हमज़ा यूसुफ़ शुरू से ही इस ओहदे के लिए पसंदीदा उम्मीदवार थे और ख़ुद निकोला स्टर्जन समेत पार्टी के ज़्यादातर नेता उनके हक़ में थे.
शपथ लेने के बाद जल्दी ही वो अपनी कैबिनेट का एलान करेंगे.
इस चुनाव में स्वास्थ्य मंत्री हमज़ा यूसुफ़ को अपने दो प्रतिद्वंदियों की तुलना में स्कॉटलैंड की संसद ही नहीं ब्रिटिश संसद में स्कॉटलैंड के भी ज़्यादातर संसद सदस्यों का समर्थन मिला था.
डिप्टी फ़र्स्ट मिनिस्टर जॉन स्विनी ने तो भविष्यवाणी की थी कि हमज़ा यूसुफ़ ‘स्कॉटलैंड की आज़ादी की लड़ाई को उसकी मंज़िल तक पहुंचाएंगे.’
इसमें कोई दो राय नहीं कि नेतृत्व के मुक़ाबले में उतरे तीनों उम्मीदवारों में हमज़ा यूसुफ़ सबसे तज़ुर्बेकार हैं.
वो 2012 से ही सरकार में अलग-अलग पदों पर रहे हैं. इनमें न्याय और परिवहन मंत्री के पद भी शामिल रहे हैं.
हमज़ा के समर्थक कहते हैं कि वो एक ज़बरदस्त वक़्ता हैं. इसीलिए, नेतृत्व के लिए कड़े मुक़ाबले के बाद वो पार्टी को एकजुट करने और स्कॉटिश ग्रीन्स पार्टी के साथ सत्ता में साझेदारी के गठबंधन को आगे बढ़ाने के लिए सबसे उपयुक्त नेता हैं.
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हमज़ा यूसुफ़ ने नेतृत्व की लड़ाई में केट फ़ोर्ब्स को हराया‘निरंतरता के उम्मीदवार’
हमज़ा यूसुफ़, निकोला स्टर्जन के क़रीबी सहयोगी रहे हैं और आमतौर पर उन्हें अब तक चले आ रहे सिलसिले को ही आगे बढ़ाने वाले उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा था, जो निकोला स्टर्जन के काम को आगे ले जाएंगे.
वो नेतृत्व के मुक़ाबले में उतरे तीन लोगों में से अकेले ऐसे उम्मीदवार थे, जिन्होंने कहा था कि वो स्टर्जन के अदालतों में लैंगिक पहचान के विवादित सुधार प्रस्ताव पर ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदी को हटाने के लिए काम करेंगे.
हमज़ा यूसुफ़ ने तर्क दिया था कि स्कॉटलैंड की आज़ादी तभी हासिल की जा सकेगी, जब उनकी पार्टी, ‘तरक़्क़ीपसंद मूल्यों’ को आगे बढ़ाती रहेगी.
लेकिन, हमज़ा ने इस बात पर भी ज़ोर दिया था कि वो अदालत तभी जाएंगे, जब उनके क़ानूनी सलाहकार इस बात का यक़ीन दिलाएंगे कि वो पाबंदी हटाने की चुनौती में जीत हासिल कर लेंगे.
हमज़ा यूसुफ़ ने अगले चुनाव को आज़ादी का जनमत संग्रह बनाने की निकोला स्टर्जन की योजना से ख़ुद को अलग कर लिया था, और कहा था कि इसके बजाय वो आज़ादी के हक़ में एक ‘टिकाऊ बहुमत’ तैयार करेंगे. उन्होंने ये भी कहा था कि ‘स्वतंत्रता के समर्थन के लिए वोट को 50 से 51 प्रतिशत करना पर्याप्त नहीं’ है.
हालांकि, हमज़ा यूसुफ़ ने आबादी के उस तबक़े को भी रिझाने की कोशिश की है, जो आज़ादी हासिल करने के लिए बेक़रार है.
इसके लिए हमज़ा ने कहा था कि वो मध्यावधि चुनाव कराने पर विचार करेंगे ताकि ये पता लगाया जा सके कि ब्रिटेन से अलग होने को कितने लोगों का समर्थन मिल रहा है.
हमज़ा यूसुफ़ ने उन दावों को भी ख़ारिज किया था कि पार्टी के नेता हर वो काम करेंगे, जिससे नेतृत्व के मुक़ाबले में हमज़ा की जीत हो.
हमज़ा को ये सफ़ाई उस वक़्त देनी पड़ी थी, जब चुनाव अभियान की सीमा घटा दी गई और आरोप लगे कि ये सब उन्हें फ़ायदा पहुंचाने के लिए किया गया.
और हमज़ा ने ये भी कहा कि वो विवादित नीतियों जैसे कि नई राष्ट्रीय देख-रेख सेवा शुरू करने और बोतल वापस करने जैसे प्रस्तावों पर लोगों की चिंताओं को समझने की कोशिश करेंगे.
हमज़ा यूसुफ़ को अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में कहीं अधिक वोट मिले‘मैं अपने तरीक़े से काम करूंगा’
चुनाव अभियान के दौरान हमज़ा यूसुफ़ बीबीसी स्कॉटलैंड के संडे शो पर आए थे. उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि वो किसी के कठपुतली उम्मीदवार नहीं हैं और जीतने पर ‘अपने तरीक़े से काम करेंगे’.
हमज़ा यूसुफ़ ने अपने बयान में ये बात भी जोड़ी थी कि, ‘निकोला स्टर्जन ने फ़र्स्ट मिनिस्टर के तौर पर जो शानदार काम किया है, मैं आपकी कल्पना के अनुरूप उसकी बहुत तारीफ़ करता हूं.
लेकिन नेतृत्व करने को लेकर उनका नज़रिया कुछ ख़ास लोगों के साथ चलने का था. मैं मुट्ठी भर लोगों से घिरे रहने के बजाय अपने साथ चलने वालों की तादाद में इज़ाफ़ा करने की कोशिश करूंगा.’
आलोचक दावा करते हैं कि हमज़ा यूसुफ़, सरकार में तो लंबे वक़्त तक रहे हैं, लेकिन उनके पास उपलब्धियों के नाम पर दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है.
लेबर पार्टी के जैकी बैली ने तो हमज़ा यूसुफ़ को, ‘अब तक के इतिहास का सबसे ख़राब स्वास्थ्य मंत्री’ कहते हुए ये भी कहा था कि अब ‘हमज़ा सबसे ख़राब फ़र्स्ट मिनिस्टर बनने का ख़्वाब देख रहे हैं.’
लेकिन, हमज़ा यूसुफ़ की सबसे कड़ी आलोचना तो ख़ुद उनकी अपनी स्कॉटिशन नेशनल पार्टी के नेता पद की उम्मीदवार केट फ़ोर्ब्स ने की थी. टीवी पर एक लाइव परिचर्चा के दौरान केट ने हमज़ा से कहा था कि, ‘जब आप परिवहन मंत्री थे, तो ट्रेनें कभी वक़्त पर नहीं आती थीं. जब आप न्याय मंत्री थे तो पुलिस पर काम का बोझ बेतहाशा बढ़ गया था, और अब स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर हम देख रहे हैं कि मरीज़ों के इलाज के लिए अस्पताल में इंतज़ार का वक़्त रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.’
नेतृत्व के मुक़ाबले के दौरान हमज़ा यूसुफ़ और केट फ़ोर्ब्स की टक्कर सबसे अहम रही थी. हमज़ा यूसुफ़ ने चुनाव अभियान के दौरान दावा किया था कि समलैंगिक शादियों, ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों और गर्भपात जैसे सामाजिक मुद्दों पर उनकी प्रतिद्वंदी प्रत्याशी की राय को देखते हुए ऐसा लगता है कि अगर वो नेता चुनी गईं तो पार्टी ‘दक्षिणपंथ की ओर झुक जाएगी’.
हालांकि, हमज़ा यूसुफ़ को 2014 में समलैंगिक शादियों को मंज़ूरी देने के आख़िरी मतदान में हिस्सा न लेने पर भी सवालों का सामना करना पड़ा है. अपनी सफ़ाई में हमज़ा ने ये कहा था कि वो उस वक़्त ईशनिंदा के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद स्कॉटलैंड के एक नागरिक को लेकर अहम बैठक में मसरूफ़ थे और इसी वजह से वो उस मतदान में हिस्सा नहीं ले सके थे.
हालांकि, उस वक़्त स्कॉटलैंड के फ़र्स्ट मिनिस्टर रहे एलेक्स सालमंड ने स्काई न्यूज़ को बताया था कि हमज़ा यूसुफ़ ने समलैंगिक शादी से जुड़े उस मतदान में इसलिए हिस्सा नहीं लिया था, क्योंकि उन पर ग्लासगो की एक मस्जिद ने दबाव बनाया हुआ था. हालांकि, हमज़ा यूसुफ़ इस आरोप को सख़्ती से ख़ारिज करते रहे हैं.
अपनी मां शाइस्ता और पिता मुज़फ़्फ़र के साथ हमज़ा यूसुफ़ब्रिटेन की एक प्रमुख पार्टी के पहले मुस्लिम नेता
जब 37 साल के हमज़ा यूसुफ़ के फ़र्स्ट मिनिस्टर या प्रथम मंत्री बनने पर तस्दीक़ की मुहर लग जाएगी, तो वो इस पद पर पहुंचने वाले किसी स्वायत्त सरकार के पहले नस्लीय अल्पसंख्यक नेता, और ब्रिटेन की एक बड़ी पार्टी के पहले मुस्लिम नेता बन जाएंगे.
हमज़ा के पिता मूल रूप से पाकिस्तान के हैं और वो 1960 के दशक में अपने परिवार के साथ स्कॉटलैंड आकर बस गए थे. वहीं, हमज़ा की मां कीनिया में एक दक्षिण एशियाई परिवार में जन्मी थीं. हमज़ा यूसुफ़ अक्सर बताते हैं कि उन्हें किस तरह नस्लवादी गालियों और भेदभाव का सामना करना पड़ा था.
नेतृत्व का मुक़ाबला शुरू होने के बाद जब उन्हें धमकियां मिलनी शुरू हुईं, तो हमज़ा को पुलिस बुलानी पड़ी थी. उन्हें धमकियां देने के आरोप में 25 साल के एक युवक और 35 बरस की एक महिला को गिरफ़्तार भी किया गया था.
हमज़ा यूसुफ़ ने शुरुआती पढ़ाई ग्लासगो के हचसंस ग्रामर स्कूल में की थी. उस स्कूल में हमज़ा स्कॉटलैंड की लेबर पार्टी के नेता अनसर सरवर से दो साल जूनियर थे.
ग्लागसो यूनिवर्सिटी से राजनीति की पढ़ाई करने के बाद, हमज़ा ने कुछ समय के लिए एक कॉल सेंटर में भी काम किया था. उसके बाद वो स्कॉटलैंड की संसद में स्कॉटिश नेशनल पार्टी के सदस्य बशीर अहमद के संसदीय सहायक बन गए. बाद में वो एलेक्स सालमंड के सहायक भी बने.
2011 में हमज़ा को ग्लासगो क्षेत्र से स्कॉलटलैंड की संसद के सदस्य के तौर पर मनोनीत किया गया था. एलेक्स सालमंड ने एक साल बाद ही उनको प्रमोशन देते हुए यूरोप और अंतरराष्ट्रीय विकास विभाग का मंत्री बना दिया था.
2016 में लेबर पार्टी के टिकट पर ग्लासगो के पोलॉक क्षेत्र से चुनाव जीतने के बाद हमज़ा परिवहन मंत्री बन गए. वो चुनाव जीतने वाले हमज़ा, स्कॉटलैंड की संसद में पहुंचने वाले पहले जातीय अल्पसंख्यक उम्मीदवार थे.
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फ़र्स्ट मिनिस्टर के तौर पर निकोला स्टर्जन के 8 साल के कार्यकाल के दौरान हमज़ा उनके क़रीबी सहयोगी रहे थेहमज़ा यूसुफ़ को कई बार आलोचना झेलनी पड़ी
परिवहन विभाग संभालने के छह महीने बाद ही हमज़ा यूसुफ़ को पुलिस ने उनके दोस्त की गाड़ी चलाते हुए पकड़ा था, जिसका बीमा नहीं हुआ था. तब हमज़ा को 300 पाउंड जुर्माना भरने की शर्मिंदगी उठानी पड़ी और उनके लाइसेंस में छह पेनाल्टी अंक भी जोड़ दिए गए थे.
हमज़ा यूसुफ़ को परिवहन मंत्री के तौर पर स्कॉटरेल के ख़राब प्रदर्शन के लिए भी आलोचना झेलनी पड़ी थी, जब एबेलो ने उसे चलाने का ठेका लिया था. आख़िरकार स्कॉटरेल का राष्ट्रीयकरण करना पड़ा था.
2018 में हमज़ा यूसुफ़ को फ़िर प्रमोशन मिला, जब निकोला स्टर्जन ने अपनी कैबिनेट में बदलाव करके उन्हें नया न्याय मंत्री नियुक्त किया.
लेकिन, नफ़रत भरे अपराध रोकने के लिए लाया गया उनका प्रमुख विधेयक विवादों में फंसा रहा. इस बिल को लेकर डर जताया गया कि ‘नफ़रत भड़काने’ के इस नए अपराध का अभिव्यक्ति की आज़ादी पर गहरा असर पड़ेगा.
आलोचक कहते हैं कि इस विधेयक से पुस्तकालयों और किताबों की दुकानों पर विवादित पुस्तकें रखने के लिए मुक़दमों का सामना करना पड़ सकता है, और इस नए क़ानून के तहत तो लोगों को अपने घरों में आपसी बातचीत के लिए भी अपराधी ठहराया जा सकता है.
इस विधेयक के बारे में स्कॉटिश नेशनल पार्टी के पूर्व नेता जिम सिलार्स ने कहा था कि, ‘ये तो ब्रिटेन के किसी भी हिस्से की सरकार द्वारा आधुनिक दौर में अब तक लाया गया सबसे घातक और ख़तरनाक क़ानून है.’
कई बदलावों के बाद आख़िरकार 2021 में स्कॉलैंड की संसद ने इस विधेयक को मंज़ूरी दे दी थी. लेकिन विधेयक अब तक क़ानून के तौर पर लागू नहीं किया गया है.
हमज़ा यूसुफ़ को एक ट्वीट के लिए भी कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था. असल में उन्होंने एक वीडियो को ‘बेहद घटिया’ कहते हुए ट्वीट किया था. दावा किया गया था कि वीडियो में रेंजर्स खिलाड़ी जातिवादी ज़ुबान का इस्तेमाल कर रहे थे. लेकिन, बाद में पता चला कि वो वीडियो फ़र्ज़ी था.
जब डंडी शहर के पास ब्राउटी फेरी पुलिस थाने की छत गिर गई, तो हमज़ा ने स्कॉटलैंड पुलिस की इमारतों को लेकर जताई जा रही चिंताओं को ख़ारिज किया था. इसे लेकर भी उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. हमज़ा यूसुफ़ हाल ही में उस क़स्बे में रहने आए थे.
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मई 2021 में स्वास्थ्य मंत्री बनने के तीन महीनों के भीतर ही हमज़ा यूसुफ़ को 10 बच्चों को कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती कराए जाने का ग़लत दावा करके ‘बेवजह घबराहट फैलाने’ के लिए माफ़ी मांगनी पड़ी थी.
स्कॉटलैंड की संसद में एक स्कूटर चलाते वक़्त गिरने के लिए भी हमज़ा यूसुफ़ की काफ़ी चर्चा हुई थी. उस वक़्त हमज़ा, बैडमिंटन खेलते वक़्त चोटिल हुई टांग की वजह से स्कूटर से संसद परिसर में चला करते थे.
जब बीबीसी स्कॉटलैंड के पॉलिटिकल एडिटर ग्लेन कैम्पबेल ने उनके गिरने का वीडियो ट्वीट किया था, तो हमज़ा यूसुफ़ ने जवाब दिया था कि: ‘अगर प्लास्टर बांधे हुए कोई और इंसान स्कूटर या व्हीलचेयर से गिरा होता, तो क्या तब भी आप सबसे पहले ये वीडियो बनाकर ट्वीट करते?’
स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर हमज़ा के कार्यकाल को अस्पतालों में इंतज़ार के वक़्त में बेतहाशा इज़ाफ़े के लिए याद किया जाता है. हालांकि हमज़ा कहते हैं कि ये परेशानी अकेले स्कॉटलैंड में नहीं है और स्कॉटलैंड भी उसी ब्रिटेन का ही हिस्सा है, जिसने बमुश्किल राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के कर्मचारियों की हड़ताल से ख़ुद को बचाया है.
हमज़ा यूसुफ़ के समर्थकों में ब्रिटिश संसद में स्कॉटिश नेशनल पार्टी के नेता स्टीफ़न फ़्लिन और जॉन स्विनी भी शामिल हैं. वो हमज़ा की उपलब्धियों की तरफ़ इशारा करते हुए गिनाते हैं कि जब हमज़ा पर परिवहन की ज़िम्मेदारी थी, तब उन्होंने क्वींसफ़ेरी चौराहे का काम सही समय और तय से कम बजट में पूरा किया. और, न्याय मंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल में अपराध के आंकड़े भी कम हुए थे.
स्टीफ़न फ़्लिन कहते हैं कि उन्हें इस बात का यक़ीन है कि देश की आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए हमज़ा सबसे उपयुक्त इंसान हैं. फ़्लिन ने एक और दो साल के बच्चों की देख-रेख की योजना के विस्तार के हमज़ा के प्रस्ताव की तारीफ़ करते हुए कहा कि, ‘ये योजना कामकाजी परिवारों ही नहीं स्कॉटलैंड की अर्थव्यवस्था के लिए असली गेमचेंजर साबित होगी.’
हमज़ा यूसुफ़ और उनकी पत्नी नादिया अल-नकाला ने हाल ही में एक नर्सरी के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई रोक दी थी, जिस पर उन्होंने भेदभाव का इल्ज़ाम लगाया था‘नर्सरी में भेदभाव का विवाद’
हमज़ा यूसुफ़ और उनकी पत्नी नादिया अल-नकाला- जो डंडी से स्कॉटिश नेशनल पार्टी की पार्षद हैं- ने हाल ही में एक नर्सरी के ख़िलाफ़ 30 हज़ार पाउंड का क़ानूनी दावा वापस ले लिया था. दोनों ने नर्सरी पर भेदभाव का आरोप लगाया था.
पति-पत्नी का दावा था कि नर्सरी की तरफ़ से उन्हें ये बताया गया था कि ब्राउट फ़ेरी की उस नर्सरी में उनकी बेटी के लिए जगह नहीं है. लेकिन,’ गोरे और स्कॉटलैंड के लगने वाले नामों के बच्चों’ की भर्ती की अर्ज़ियां स्वीकार की जा रही थीं.
नर्सरी ने कहा था कि ऐसा कोई भी दावा साफ़ तौर पर ग़लत है कि उसके दरवाज़े सभी तबक़ों के लिए खुले नहीं हैं. नर्सरी ने ये भी कहा उसे एक ‘छोटी सी नर्सरी के ख़िलाफ़ झूठे दावे का मुक़ाबला करने के लिए हज़ारों पाउंड की रक़म ख़र्च करनी पड़ी’ थी.
इससे पहले द केयर इंस्पेक्टरेट ने हमज़ा यूसुफ़ और उनकी पत्नी द्वारा नर्सरी के ख़िलाफ़ दायर किए गए औपचारिक दावे को सही माना था.