सुक्खू की दो माह की सरकार का कार्यकाल: खाली खजाना, श्रीलंका जैसे हालात और कड़े फैसले लेने से जनता सकते में। हिमाचल प्रदेश की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार के बनने से पहले भले ही कांग्रेस ने महंगाई पर रोक और परिवर्तन लाने का नारा दिया हो, लेकिन सरकार में आकर दो माह में ही खाली खजाने के कारण विकास कार्य अटकने, श्रीलंका जैसे हालात बनने की आशंका व कड़े फैसलों के लिए तैयार रहने की बात कर सरकार ने लोगों को सकते में डाल दिया है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, महासचिव प्रियंका गांधी, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने चुनाव प्रचार के दौरान जनता को संबोधित कर 10 गारंटियां बता दीं, लेकिन सरकार बनने के दो माह बाद भी गारंटियों के धरातल पर नहीं उतरने से जनता में रोष व्याप्त हो गया है। 11 दिसंबर, 2022 को सीएम सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शपथ ग्रहण के बाद प्रदेश की सत्ता संभाली। 8 जनवरी, 2023 को मुख्यमंत्री सुक्खू ने कैबिनेट का गठन करते हुए सात मंत्री और छह मुख्य संसदीय सचिव बनाए। इनके अलावा मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार, मीडिया सलाहकार और ओएसडी की नियुक्ति की गई।
शनिवार को प्रदेश सरकार को सत्ता में आए हुए दो माह पूरे होंगे। इन दो माह में विधानसभा चुनाव के दौरान हुई घोषणाओं के पूरा होने की लोगों ने आस लगाए रखी, लेकिन एक भी गारंटी पूरी नहीं हो सकी। प्रदेश में 1.36 लाख कर्मचारियों को पुरानी पेंशन बहाली की अधिसूचना का अभी इंतजार है। महिलाओं को 1,500 रुपये प्रतिमाह देने का मामला जून तक टल गया है। विधायक निधि, स्वैच्छिक निधि और उपायुक्त फंड जारी नहीं होने से विकास कार्य लटक गए हैं। मुख्यमंत्री, मंत्री और मुख्य संसदीय सचिवों के कार्यालयों और कोठियों पर करोड़ों खर्च करने पर विपक्ष ने घेराबंदी शुरू कर दी है। सीमेंट उद्योग बंद होने से बरमाणा और दाड़लाघाट में कारोबार ठप हो गए हैं। आर्थिक गतिविधियां बंद होने से इन दो क्षेत्रों में तो श्रीलंका जैसे हालात बनने लगे हैं। भाजपा सरकार के समय अप्रैल, 2022 के बाद खुले 600 से अधिक संस्थान बंद होने से काम करवाने के लिए लोग घर से दूर जाने को मजबूर हो गए हैं।
दो महीने से पीटरहॉफ में रह रहे हैं मुख्यमंत्री, सरकारी आवास में नहीं हो पाए शिफ्ट
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू दो महीने से पर्यटन निगम के होटल पीटरहॉफ में रह रहे हैं। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास ओक ओवर में मरम्मत का काम जोरों पर चल रहा है। इस वजह से उन्हें पीटरहॉफ में रहना पड़ रहा है। हालांकि लोक निर्माण विभाग को काम में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं और अगले सप्ताह तक विभाग की ओर से ओक ओवर पूरी तरह रहने के लिए तैयार करने का दावा कर रहा है। मुख्यमंत्री से मिलने वालों का तांता पीटर हॉफ में लगा रहता है। वहां होने वाले खर्चे पर भी चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
सुक्खू सरकार पर भारी पड़ रहा सीमेंट विवादहिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार को बने हुए दो महीने हो गए हैं, लेकिन ट्रक ऑपरेटरों के सीमेंट ढुलाई की दरों का मामला नहीं सुलझ पाया है। सत्ता संभालते के कुछ दिन बाद ही अदाणी कंपनी ने बिलासपुर जिले के बरमाणा और सोलन जिले के दाडलाघाट में प्लांट बंद कर दिए। मजबूरन, ट्रक ऑपरेटरों को सड़क पर उतरना पड़ा। आज हालात यह हो गई है कि ऑपरेटरों को ट्रकों की किस्त देने के भी लाले पड़ गए हैं। प्लांट बंद होने से हजारों लोगों का रोजगार छिन गया। सुक्खू सरकार से मामला न सुलझाने के बजाय अब ट्रक ऑपरेटर यूनियन को खुद ही अपने हित में फैसले लेने को मजबूर होना पड़ा है। सरकार की ओर से अदाणी कंपनी पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। सरकार की ओर से मामला न सुलझाए जाने पर अब ट्रक ऑपरेटरों को खुद ही अपने हितों की रक्षा करनी पड़ रही है।
बरमाणा ट्रक ऑपरेटर यूनियन को सड़क पर उतरने के साथ-साथ बाहरी राज्यों से सीमेंट की सप्लाई को रोकने का फैसला लेना पड़ा है। इसके लिए बरमाणा ट्रक ऑपरेटर यूनियन हिमाचल की सीमा पर नाकाबंदी करेगा। दाड़लाघाट ट्रक ऑपरेटर यूनियन की कंपनी अधिकारियों के साथ हो रही बैठकों में भी बात नहीं बन रही है। ऐसे में दोनों पक्षों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। उल्लेखनीय है कि सीमेंट ढुलान की दरों का मामला सुलझाने के लिए ट्रक ऑपरेटर सचिवालय के चक्कर काटते रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के साथ भी बैठक हुई है, लेकिन इसमें ऑपरेटरों को आश्वासन ही दिए गए हैं। इसी तरह उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान को भी मामला सुलझाने का जिम्मा सौंपा गया लेकिन उनकी ओर से भी उचित फैसला नहीं लिया गया है।
By अमर उजाला via Dailyhunt