Bholaa Review: अजय देवगन की दमदार एक्टिंग ने फिल्म में फूंकी जान, रोगटे खड़े कर देने वाले हैं एक्टर के कारनामे।ललाट पर भभूत मले और हाथों में त्रिशूल लिए और चौदह साल के बाद जेल से छूटे शख्स ‘भोला’ की भूमिका में अजय देवगन ने इसमें एक ऐसे एक्शन हीरो के रूप में नजर आए हैं जिसे देखकर शेर भी दुम दबाकर भाग जाता है।
ये भोला कई गुडों की ऐसी पिटाई करता है कि सामने वालों के पास हिम्मत नहीं बचती और वे उसे अपनी कमीज भी उतारकर दे देते हैं।
‘भोला’ तमिल फिल्म ‘कैथी’ का हिंदी रिमेक है। अपने ही निर्देशन में अजय देवगन ने इसमें उस भोला का किरदार निभाया है जो पुराना अपराधी है और जिसकी बेटी अनाथाश्रम में रहती है। जिस दिन उसकी रिहाई होने वाली है।
उसके अगले दिन वो अपनी बेटी से मिलने जानेवाला है लेकिन रास्ते में ही उसे पुलिस पूछताछ के लिए पकड़ लेती है। इसी कारण वो पुलिस वालों की एक ऐसी पार्टी में पहुंच जाता है। जहां शराब पी जा रही है। चूंकि शराब में नशा मिला दिया है इसलिए उसे दो घूंट ही पीकर पुलिस वाले बेहोश हो जाते हैं।
नशा मिलाने वाला अपराधियों का एक गिरोह है। उत्तर प्रदेश के लालगंज थाने में जब्त हजार करोड़ की कोकीन छुड़ाना चाहता है। ऐसीपी डायना (तब्बू) भोला को कहती हैं वो ट्रक में भरकर इन पुलिस वालों को काफी दूर अस्पताल ले चले। क्या भोला मानेगा और क्या वो ये काम कर पाएगा क्योंकि रास्ते में अपराधियों के कई गिरोह उनकी राह रोकने वाले हैं।
फिल्म मुख्य रूप से एक्शन से भरपूर है कोई शक नहीं, अपने इस रोल में अजय देवगन ने कई ऐसे कारनामे दिखाए हैं जो रोगटे खड़े कर देने वाले हैं। खासकर थ्री डी में होने की वजह से कई जगहों पर लगता है कि भोला का घूंसा आपके सीने पर आने ही वाला है।
फिल्म का जजबाती पहलू ये है कि भोला अपनी छोटी सी बेटी से मिलने को आतुर है और बेटी भी बेकरार है। बस फिल्म में अजय देवगन का वो रोमांटिक सीन विश्वसनीय नहीं लगता है कि जो फ्लैशबैक है और जिससें भोला अपनी अपनी प्रेमिका और पत्नी (अमला पॉल) के साथ इश्क कर रहा है। संजय मिश्रा का हवलदार के रूप में काम भी बेहद प्रभावशाली है।
By जनसत्ता