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स्वंय सहायता समूह चंबा चप्पल से अपनी आजीविका को बना रहे सशक्त

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चंबा जिला में विभिन्न तरह के पारम्परिक शिल्प कलाओं की समृद्ध विरासत रही है।
चंबा रुमाल, मिनिएचर पेंटिंग, मूर्तिकला, काष्ठ कला , चंबा चप्पल, चंबा थाल से संबंधित व्यवसाय में कई कलाकार -शिल्पकार अपना जीविकोपार्जन अर्जित कर रहे हैं ।
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत गठित वैरावाली माता स्वयं सहायता समूह से रीना कुमारी और रेखा देवी, नव दृष्टि स्वयं सहायता समूह से विनोद कुमार आज चंबा चप्पल से अपनी आजीविका को सशक्त बना रहे हैं ।
इनका कहना है कि समय-समय पर हमारे स्वयं सहायता समूहों को सरकार द्वारा आवश्यक सहयोग उपलब्ध करवाया गया है । रिवाल्विंग फंड के अतिरिक्त कम दरों पर ऋण भी उपलब्ध करवाया जा रहा है जिसके फलस्वरूप यह शिल्पकार अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ाने में सक्षम हुए हैं ।
जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के माध्यम से चंबा चप्पल की पैकिंग को लेकर आकर्षक बॉक्स भी उपलब्ध करवाए गए हैं ।
चम्बा की समृद्ध कला एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन को लेकर ज़िला प्रशासन ने पहल करते हुए चंबयाल नामक प्रोजेक्ट शुरू किया है । प्रोजेक्ट को व्यवहारिक रूप देने के लिए प्रशासन द्वारा विभिन्न आर्ट एंड क्राफ्ट सोसायटियों को पंजीकृत किया गया है ।
खास बात यह है कि ज़िला के प्रसिद्ध कला उत्पाद चंबा रुमाल, और चंबा चप्पल को जीआई अधिनियम 1999 के तहत “जीआई” टैग भी हासिल हो चुका है ।
बैरावाली माता स्वयं सहायता समूह की सदस्य रीना बताती है कि नगर परिषद चंबा द्वारा राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत हमारा स्वयं सहायता समूह बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह को 10 हजार रुपए का रिवाल्विंग फंड मुहैया करवाने के साथ-साथ बैंक ऋण की सुविधा भी मिली हुई है। सुविधा के तहत हाल ही में हमने 5 लाख रुपए का ऋण कम ब्याज दर पर लिया है।


उन्होंने बताया कि हमारे इस समूह में 9 सदस्य हैं और हम सभी मिलकर चंबा चप्पल का काम करते हैं। समूह द्वारा हाथ से बनाए हुए रेशम के धागों से चंबा चप्पल पर कढ़ाई करते हैं। उन्होंने कहा कि चंबा चप्पल फ्लिपकार्ट और अमेजॉन पर बिक्री के लिए भी उपलब्ध है।
रीना ने बताया कि चंबा चप्पल से वे सभी सदस्य अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं।
चंबा चप्पल देश भर में प्रसिद्ध है और यह सस्ते दामों पर उपलब्ध करवाई जा रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि चंबा में विभिन्न त्योहारों  उत्सव,मेलों व अन्य जिला स्तरीय कार्यक्रमों में भी वे चंबा चप्पल की प्रदर्शनी लगा कर भी अच्छी आमदनी अर्जित करते हैं ।
इसी स्वंय सहायता समूह की सदस्य रेखा भी बताती हैं कि चंबा चप्पल का कार्य कर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं।
नव दृष्टि स्वयं सहायता समूह से विनोद कुमार का कहना है कि पिछले 1 साल से सहायता समूह में काम कर रहे हैं। विभाग द्वारा हमें समय-समय पर सहयोग दिया जा रहा है। हमारे समूह को मिशन के तहत विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शनी लगाने का मौका भी दिया जाता है। समूह के माध्यम से हमें रिवाल्विंग फंड मुहैया कराया जा रहा है जिससे हमें काफी मदद मिल रही है। जिला ग्रामीण विकास प्राधिकरण चंबा द्वारा हमें चंबा चप्पल की पैकिंग के लिए बॉक्स भी मुहैया करवाए गए। इस अच्छे पैकिंग बॉक्स से चंबा चप्पल की बिक्री में भी वृद्धि हुई है।
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के जिला प्रबंधक रुचि महाजन ने बताया कि वर्तमान में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत जिला चंबा में 180 स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं जिसमें 10 एरिया लेवल फेडरेशन और एक क्लस्टर लेवल फेडरेशन शामिल है।
बैरावाली माता स्वयं सहायता समूह जो 8 से 10 महिलाओं का समूह है जो चंबा चप्पल पर कढ़ाई लेकर अन्य उत्कृष्ट कार्य कर रही है। चंबा चप्पल पर की गई कढ़ाई यहां पर आने वाले सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है इसके साथ इसे देशभर में पसंद किया जा रहा है। जब से चंबा चप्पल की बिक्री ऑनलाइन हुई है तब से इसकी बाजार में काफी मांग बढ़ी है जिससे इस पर कार्य करने वाले समूह को काफी लाभ हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि बैरावाली माता स्वयं सहायता समूह तीन बार लोन की सुविधा भी प्राप्त कर चुका है जिसमें 4 प्रतिशत दर से सब्सिडी का भी प्रावधान है। वर्तमान में इनका ऋण 5 लाख है, जिसका प्रयोग वे अपने कार्य में कर रहे हैं । साथ ही साथ संबंधित विभाग इन्हें रिवाल्विंग फंड भी मुहैया करवा रहा है, जिससे समूह को काफी हद तक लाभ प्राप्त हो रहा है।

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