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आत्मनिर्भरता की इबारत लिख रहे महिला स्वयं सहायता समूह

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हमीरपुर 21 सितंबर। घर में चूल्हा-चैका और खेत-खलिहानों में कार्य करने वाली ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को अगर पर्याप्त अवसर एवं प्रोत्साहन मिले तो वे अपने स्तर पर छोटे उद्यम चलाकर भी अच्छी आय अर्जित करके आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर हो सकती हैं। छोटे-छोटे स्वयं सहायता समूहों में कार्य करके ये महिलाएं अपने लिए घर-गांव में ही अच्छा रोजगार सृजित कर सकती हैं। जिला हमीरपुर में ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित कई महिला स्वयं सहायता समूहों ने यह करके दिखाया है।
इन्हीं महिला स्वयं सहायता समूहों में शामिल हैं विकास खंड भोरंज के गांव भ्याड़ का आरती महिला स्वयं सहयता समूह और गांव जाहू खुर्द का प्रगति महिला स्वयं सहायता समूह।
इन दोनों महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं आत्मनिर्भरता एवं महिला सशक्तिकरण की एक नई इबारत लिख रही हैं।
गांव जाहू खुर्द की आम महिलाओं की आम दिनचर्या चूल्हे-चैके और खेत-खलिहानों में कार्य करने तक ही सीमित थी। पढ़ी-लिखी होने के बावजूद वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नहीं थीं और परिवार की आय में ज्यादा योगदान नहीं दे पा रही थीं। इनमें से कई महिलाएं आम दिनचर्या के साथ-साथ कुछ न कुछ ऐसा कार्य करना चाहती थीं, जिससे उन्हें घर-गांव में ही रोजगार मिल सके और वे कुछ आय अर्जित कर सके।
इसी बीच, गांव की महिलाओं को जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) एवं खंड विकास अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों ने ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह के गठन के लिए प्रेरित किया। इसके बाद गांव की महिलाओं ने प्रगति स्वयं सहायता समूह नाम से महिला स्वयं सहायता समूह का गठन किया। इस समूह को 50 हजार रुपये का ऋण मिला, जिससे समूह की सदस्यों ने मिठाई के डिब्बे बनाने का कार्य आरंभ किया। धीरे-धीरे इनका यह कार्य रफ्तार पकड़ने लगा और अब वे जिला हमीरपुर के कई इलाकों की दुकानों को ये डिब्बे सप्लाई कर रही हैं।


समूह की पदाधिकारी वीना देवी और मंजू ने बताया कि वे सुबह-शाम अपने घर का काम निपटाती हैं और उसके बाद मिठाई के डिब्बे बनाने का काम करती हैं। इससे समूह को अच्छी आय हो जाती है। अब उनके समूह ने अपना कारोबार बढ़ाने के लिए दोबारा ऋण लिया है, जिससे इस समूह की आय में काफी बढ़ोतरी हो रही है।
इसी प्रकार, गांव भ्याड़ के आरती स्वयं सहायता समूह ने भी एक मिसाल कायम की है। इस समूह की सदस्यों ने आजीविका मिशन के तहत एक लाख रुपये का ऋण लेकर ओम थैला उद्योग स्थापित करके इसमें बैग बनाने का कार्य आरंभ किया। अब समूह की सदस्य महिलाएं अपने हाथों से बैग बनाकर हर माह दस से पंद्रह हजार रुपये तक आय अर्जित कर रही हैं। समूह की पदाधिकारी शीला शर्मा ने बताया कि इस छोटे से उद्यम में महिलाओं को अपने गांव में ही अच्छा रोजगार मिला है और वे आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन रही हैं।
इस प्रकार, आजीविका मिशन के तहत छोटे-छोटे ऋण लेकर जिला हमीरपुर के कई महिला स्वयं सहायता समूह बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं। इससे इन समूहों की सदस्य महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रही हैं।

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