जैसी की उम्मीद थी कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक ने बैंकिंग संकट के बीच नीतिगत दरों में बढ़ोतरी कर दी है। फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की है।
फेडरल रिजर्व के इस कदम के बाद प्रमुख नीतिगत दरें 4.75-5.0 फीसदी पहुंच गई है। अमेरिका में 6 फीसदी (फरवरी) के करीब महंगाई को देखते हुए फेड रिजर्व ने यह कदम उठाया है। क्योंकि अभी भी अमेरिका में महंगाई दर उसके टारगेट 2 फीसदी से कहीं ज्यादा है।
नीतिगत दरों में बढ़ोतरी का ऐलान करते हुए फेड रिजर्व ने यह भी संकेत दिया है कि ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी का दौर अब थम सकता है। फेड रिजर्व के इस ऐलान का अमेरिकी शेयर बाजार में पॉजीटिव असर हुआ है। और ऐलान के बाद S&P 500 में 0.26 फीसदी की तेजी आई है। फेड के फैसला गुरुवार को भारतीय और एशियाई शेयर बाजारों पर सकारात्मक असर दिख सकता है।
अब केवल एक और बढ़ोतरी की उम्मीद
फेड रिजर्व ने नीतिगत दरों में बढ़ोतरी का ऐलान करते हुए कहा है कि अमेरिकी बैकिंग सिस्टम मजबूत और लचीला है। हाल की घटनाओं से आम लोगों और कारोबारियों के लिए कर्ज लेना मुश्किल होगा। और उसका असर नौकरियां और आर्थिक गतिविधियों पर दिखेगा। हालांकि इस समय पहली प्राथमिकता महंगाई है। जिसे नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। और समिति महंगाई को लेकर सचेत है। फेड के फैसले के बाद डॉलर इंडेक्स में 0.465 फीसदी की गिरावट आई है।
आज के फैसले से इस बात के भी संकेत मिले है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दौर अब थम सकता है। और उसमें इस साल केवल एक बार और 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि फेड चेयरमैन जीरोम पॉवेल आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती की संभावना को खारिज कर दिया है। फेड रिजर्व के फैसले के बाद ओवरनाइट इंटरेस्ट रेट 4.75-5.0 फीसदी के बीच पहुंच गया है। जो कि साल 2007 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है।
बेरोजगारी और ग्रोथ रेट पर फेड ने क्या कहा
फेड रिजर्व ने बेरोजगारी दर में मामूली गिरावट की बात कही है। रिपोर्ट के अनुसार इस साल के अंत तक अमेरिका में बेरोजगारी दर 4.5 फीसदी रह सकती है। जो कि दिसंबर 2022 के अनुमान 4.6 फीसदी के मुकाबले थोड़ी कम है। हालांकि मौजूदा 3.6 फीसदी रेट से कहीं ज्यादा है।
इसी तरह महंगाई दर इस साल के अंत तक 3.1 फीसदी पर आ सकती है। इसके पहले फेड रिजर्व ने 3.3 फीसदी का आंकलन किया था। साफ है कि महंगाई पर फेड रिजर्व को राहत की उम्मीद दिख रही है। जहां तक ग्रोथ रेट की बात है तो इस साल अमेरिका की ग्रोथ रेट 0.4 फीसदी रह सकती है। जबकि इसके पहले दिसंबर में फेड रिजर्व ने इस साल के लिए 0.5 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया था। वहीं 2024 के लिए फेड रिजर्व ने अब 1.6 फीसदी की जगह 1.2 फीसदी जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान जताया है। ग्रोथ रेट में कमी का असर बाजार पर भी नकारात्मक हुआ है। और उसमें शुरुआती बढ़त के बाद मामूली गिरावट का रुख बना हुआ है।
भारत पर क्या होगा असर
जिस तरह अमेरिकी फेड रिजर्व ने उम्मीदों के अनुरूप नीतिगत दरों में कम आक्रामक रुख अपनाया है। और उसके बाद अमेरिकी स्टॉक मार्केट ने पॉजीटिव संकेत दिया है। उसे देखते हुए गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार और दूसरे एशिया बाजार में पॉजीटिव रुख देखने को मिल सकता है। इसके पहले अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट को देखते हुए दुनिया भर में कई दिनों से गिरावट का रुख जारी है।