कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर हर वर्ष भाई-बहन के परस्पर प्रेम तथा स्नेह का त्यौहार भैया दूज मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लम्बी उम्र के लिए पूजा करती हैं।
इस पर्व को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इसका मुख्यत: संबंध यम तथा उनकी बहन यमुना से है। बचपन में एक साथ खेलते हुए बड़े होना और ढेर सारी स्मृतियों, शरारतों एवं प्यार को सारी उम्र याद रखना, बहन के दुख-दर्द के समय भाई का भगवान श्री कृष्ण के समान दौड़े चले आना और भाई की मंगल-कामना के लिए बहन का हर समय प्रार्थना करना, किसी भी मिसाल से ऊपर ही रहता है।
चांद की चांदनी के समान शीतल और सागर की गहराइयों के समान इस गंभीर रिश्ते का बंधन बहुत मजबूत होता है। दीपावली यदि दीयों का पर्व है, तो भैया दूज कुमकुम और अक्षत के तिलक से सजा ऐसा पर्व है, जिसका इंतजार बहनों को सारा साल रहता है। इस अवसर पर भाई दूर हो या पास, बहन के घर तिलक लगवाने जरूर जाता है और बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लम्बी उम्र की कामना करती है।
इस अवसर पर वह उसे उज्ज्वल भविष्य एवं खुशहाली के लिए आशीष भी देती है। भाई भी बहन का हर मुश्किल घड़ी में साथ देने व उसके सम्मान की रक्षा करने का वचन देते हैं तथा उपहार देकर अपना स्नेह दर्शाते हैं।
Bhai dooj katha: इस त्यौहार के पीछे एक पौराणिक कथा है कि यम देवता ने अपनी बहन यमी (यमुना) को उसी दिन दर्शन दिया था, जो काफी समय से उनसे मिलने को व्याकुल थी। अपने घर में भाई यम के आगमन पर यमुना ने प्रफुल्लित मन से उनकी आवभगत की थी जिस पर खुश होकर यम ने वरदान दिया कि इस दिन यदि भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना में स्नान करेंगे तो उनकी मुक्ति हो जाएगी। कहते हैं कि यमी ने अपने भाई से वचन भी लिया कि जिस प्रकार आज के दिन उनके भाई यम उनके घर आए हैं, हर भाई अपनी बहन के घर जाए। तभी से भाई-बहन के बीच भाई दूज का पर्व मनाने की प्रथा चली आ रही है।
Bhai dooj vidhi: इस अवसर पर आसन पर चावल के घोल के चौक पर भाई को बैठाकर उसके हाथों की बहन पूजा करती है। सबसे पहले उसके हाथों पर चावल का घोल लगाती है, उसके ऊपर सिंदूर लगाकर फूल, पान, सुपारी, मुद्रा आदि रख कर धीरे से हाथों पर पानी छोड़ते हुए बोलती है- ‘गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा-यमुना नीर बहे। मेरे भाई आप तरक्की करें।’ फिर बहन अपने भाई को तिलक लगा कर कलावा बांधती है और उसका मुंह मीठा करवाती है। इस दिन यमराज के नाम से एक चौमुखा दीपक जलाकर घर की दहलीज के बाहर रखा जाता है।
Bhai dooj shubh muhurat भैया दूज का शुभ मुहूर्तभाई दूज मंगलवार, नवम्बर 14, 2023 को भाई दूज अपराह्न समय – 01:11 पी.एम से लेकर 03:19 पी.एम तक अवधि – 02 घण्टे 08 मिनट द्वितीया तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 14, 2023 को 02:36 पी.एम पर द्वितीया तिथि समाप्त – नवम्बर 15, 2023 को 01:47 पी.एम पर