0 0 lang="en-US"> हरियाणा-पंजाब से वाटर सेस नहीं ले सकेगा हिमाचल - ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क
Site icon ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क

हरियाणा-पंजाब से वाटर सेस नहीं ले सकेगा हिमाचल

Spread the Message
Read Time:3 Minute, 48 Second

हरियाणा-पंजाब से वाटर सेस नहीं ले सकेगा हिमाचल। हरियाणा और पंजाब से जल विद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस (जल उपकर) वसूलने के हिमाचल सरकार के फैसले पर केंद्र सरकार ने ब्रेक लगा दिया है।

दोनों राज्यों ने हिमाचल विधानसभा द्वारा इसके लिए पास किए प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया था। केंद्र ने हरियाणा के आग्रह को स्वीकार करते हुए हस्तक्षेप किया है और हिमाचल सहित सभी राज्यों को इस संदर्भ में पत्र जारी किया है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मौजूदगी में उनके प्रधान सचिव वी. उमाशंकर ने बताया कि केंद्र सरकार से पत्र आया है, जिसमें कहा गया है कि हिमाचल प्रदेश किसी भी अंतर्राज्यीय जल समझौते का उल्लंघन नहीं कर सकता। उसे वाटर सेस लगाने का कोई अधिकार नहीं है, यदि वह ऐसा करता है तो केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान बंद किये जा सकते हैं।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि अभी तक चूंकि हिमाचल प्रदेश ने हरियाणा से किसी पैसे की मांग नहीं की है, इसलिए हम मानकर चल रहे हैं कि वाटर सेस वसूल नहीं किया जाएगा। यदि हिमाचल प्रदेश की ओर से वाटर सेस के लिए कोई पत्र व्यवहार किया जाता है, तो हरियाणा न तो उसका भुगतान करेगा और न ही इस फैसले को स्वीकार करेगा। यह सेस न केवल प्राकृतिक संसाधनों पर राज्य के विशेष अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि बिजली उत्पादन के लिए अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी है।

1200 करोड़ रुपये जुटाने का था लक्ष्य : वाटर सेस से हिमाचल को 1200 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद थी। इसमें से 336 करोड़ रुपये हरियाणा सरकार को वहन करने थे। वर्तमान में हरियाणा को कुल 1325 मेगावाट बिजली हिमाचल प्रदेश के हाइड्रो प्लांट से मिलती है। इसमें से 846 मेगावाट बीबीएमबी के माध्यम से, 64 मेगावाट नाथपा झाकड़ी से और 415 मेगावाट एनएचपीसी के माध्यम से मिलती है। उपकर लगने के बाद यह बिजली हरियाणा को महंगी पड़ती।

हरियाणा का तर्क है कि हिमाचल सरकार का यह फैसला अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम 1956 के खिलाफ है।

दोनों राज्यों ने पास किये थे प्रस्ताव : हिमाचल प्रदेश में प्रस्ताव पास होने के बाद हरियाणा की मनोहर सरकार और पंजाब की भगवंत मान सरकार ने अपनी-अपनी विधानसभा में प्रस्ताव पास करके इसे अंतर्राज्यीय समझौतों का उल्लंघन बताया था। साथ ही, केंद्र को प्रस्ताव भेजा था, ताकि हिमाचल के कदम को रोका जा सके। केंद्र की ओर से दिए गए दखल के बाद अब हिमाचल प्रदेश का फैसला लागू होने की संभावनाएं टल गई हैं।

By दैनिक ट्रिब्यून

Happy
0 0 %
Sad
0 0 %
Excited
0 0 %
Sleepy
0 0 %
Angry
0 0 %
Surprise
0 0 %
Exit mobile version