ऊना, 9 मई – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत खंड स्तर पर चयनित 60 कृषि सखियों को मिलिट्स की खेती बारे एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण शिविर में कृषि सखियों को हिमाचल प्रदेश में टिकाऊ कृषि व पोषण सुरक्षा हेतू “मिलिट्स की खेती एक अच्छा विकल्प” प्रेजैंटेशन के माध्यम से कंगनी, रागी, जौं, ज्वार, बाजरा, सांवक, कोदा व कुटकी की खेती व पोषण सुरक्षा पर सम्पूर्ण जानकारी दी। इसके अलावा ऊना जिला में उगाई जाने वाले मुख्य मिलिट्स रागी, कंगनी व बाजरे की खेती की बीजाई का समय, बीज की किस्म व मात्रा, फसल प्रबंधन बारे भी कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया गया।
कृषि विज्ञान केन्द्र ऊना की कार्यक्रम समन्वयक डाॅ योगिता शर्मा ने बताया कि पौष्टिकता व मूल्यवर्द्धक उत्पाद जैसे मिश्रित आटा, लडडू व बिस्किट बनाकर महिलाओं के लिए आय के रूप में एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव हो सकता है जब जिले में खरीफ मौसम में किसान इसकी खेती करेंगे। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा प्रत्येक खंड स्तर पर मिलिट्स के बीज उपलब्ध है।
आतमा ऊना के परियोजना निदेशक डाॅ संतोष शर्मा ने प्राकृतिक खेती के तहत मिलिट्स की खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि आतमा ऊना द्वारा जिला की 5 महिलाओं को मिलिट्स के मूल्यवर्द्धक उत्पाद बनाने पर राज्य स्तर पर प्रशिक्षण करवाया गया है। उन्होंने कृषि सखियों को व्यक्तिगत स्तर पर मिलिट्स की खेती व मिलिट्स को अपनी दैनिक डाईट में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर डाॅ संजय कुमार, डाॅ दीपाली, विषयवाद विशेषज्ञ प्यारो देवी, एनआरएलएम की डीपीएम ज्योति शर्मा उपस्थित रही।