्ड वाचिंग पर्यटन को बढ़ाने के लिए मील का पत्थर साबित होंगे।
एकीकृत प्रबंधन योजना के अंतर्गत प्रवासी पक्षियों की इस गणना से जहां योजना को लाभ मिलेगा वहीं इस दिशा मंे सकारात्मक प्रयासों से इस क्षेत्र में बर्ड वाचिंग पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए बल मिलेगा। इस दृष्टि से बिलासपुर के गोविंद सागर झील के आसपास के क्षेत्रों में इस नई सम्भावना के सृजन के लिए प्रदेश सरकार को वृहद आकार देने के लिए सम्बद्ध विभागों व हितकारकों के साथ मिलकर कार्य योजना को तैयार कर धरातल पर उतारना होगा।
गोविन्द केसागर में बर्ड वाचिंग पर्यटन की संभावनाएं अपार
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