हिमाचल प्रदेश विधानसभा की नवगठित विधायक संघ के अध्यक्ष एवं शाहपुर के विधायक केवल सिंह पठानिया और नाहन के विधायक अजय सोलंकी ने केन्द्र सरकार से प्रदेश में प्राकृतिक आपदा के कारण हुई भारी जान-माल की क्षति के दृष्टिगत इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है।
पिछले 56 दिनों के दौरान भारी बारिश, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन की इस त्रासदी में प्रदेश में अब तक 330 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई हैं, इसके अलावा 38 लोग अभी भी लापता हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर 113 भूस्खलन की घटनाएं सामने आई हैं और प्रदेश को लगभग 10 हज़ार करोड़ रुपये से अधिक की क्षति हुई है।
उन्होंने कहा कि ऑडिट आपत्तियों के कारण पिछले कुछ वर्षों से केन्द्र सरकार के पास लंबित 315 करोड़ रुपये की राहत राशि में से केन्द्र ने 189 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इसके अतिरिक्त राज्य आपदा राहत निधि (एसडीआरएफ) के तहत राज्य को प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए प्रति वर्ष दो किस्तों में कुल 360 करोड़ रुपये की राशि जारी की जाती है। केंद्र सरकार ने इसमें से 180 करोड़ रुपये की पहली किस्त जून माह में तथा दिसंबर माह में मिलने वाली 180 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त राज्य को अग्रिम रूप से जारी कर दी है। इस 360 करोड़ रुपये की राशि पर हिमाचल प्रदेश का हक है, जो सभी राज्यों को प्रदान की जाती है और इसके अलावा केन्द्र की ओर से अलग से कोई वित्तीय सहायता जारी नहीं की गई है। इस प्रकार राज्य को अब तक 549 करोड़ रुपये की राशि के रूप में केंद्र सरकार के पास लंबित राज्य का उचित हिस्सा मिला है।
भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं पर कटाक्ष करते हुए विधायकों ने कहा कि भाजपा के शीर्ष नेता हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते नहीं थकते हैं बाजवूद इसके प्रदेश के सौतेला व्यहार कहां तक सही है। उन्होंने कहा कि यह नेता अपने संबोधनों में हिमाचल के व्यंजनों का ‘सेपू बड़ी, चंबा का ‘मदरा’, सिड्डू का जिक्र करते थे पर जब प्रदेश पर विपदा की स्थिति आई तो मदद के लिए हाथ बढ़ाने के बजाए ये नेता ओछी राजनीति कर रहे हैं। राज्य में आपदा को ‘राष्ट्रीय आपदा’ घोषित करने में हो रहे विलंब से प्रदेश के लोगों की पीड़ा और अधिक बढ़ रही है।
विधायकों ने कहा कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू लोगों का दुःख दर्द साझा करने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं तथा आर्थिक तंगी के बावजूद प्रभावित परिवारों को हरसंभव राहत राशि प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर जीवन और सार्वजनिक तथा निजी संपत्ति दोनों को हुए भारी नुकसान के मद्देनजर राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की है, लेकिन भाजपा का ढुलमुल रुख सामने आया है। नेताओं ने राज्य के लोगों को असहाय स्थिति में छोड़ दिया है। पठानिया और सोलंकी दोनों ने टिप्पणी की, कि राज्य के भाजपा नेता भी जरूरत की इस घड़ी में सहयोग करने के बजाय सकारात्मक छाप छोड़ने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग 2024 में लोकसभा चुनाव से काफी पहले उनकी शरारतों को समझने के लिए काफी समझदार थे। इसके बजाय उन्हें राज्य के सर्वोत्तम हित में मुख्यमंत्री के साथ दिल्ली जाना चाहिए था और अपने केंद्रीय नेतृत्व से विशेष राहत पैकेज की मांग करनी चाहिए थी।