जिला प्रशासन किन्नौर, भाषा कला एवं संस्कृति विभाग तथा हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग के सहयोग से 22 से 24 अक्टूबर, 2023 तक जिला किन्नौर में छुक्षिम जिसका अर्थ है मिलना शीर्षक से पहला जनजातीय साहित्य-सह-भ्रमण महोत्सव आयोजित किया गया। इस तीन दिवसीय जनजातीय साहित्य-सह-भ्रमण महोत्सव में जनजातीय जिला की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और संरक्षित करने और राज्य के लेखकों और पाठकों को एक साथ लाने के साथ-साथ जिले में साहित्यिक माहौल स्थापित करने और पर्यटन क्षमता का दोहन करने का सफल प्रयास किया गया।
महोत्सव के प्रथम दिन पदमश्री विद्यानंद सरैक ने मुख्य वक्ता पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने अपने जीवन के अनुभव को सांझा कर उपस्थित लोगों का ज्ञानवर्धन किया व साथ ही संगीत, कला तथा हिमाचली संस्कृति को प्रस्तुत कर कार्यक्रम का समा बांधा।
पदमश्री विद्यानंद सरैक ने विस्तारपूर्वक हिमाचल की संस्कृति व कला के बारे में जानकारी प्रदान की। उन्होंने हिमाचल के सभी जिलों के लोक गीतों को स्वरबद्ध करते हुए संपूर्ण हिमाचली संस्कृति का प्रस्तुतिकरण किया।
इसके उपरांत प्रोफेसर विद्या सागर नेगी ने किन्नौर जिला के इतिहास व समृद्ध संस्कृति के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने अपने साहित्यिक अनुभव को सांझा करते हुए कहा कि जिला किन्नौर का अत्यंत प्राचीन व गूढ़ इतिहास है। उन्होंने उपस्थित लोगों को जिला किन्नौर की भौगोलिक व सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने लोगों से अपनी संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए आगे आने को भी कहा।
जनजातीय साहित्य सह भ्रमण महोत्सव में प्रदेश व जिला के प्रसिद्ध साहित्यकारों के मध्य एक पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया जिसमें साहित्यकारों द्वारा अपने-अपने साहित्य के क्षेत्र से संबंधित विचार रखे गए तथा एक साहित्यिक वातावरण स्थापित किया गया।
महोत्सव के दूसरे दिन साहित्यकार एवम सेवानिवृत आईएएस दीपक सानन ने अपने जीवनकाल के अनुभव को सांझा किया और प्रदेश सहित जिला किन्नौर के इतिहास, संस्कृति व रीति रिवाजों से उपस्थित जनों को अवगण करवाया। किन्नौर जिला के जंगी गांव से संबंधित सेवानिवृत्त आईएएस शरब नेगी ने अपने साहित्यिक सफर को प्रस्तुत करते हुए कहा कि किसी भी प्रदेश व क्षेत्र के साहित्यिक विकास में युवा पीढ़ी का एहम योगदान होता है। उन्होंने किन्नौर जिला की सांस्कृतिक विशेषताएं व चुनौतियों के बारे में सभी को विस्तृत रूप से जानकारी प्रदान की।
प्रोफैसर स्नेह लता नेगी ने अपनी कविता के माध्यम से जहां महिला सशक्तिकरण व जिला किन्नौर की संस्कृति तथा अलौकिक सौंदर्य को शब्दों की माला में पिरोहकर कार्यक्रम का समा बांधकर उपस्थित जनों को संस्कृति व रीति रिवाजों से अवगत करवाया वहीं प्रोफैसर ईशान मार्वल ने अंग्रेजी व हिंदी कविता के माध्यम से विभिन मुद्दों पर सामाजिक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
जनजातीय साहित्य महोत्सव के तीसरे व अंतिम दिन सचिव भाषा कला एवम संस्कृति विभाग राकेश कंवर ने जनजातीय साहित्य उत्सव के आयोजन पर बधाई दी और कहा की इन आयोजनों से जनजातीय क्षेत्रों की समृद्ध संस्कृति को बढ़ावा मिलता है और साहित्य का वातावरण स्थापित होता है। उन्होंने साहित्यिक वातावरण स्थापित करने की विशेषता पर बल दिया और पढ़ने की आदत को विकसित करने को कहा।
कार्यकर्म में साहित्यकारों की चर्चा भी आयोजित की गई जिसमे दीपक सानन, शरभ नेगी और यशिका सिंगला ने भाग लिया और जनजातीय साहित्य, जनजातीय संस्कृति के संरक्षण, जलवायु परिवर्तन का संस्कृति पर प्रभाव, इत्यादि पर चर्चा की।
हिमाचल की प्रसिद्ध लेखिका मीनाक्षी कंवर ने अपनी साहित्यिक सफर सांझा करते हुए कहा की उनके द्वारा 26 पुस्तके लिखी गई है। उन्होंने कहा की उपस्थित विद्यार्थियों और अतिथियों को अपने विचारों का लेखन कर लिखने की शुरुआत करने की प्रेरणा दी।
ट्राइबल गर्ल के नाम से प्रसिद्ध लाबरंग की अमिता छोरगिया नेगी ने भी जनजातीय संस्कृति पर किए जा रहे कार्यों पर अपनी प्रस्तुति दी।
महोत्सव के तीनों दिन आर्ट गैलरी तथा स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थानीय उत्पादों व हथकरघा उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई।
22 से 24 अक्टूबर, 2023 तक आयोजित किया गया प्रथम जनजातीय साहित्य सह भ्रमण किन्नौर
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