ऊना 16 जून : किशोरावस्था में बच्चों में नई चीज़ों के प्रति जिज्ञासा प्राकृतिक रूप से विकसित हो रही होती है तथा इस आयु में बच्चों में सही व गलत का निर्णय लेने की समझ का अभाव रहता है। जिसके कारण बच्चे नशे की चपेट में आ रहे हैं। यह बात एसडीएम ऊना विश्वमोहन देव चौहान ने शुक्रवार को ज़िला ऊना में चलाए जा रहे नशामुक्त अभियान के तहत ऊना उपमण्डल के सरकारी व गैर सरकारी स्कूल के प्रिंसीपल के साथ आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही।
एसडीएम ने कहा कि नशाखोरी पर की गई रिसर्च में कई चौंकाने वाले और भयानक आंकड़े सामने हैं। जिसके अनुसार नशे की चपेट में आने वाले वे बच्चे हैं, जिन्होंने पहला नशा 9 से 15 वर्ष की आयु में प्रथम बार चखा था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में घटित हो रही अप्रत्याशित घटनाओं व दुर्घटनाओं के लिए अधिकतया कारण युवाओं में मादक द्रव्यों का सेवन सामने आया है। उन्होंने कहा कि चूंकि इस उम्र में बच्चे अभिभावकों और शिक्षकों की निगरानी में होते हैं। ऐसे में मादक द्रव्यों के प्रति बच्चों को सचेत करने के लिए अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षक वर्ग की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
विश्वमोहन ने कहा कि यह नशामुक्ति अभियान एक सामूहिक अभियान है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति व परिवार से लेकर पुलिस, प्रशासन, स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग इत्यादि सभी विभागों को एक साथ लाया गया है ताकि आने वाली युवा-पीढ़ी की इससे बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत प्रत्येक स्कूल के एक शिक्षक को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो नियमित रूप से बच्चों के साथ काउंसलिंग करके उन्हें जागरुक करेंगे। इसके अलावा पीटीएम में अभिभावकों के साथ भी काउंसलिंग करें ताकि बच्चों की दैनिक गतिविधियों पर निगरानी रखी जा सके।
बैठक में उपनिदेशक शिक्षा देवेन्द्र चन्देल, रिसोर्स पर्सन नशामुक्ति अभियान विजय कुमार, पंकज पंडित तथा ऊना उपमण्डल के सभी सरकारी व निजी स्कूलों के प्रिंसीपल ने भाग लिया।
नशामुक्त समाज निर्माण में शिक्षक वर्ग की भूमिका महत्वपूर्ण : विश्वमोहन देव
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