यह बहुत अच्छा है की कोई भी राजनैतिक पार्टी जनता से वायदे करे और लोक लुभावन घोषणाएं करे। पर उसे यह बताना भी जरूरी है की वो कैसे उन वायदों को पूरी करेगी या निभा पाएगी,और जनता जनार्दन को भी जानना भी बहुत जरूरी है की वो राजनैतिक पार्टियोंसे सवाल करे।अक्सर यह देखा गया है की जनता की वोट पाने के चक्कर में वो वायदे कर देते है जो की पांच साल भी धूल चाटते रहते है। वैसे भी आजकल रवेडी कल्चर शुरू हो गया है और भी फ्री में जनता को। इसका नतीजा यह होता है को जो पैसे विकास और लोक कल्याण में लगना था वो लग गया मुफ्त की चीज़ों को देने पर। विकास और समाजिक उत्थान पर लग गया बट्टा। एक बार मुफ्त की आदत लगे जाए और कैसे वो बाद में उसका त्याग करे ।
अगर आप कुछ करना चाहते हो तो शिक्षा,स्वास्थ्य और विकास कार्य पर करे, ताकि व्यक्ति विशेष को मुफ्तखोरी की आदत न लग जाए और वो अपना कर्म पथ ही छोड़ दे। राजनैतिक लोगो का क्या है , लोक लुभावन लोभ दे के वोट हासिल करने की कोशिश करेंगे और सरकारी खजाने को खाली कर देंगे।यह पैसे तो आपका और मेरा है, प्रदेश कर्जे पर कर्जा ले लिया जाता है और अगला काम बनता रहता है।सरकार की कमाई तो कर्जे का ब्याज देने में लग जाती है, पैसे लोगो के कल्याण में कहां लगेगा।यह फ्री कल्चर हर राज्य में फैशन बनता जा रहा है।इसके के लिया जनता को जागने की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ियों को हम समावेशी वातावरण और भविष्य दे सके जो की हर व्यक्ति की मेहनत और प्रयास से ओतप्रोत हो। अब चुनाव में राजनैतिक नेता आपको रेवाड़ी या अनरलग वायदे करे उस से पूछा जाए कि कैसे सम्भव होगा,?
संपादक की कलम से।