0 0 lang="en-US"> सेब उत्पादकों के लिए वरदान साबित होगा फल विधायन संयंत्र - ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क
Site icon ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क

सेब उत्पादकों के लिए वरदान साबित होगा फल विधायन संयंत्र

Spread the Message
Read Time:4 Minute, 38 Second

देश के फलोत्पादन में हिमाचल की अपनी एक अलग पहचान है। प्रदेश की सेब अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए सरकार ने जिला शिमला के ठियोग विधानसभा क्षेत्र के पराला में हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम एचपीएमसी फल विधायन संयंत्र की इकाई प्रदेश की जनता को समर्पित की। यह अत्याधुनिक संयंत्र 101 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित है और अत्याधुनिक तकनीक और मशीनों से लैस है। यह संयंत्र एक घंटे में 10 मीट्रिक टन सेब को प्रोसेस कर सकता है। सेब की  बेहतर पैदावार होने पर, यह संयंत्र 18,000 मीट्रिक टन सेब को संसाधित कर सकता है, जिससे 1800 मीट्रिक टन उच्च गुणवत्ता वाले सेब का जूस कॉन्सनट्रेट तैयार होगा।
इस अत्याधुनिक संयंत्र में एप्पल जूस कॉन्सनट्रेट (ए.जे.सी.), पैेक्टिन, वाइन, विनेगर और रेडी टू सर्व जूस इकाइयां शामिल हैं। यह संयंत्र प्रति घंटे 2000 लीटर जूस बोतलों में पैक कर सकता है और  पैेक्टिन लाइन प्रति दिन 800 किलोग्राम सेब की क्रशिंग कर सकता है। वाइन इकाई की वार्षिक क्षमता 1,00,000 लीटर है और 50,000 लीटर विनेगर का वार्षिक उत्पादन किया जाएगा। अल्ट्रा फिल्ट्रेशन तकनीक का उपयोग कर ऐप्पल जूस कॉन्सनट्रेट को तैयार किया जाता है जिससे इसकी गुणवता में बढ़ोतरी होती है।
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, यह इकाई सेब उत्पादकों की आर्थिकी सुदृढ़ करने में मील पत्थर साबित होगी। सेब बहुल क्षेत्र में इस संयंत्र को स्थापित करने का उद्देश्य सेब का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित कर बागवानों की आय में बढ़ोतरी करना है। यह संयंत्र मंडी मध्यस्थता योजना के तहत खरीदे गए सेब का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करेगा। इससे उनके उत्पादों की परिवहन लागत पर होने वाला खर्चा कम होगा, जिससे बागवानों की आर्थिकी मंे वृद्धि होगी।
हाल के सेब सीजन के दौरान संयंत्र के परीक्षणों को सफल माना गया। इस दौरान 5706 मीट्रिक टन सेब का प्रसंस्करण किया गया और लगभग 15 करोड़ रुपये के 591 मीट्रिक टन एप्पल जूस कंसंट्रेट का उत्पादन किया गया। राज्य की अर्थव्यवस्था में बागवानी क्षेत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्ष 2022-23 में 2,36,466 हेक्टेयर में विविध फलों का उत्पादन किया गया। इसी वर्ष कुल फल उत्पादन 8,14,611 मीट्रिक टन तक पहुंच गया, जिसमें सेब का उत्पादन 84.54 प्रतिशत था, जो कुल 6,72,343 मीट्रिक टन था।
मुख्यमंत्री ने सेब उत्पादकों के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि पराला मंडी को जून 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अतिरिक्त, सेब बहुल क्षेत्रों में सड़क सुविधा को सुद्ढ़ किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि छैला-कुमारहट्टी सड़क को सेंट्रल रोड एवं इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सेब के समर्थन मूल्य में 1.50 रुपये की बढ़ोतरी की है, जिससे सेब का समर्थन मूल्य 10.50 रुपये से बढ़कर 12 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है।

Happy
0 0 %
Sad
0 0 %
Excited
0 0 %
Sleepy
0 0 %
Angry
0 0 %
Surprise
0 0 %
Exit mobile version