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Manish Sisodia Arrested: क्या है दिल्ली शराब घोटाला और क्यों हुई सिसोदिया की गिफ्तारी? 10 पॉइंट्स में समझें सबकुछ

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Manish Sisodia Arrested: क्या है दिल्ली शराब घोटाला और क्यों हुई सिसोदिया की गिफ्तारी? 10 पॉइंट्स में समझें सबकुछ। राजधानी दिल्ली में रद्द कर दी गई शराब नीति मामले में सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को गिरफ्तार किया है.

सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से यह मामला सुर्खियों में आ गया है. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर दिल्ली शराब घोटाला क्या है और सिसोदिया को क्यों गिरफ्तार किया गया है.

17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने राज्य में नई शराब नीति लागू की थी. इसके तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए और हर जोन में ज्यादा से ज्यादा 27 दुकानें खुलनी थीं. इस तरह से कुल मिलाकर 849 दुकानें खोली जानी थी. इसके पहले दिल्ली में शराब की 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी और 40 प्रतिशत प्राइवेट थीं. नई पॉलिसी लागू होने के बाद 100 प्रतिशत प्राइवेट हो गईं. सरकार ने तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा लेकिन इससे जनता और सरकार दोनों को नुकसान होने का आरोप है. आरोप यह भी है कि इससे बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाया गया.

आखिर क्या है दिल्ली शराब घोटाला ?

दिल्ली शराब बिक्री नीति से संबंधित जांच 2021 में पेश की गई और अब वापस ले ली गई. मनीष सिसोदिया दिल्ली के आबकारी विभाग के प्रमुख हैं, जिस कारण वह निशाने पर आ गए. साथ ही सीबीआई ने उनपर पूछताछ के दौरान सहयोग न करने का आरोप भी लगाया.
नीति के तहत, अधिकांश राज्यों में मानदंडों से हटकर, सरकार का अब शराब बेचने से कोई लेना-देना नहीं था और केवल निजी दुकानों को ही ऐसा करने की अनुमति थी. इसका मुख्य उद्देश्य कालाबाजारी को रोकना, राजस्व में बढ़ोतरी करना और उपभोक्ता अनुभव में सुधार करना था.
शराब की होम डिलीवरी और दुकानों को सुबह 3 बजे तक खुले रहने की भी अनुमति दी थी. लाइसेंसधारी असीमित छूट भी दे सकते थे. सरकार ने नीति से आय में 27 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि की सूचना दी, जिससे लगभग 8,900 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
शराब नीति ने केजरीवाल सरकार को मुश्किलों में डाल दिया. आरोप है कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस मामले में जांच की मांग उठाई थी और सीबीआई को जांच के लिए कहा था.
जांच आदेश के कुछ ही समय बाद ही मनीष सिसोदिया ने कहा कि नीति रद्द हो रही है क्योंकि बीजेपी विक्रेताओं को डराने के लिए अपने नियंत्रण वाली जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है.
सिसोदिया की गिरफ्तारी तक सीबीआई ने दायर चार्जशीट में उनका नाम नहीं लिखा था लेकिन पिछले साल सीबीआई ने उनके घर समेत 31 ठिकानों पर छापेमारी की थी. एजेंसी को कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगा था.
इससे अलग प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाते हुए दिल्ली शराब घोटाले की जांच भी शुरू की थी. इसमें कई नेताओं और व्यवसायियों को गिरफ्तार किया.
विपक्ष का यह भी आरोप ये भी है कि इसके एवज में आम आदमी पार्टी के नेताओं और अफसरों को शराब माफियाओं ने मोटी रकम घूस के तौर पर दी.
दिल्ली शराब घोटाले के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और तेलंगाना विधान परिषद सदस्य (MLC) कलवकुंतला कविता से भी पूछताछ की थी.
हालांकि, आप ने सभी आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि जांच राजनीतिक हिसाब बराबर करने की बीजेपी की कोशिश है. पार्टी का कहना है कि वह जांचकर्ताओं के साथ सहयोग करेगी. पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था, “शराब घोटाले जैसी कोई चीज नहीं है. हमने देश में सबसे अच्छी और सबसे पारदर्शी नीति बनाई है.”

By ABP न्यूज़

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