ज़िला मुख्यालय चंबा के उपमंडल सलूणी की ग्राम पंचायत सुरी के प्रगतिशील, मेहनतकश और क्षेत्र के लिए अनूठी मिसाल बने किसान प्रल्हाद भक्त किसी भी परिचय के मोहताज नहीं हैं। वे आज सफल पुष्प उत्पादक के तौर पर नाम बना चुके हैं ।
प्रल्हाद भक्त का कहना है कि पारंपारिक कृषि कार्य करने के पश्चात कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर द्वारा कार्यान्वित अरोमा मिशन के अंतर्गत जगली गेंदा पुष्प की खेती ने उनके साथ 400 से भी अधिक किसानों के आर्थिक स्वावलंबन में महक लाई है।
जंगली जानवरों से पारंपारिक कृषि उपज को हो रहे नुकसान की भरपाई को लेकर ग्राम पंचायत सुरी के गांव पखेड से जंगली गेंदा पुष्प की खेती के रूप में शुरू हुई पहल आज चामुंडा कृषक सोसायटी चकोली- मेडा के तौर पर वर्तमान में 400 से भी अधिक किसानों का समूह है ।
धुन के पक्के किसान प्रल्हाद भक्त ने पुष्प उत्पादन के संबन्ध में प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की सारी जानकारी प्राप्त की और इस विषय में विस्तृत जानकारी के लिए उद्यान विभाग और कृषि विभाग के अधिकारियों से भी मिले। सारी जानकारी जुटा लेने पर उन्होंने पुष्प उत्पादन शुरू किया ।
प्रल्हाद भक्त का कहना है कि. जंगली गेंदे और अन्य जड़ी बूटियों पर लगभग 15 सालों से कार्य कर रहा हूं। मैंने 2012 से जंगली गेंदे की खेती के और अपना रुझान किया और ऑयल डिस्टलेशन यूनिट की स्थापना कर तेल निकालना शुरू कर आय अर्जित करना शुरू किया। उसके उपरांत वर्ष 2018 में हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के माध्यम से हमारी सोसाइटी के लिए ऑयल डिस्टलेशन यूनिट की स्थापना की और हमें हर संभव सहायता उपलब्ध करवाई। उसके उपरांत जंगली गेंदे की खेती से हमने अच्छी मात्रा में तेल निकालना शुरू किया। उन्होंने कहा कि जंगली गेंदे की खेती के लिए हमारी सोसाइटी से लगभग 400 लोग जुड़े हैं। जंगली गेंदे की खेती लोग अपने खेतों में भी करते हैं और कुछ जंगलों से भी जंगली गेंदे को निकाल कर लाते हैं।
उन्होंने कहा कि डिस्टलेशन यूनिट लगने के उपरांत अभी तक हमने लगभग ढाई क्विंटल तेल निकाल चुके हैं।
उनका यह भी कहना है कि जंगली गेंदे पुष्प का सघन तेल 10 हजार से 12 हजार प्रति किलो (लीटर में नहीं) की दर से बाहरी व्यापारी स्थानीय स्तर पर ही खरीद लेते हैं । उन्होंने यह भी कहा कि वे खुद खेती से सालाना एक से दो लाख की आमदनी अर्जित कर लेते हैं।
उन्होंने कहा कि इस खेती से हम एक अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं और अरोमा मिशन के अंतर्गत हम लैवेंडर की खेती की और भी बढ़ने का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जंगली गेंदे से प्राप्त किए गए तेल का उपयोग फूड पैकिंग के अलावा खाद्य पदार्थ जैसे टॉफियां,कुरकुरे,सौंदर्य प्रसाधन (कॉस्मेटिक्स) , विभिन्न प्रकार की दवाईयां और हवन सामग्री में किया जाता है।
खास बात यह है कि ज़िला प्रशासन ने वर्ष 2021 में सीएसआईआर- हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षरित किया था । इसके तहत ज़िला में सुगंधित व औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तकनीकी जानकारियां उपलब्ध करवाने के साथ विभिन्न फसलों की पौध , डिस्टलेशन यूनिट और तैयार उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार भी उपलब्ध करवाना शामिल किया गया है ।
उद्यान विकास अधिकारी सलूणी डॉ अनिल डोगरा बताते हैं कि जिला प्रशासन द्वारा हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर के साथ किए गए समझौते के अंतर्गत विकासखंड सलूणी की ग्राम पंचायत सुरी के गांव पखेड में 2018 में ऑयल डिस्टलेशन यूनिट की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि चामुंडा कृषक सोसायटी चकौली मेड़ा के सदस्यों द्वारा जंगली गेंदे की खेती की जा रही है और इस डिस्टलेशन यूनिट के माध्यम से तेल निकालकर अपना रोजगार चला रहे हैं ।
उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस सोसाइटी द्वारा गत 3 वर्षों में लगभग 250 किलोग्राम का उत्पादन किया है।
उन्होंने कहा कि विकास खंड सलूणी के किसानों को अरोमा मिशन के अंतर्गत जिला प्रशासन के सहयोग आईएचबीटी पालमपुर द्वारा लैवंडर पौधे वितरित किए गए। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकें और स्वरोजगार की ओर बढ़ सके।
उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में हिमालयन जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा ज़िला में विभिन्न स्थानों में 13 डिस्टलेशन यूनिट (सघन तेल आसवन इकाई) स्थापित किए जा चुके हैं ।
प्रल्हाद भक्त राज्य सरकार की योजनाओं के सफल कार्यान्वयन और सही दिशा में की गई मेहनत के सुखद परिणामों की जीती जागती मिसाल है। उनकी सफलता की कहानी अनेकों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध हो रही है और बड़ी संख्या में लोग स्वरोजगार लगाने को प्रेरित हो रहे हैं।