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जाइका प्रोजेक्ट के कार्यों को ग्रासरूट पर पहुंचाने के निर्देश

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शिमला। जाइका वानिकी परियोजना के कार्यों को जमीनी स्तर पर पहुंचाने के लिए अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल एवं मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने सभी फील्ड स्टाफ को दिशा-निर्देश जारी किए। गत शुक्रवार को बिलासपुर में आयोजित एक दिवसीय समीक्षा कार्यशाला को संबोधित करते हुुए उन्होंने बिलासपुर के चार फोरेस्ट रेंज अफसरों एवं टीम मेंबरर्स को आगामी लक्ष्य तय किए। कार्यशाला को संबोधित करते हुए नागेश कुमार गुलेरिया ने सभी फील्ड तकनीकी यूनिट्स को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में नर्सरियों को और सुदृढ़ करने की सख्त जरूरत है। मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने बिलासपुर सदर, स्वारघाट, घुमारवीं और झंडूता रेंज के अधिकारियों से अब तक किए गए कार्यों की पूरी रिपोर्ट भी मांगी। इस दौरान विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के आय में सृजन करने बारे भी विस्तृत चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि हिमाचल में साल 2030 तक दो लाख हेक्टेयर वन भूमि पर पौधे लगाए जाएंगे। सरकार ने प्रदेश के 30 प्रतिशत भाग को वनों के अधीन लाने का लक्ष्य रखा है। साल 2030 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रति वर्ष 12 हजार हेक्टेयर वन भूमि पर पौधरोपण किया जाना अपेक्षित है। इसके लिए अतिरिक्त वित्तीय स्रोत तलाशने होंगे। नागेश कुमार गुलेरिया ने कहा कि इस साल बरसात के दौरान 55 से अधिक प्रजातियों के पौधे रोपे गए। उन्होंने कहा कि अच्छे पौधरोपण को प्रोत्साहित करने के लिए जहां 90 प्रतिशत से अधिक उत्तर जीवन होगा उन ग्राम वन विकास समिति को बतौर ईनाम 10 हजार की राशि दी जाएगी। नागेश कुमार गुलेरिया ने सिल्वीकल्चर, डिमार्केशन, पृथक्करण और बाउंड्री पिल्लर बनाने के लिए धन उपलब्ध करवाने की भी बात कही। 

अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल एवं मुख्य परियोजना निदेशक नागेश कुमार गुलेरिया ने बहतर कार्य करने वाले अधिकारियों के साथ-साथ फील्ड टीम की पीठ थपथपाई। कार्यशाला के दौरान जाइका वानिकी एवं जैव विविधता विशेषज्ञ डा. सुशील काप्टा, सीसीएफ बिलासपुर अनिल शर्मा, डीएफओ हैड क्वार्टर अश्वनी शर्मा, फील्ड तकनीकी अधिकारी, ब्लॉक अधिकारी, वन रक्षक, विषय वस्तु विशेषज्ञ समेत फील्ड को-ऑर्डिनेटर्स उपस्थित थे।

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