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एक अप्रैल से पेनकिलर, डायबिटीज और दिल की दवाएं हुई महंगी, यहाँ जानिए कहाँ से ले सकते सस्ती दवाइयां

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एक अप्रैल से पेनकिलर, डायबिटीज और दिल की दवाएं हुई महंगी, यहाँ जानिए कहाँ से ले सकते सस्ती दवाइयां।पेनकिलर, एंटीबायोटिक, एंटीइन्फेक्टिव और कार्डिएक दवाएं महंगी हो गई है। इनकी कीमत 1 अप्रैल से 12% बढ़ गई है। एसेंशियल यानी जरूरी दवाओं समेत 384 दवाइयों के दाम इस बार फिर से बढ़े हैं।

यह लगातार दूसरा साल है, जब शेड्यूल्ड दवाओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी नॉन-शेड्यूल्ड दवाओं की तुलना में ज्यादा हुई है।

दवाइयों की कीमत बढ़ाने का काम कौन करता है?
दवाइयों की कीमतें घटाने-बढ़ाने का काम नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी करती है। हर साल होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) के आधार पर NPPA दवाओं की कीमतों में बदलाव करती है।

हम कहा से सस्ती दवाइयां खरीद सकते है ?
सरकार ने हर छोटे-बड़े शहर में जन औषधि केंद्र खोले हैं, जहां से जेनरिक दवाइयां खरीद सकते हैं। इनकी कीमत कम होती है।
मेडिकल स्टोर वाले 15% से 20% तक की छूट ब्रांडेड दवाइयां पर भी देते हैं, आप ऐसी किसी दुकान को चुनें जो आपको ज्यादा छूट दें।
सरकारी अस्पताल, डिस्पेंसरी और चिकित्सा केंद्र से भी सस्ती दवाइयां ले सकते हैं।
ऑनलाइन कई वेबसाइट हैं जो दवाइयां डिस्काउंट रेट पर देती हैं। वहां से खरीद सकते हैं।

जेनरिक दवाइयां क्या होती है?
जेनेरिक दवाइयां उन दवाओं को कहा जाता है जिनका कोई अपना ब्रांड नेम नहीं होता है। वह अपने सॉल्ट के नाम से ही मार्केट में जानी-पहचानी जाती है।पैकेजिंग से लेकर मार्केट में आने तक इन दवाइयों का कोई प्रचार-प्रसार नहीं होता है। ये दवाइयां मरीज के शरीर पर ब्रांडेड दवाइयों जितना ही काम करती है। बुखार होने पर पैरासिटामोल खाया जाता है। इसके लिए डोलो, कैलपोल और क्रोसिन मार्केट में मिलती है। यह सारी ब्रांडेड है।

जेनेरिक दवाएं कितनी सस्ती होती है ?
जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड की तुलना में 10% से 20% तक सस्ती होती हैं। फार्मा कंपनियां ब्रांडेड दवाइयों की रिसर्च, पेटेंट और विज्ञापन पर काफी पैसा खर्च करती हैं। जबकि जेनेरिक दवाइयों की कीमत सरकार तय करती है और इसके प्रचार-प्रसार पर ज्यादा खर्च भी नहीं होता।

जेनरिक दवाइयां मिलती कहां है?
यह किसी भी मेडिकल स्टोर पर मिल जाती है। चूंकि आप दुकानदार से मांगते नहीं कि इसलिए वो आपको ज्यादा कीमत वाली ब्रांडेड दवा बेच देता है।दूसरा आप जन औषधि केंद्र से भी जेनरिक दवाइयां खरीद सकते हैं। जन औषधि अभियान सरकार ने पब्लिक को अवेयर करने के लिए शुरू किया है।

जन औषधि केंद्र का कैसे पता करें?
देश में जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं, ऐसे में आप गूगल सर्च करके पता कर सकते हैं कि आपके घर के पास कौन सा जन औषधि केंद्र है।
जन औषधि केंद्र का ऐप भी प्ले स्टोर पर है। ‘जन औषधि सुगम’ यानी Jan Aushadhi Sugam। इसे मोबाइल पर डाउनलोड कर लें। इस एप्लिकेशन की मदद से आपकी लोकेशन के पास बने जन औषधि केंद्र का पता लगा सकते हैं।

क्या ऑनलाइन दवा ऑर्डर करना क्या सेफ है?
ड्रग्स कंट्रोल मीडिया सर्विसेज के सी.बी.गुप्ता कहते हैं कि ऑनलाइन दवा मंगवाने से पहले 4 बातें याद रखें.

भरोसेमंद वेबसाइट से ही दवा ऑर्डर करें।
जो साइट्स डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना दवा नहीं बेचती, उनसे ही दवाइयां मंगवाएं।
रिर्टन पॉलिसी वेबसाइट की चेक करें, अगर वापसी का ऑप्शन नहीं तो दवा न मंगवाएं।
क्वालिटी या कीमत पर अगर कोई सवाल है तो कस्टमर केयर से बात करें।

क्या होती हैं शेड्यूल दवाई?
उन दवाइयों को शेड्यूल दवाई कहा जाता है जिसे आप डॉक्टर की सलाह और प्रिस्क्रिप्शन के बिना खरीद नहीं सकते हैं। किस मात्रा में दवाई लेनी है यह डॉक्टर ही बताते हैं। इसकी कीमत केंद्र सरकार की अनुमति के बगैर नहीं बढ़ाया जा सकता है।

तो फिर एसेंशियल ड्रग्स की परिभाषा क्या है?
सरल शब्दों में समझें तो एसेंशियल ड्रग्स वो दवाइयां है जो जान बचाने के लिए इस्तेमाल होती है। जैसे एड्स, कैंसर और दिल की बीमारियों से जुड़ी दवाइयां।कुछ ग्रुप ऑफ डिजीज एसेंशियल ड्रग्स के लिए परिभाषित भी किए गए हैं जैसे बीपी, डायबिटीज इससे जान को खतरा होता है और यह दवाइयां लाइफ लॉन्ग लेनी पड़ती हैं। वजन कम करने और अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती है ये ड्रिंक, जानिए बनाने की विधि

By News Remind

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