जहां साल में 6 महीने पड़ती है बर्फ, कड़ाके की सर्दी वाले पांगी में सेवाएं देने खुद आगे आई महिला IAS रितिका जिंदल।
हिमाचल प्रदेश के चंबा जिला का पांगी एरिया कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाला जनजातीय क्षेत्र है. अकसर जनजातीय क्षेत्रों में नौकरी करने से पुरुष कर्मचारी भी कतराते हैं. कारण वहां की मुश्किल परिस्थितियां हैं, लेकिन एक महिला आईएएस अफसर ने पांगी में स्वेच्छा से पोस्टिंग मांग कर समूचे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर खींचा है. आईएएस अफसर रितिका जिंदल ने अपनी इच्छा से चंबा जिला के पांगी एरिया में पोस्टिंग मांगी है. हिमाचल कैडर की 2019 की आईएएस अधिकारी रितिका अब पांगी की रेजीडेंट कमिश्नर होगी. वे अभी सरकाघाट की एसडीएम थी. रितिका मूल रूप से पंजाब के मोगा की रहने वाली हैं. वे दिल्ली के श्रीराम कॉलेज में पढ़ी हैं. वे निजी जीवन में भी कठिन परिस्थितियों से जूझती आई हैं. जिस समय वे आईएएस की ट्रेनिंग के लिए मसूरी में थी, उन्होंने अपने पेरेंट्स को खो दिया था.
रितिका जिंदल महज 22 साल की आयु में आईएएस अफसर बनी. वे 12वीं क्लास में सीबीएसई की टॉपर्स में से एक थी. वे कॉमर्स ग्रेजुएट हैं. रितिका ने अपने पेरेंट्स को कैंसर के कारण खो दिया था. उन्होंने अपनी कम आयु में बड़ी मुसीबतों का सामना किया है. अब वे पांगी में सेवाएं देने के लिए स्वेच्छा से आगे आई हैं. इस समय सोशल मीडिया पर रितिका के इस फैसले की तारीफ हो रही है. पांगी में भारी बर्फबारी होती है. कड़ाके की सर्दी के बीच आम जनता की परेशानियों को दूर करने के लिए प्रशासन पर काफी दबाव रहता है.
रेजीडेंट कमिश्नर का काम ऐसे में चुनौतीपूर्ण हो जाता है. खासकर पांगी से मरीजों को एयर लिफ्ट करने के लिए विभिन्न एजेंसियों में सामंजस्य बिठाने में सक्रियता से काम करना पड़ता है. रितिका जिंदल का कहना है कि वे पांगी में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करने के लिए उत्साहित हैं. सोशल मीडिया में रितिका जिंदल के इस कदम की खूब तारीफ हो रही है. हिमाचल में तो आम जनमानस में कहावत है कि यदि किसी को सजा देनी हो तो उसे जनजातीय इलाकों में भेजा जाता है. खैर, आधुनिक समय में जनजातीय इलाकों में सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन अभी भी नौकरी पेशा लोग पांगी ट्रांसफर से बचने का प्रयास करते हैं. रितिका जिंदल ने स्वेच्छा से पांगी जाने की हामी भरी है, उम्मीद है कि इससे अन्य कर्मचारी भी प्रेरणा लेंगे।
By ETV Bharat हिंदी