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हत्या करने के दोषियों को आजीवन कारावास और जुर्माना

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जिला एवं सत्र न्यायाधीश मण्डी की अदालत ने हत्या के अपराध में दोषियों को आजीवन कठोर कारावास के साथ जुर्माने की सजा सुनाई। उप जिला न्यायवादी मण्डी, नवीना राही  ने बताया कि शिकायतकर्ता श्रेष्ठा देवी ने दिनांक 05/11/2०11 को दोषियोंकुलभूषण, वीरेंदर, सुरेंदर व् भोपाल के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी कि मेरे ससुर के 4 बेटे हैं जो कि शादीशुदा हैं व् सारा परिवार एक ही मकान में रहता है l बच्चों के अतिरिक्त मेरी सास भी रहती है l मेरा पति व् देवर अनिल कुमार दिल्ली में नोकरी करते हैं  व् कल्याण घर में रहता है व् अनिल फ़ौज में नोकरी करता है l दिनांक 28/10/11 को मेरी ननद की शादी थी, इसलिए सभी लोग घर पर थे l पिछले कल दिनांक 4/11/11 को सारे परिवार के लोग खाना खाने के पश्चात् अपने अपने कमरों में सो गये थे तो उस समय करीब 11:45 रात को किसी गाड़ी के रुकने व् गाने की आवाज़ सुनायी दी, जिस पर मैंने लाइट जलाई तो मेरे साथ मेरा देवर सुनील कुमार भी बाहर निकला l मैंने टोर्च लाइट से देखा तो सड़क पर खडी गाड़ी से मेरे ताया ससुर के लड़के वीरेंदर, सुरेंदर, कुलभूषण एवं भोपाल अपने अपने हाथों में डंडे व् हथ्यार लेकर बाहर निकले l जैसे ही वे गाड़ी से निकलकर गालिगलोच करने लगे तो मेरा देवर कल्याण, पति ओंकार व् देवर अनिल व् सुनील घर से बाहर निकले तो दोषियों ने हाथों में लिए डंडों व् हथियारों से मेरे देवरों व् पति को मारना शुरू कर दिया l उसके उपरांत दोषी वीरेंदर कुमार डंडा लेकर मकान की उपरी मंजिल में आ गया और धमकियाँ देने लगा की आज हम सारे परिवार को ख़तम कर देंगे l  उक्त दोषियों द्वारा डंडों व् हथियारों से मारपीट करने के कारण ओंकार सिंह तथा अनिल कुमार की मृत्यु हो गयी थी व् मीरा देवी की चोट लगने के कारण अस्पताल में बराए इलाज उनकी मृत्यु हो गयी थी l 

 

इस घटना के आधार पर दोषियों के खिलाफ पुलिस थाना जोगिन्द्रनगर, जिला मण्डी में अभियोग सख्या 153/2011 दर्ज हुआ था। इस मामले की छानबीन पूरी होने पर मामले का चालान थाना अधिकारी जोगिन्द्रनगर द्वारा अदालत में दायर किया था।

 

उक्त मामले में अभियोजन पक्ष ने अदालत में 38 गवाहों के ब्यान कलम बन्द करवाए थे। इस मामले में सरकार की तरफ से पैरवी जिला न्यायवादी कुलभूषण गौतम के द्वारा अमल में लायी गयी थी l मामले में अभियोजन एवं बचाव पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने दोषी कुलभूषण व् वीरेंदर को भारतीय दण्ड सहिंता की धारा 302, 34 के तहत आजीवन कारावास की सजा के साथ ₹300000/- जुर्माने की सजा सुनाई l यदि दोषी जुर्माने की रकम को जमा करवाने में विफल रहता है तो उसे 3 साल के अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतने की सजा भी सुनाई हैl भारतीय दण्ड सहिंता की धारा 326, 34 के तहत प्रत्येक दोषी को 7 साल के कठोर कारावास व् ₹ 10000/- के जुर्माने की सजा भी सुनाई गयी l यदि दोषी जुर्माने की रकम को जमा करवाने में विफल रहता है तो उसे 1 साल के अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतने की सजा भी सुनाई है l इसके अतिरिक्त दोषियों को भारतीय दण्ड सहिंता की धारा 323, 34 के तहत 6 महीने के कठोर कारावास व् ₹ 1000/- के जुर्माने की सजा भी सुनाई गयी l यदि दोषी जुर्माने की रकम को जमा करवाने में विफल रहता है तो उसे 1 महीने के अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतने की सजा भी सुनाई है l भारतीय दण्ड सहिंता की धारा 452, 34 के तहतप्रत्येक दोषी को 3 साल के कठोर कारावास व् ₹ 10000/- के जुर्माने की सजा भी सुनाई गयी l यदि दोषी जुर्माने की रकम को जमा करवाने में विफल रहता है तो उसे 6 महीने के अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतने की सजा भी सुनाई हैl भारतीय दण्ड सहिंता की धारा 506, 34 के तहत प्रत्येक दोषी को 2 साल के कठोर कारावास व् ₹ 5000/- के जुर्माने की सजा भी सुनाई गयी l यदि दोषी जुर्माने की रकम को जमा करवाने में विफल रहता है तो उसे 3 महीने के अतिरिक्त कठोर कारावास भुगतने की सजा भी सुनाई हैl

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