हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ की बैठक 11 जनवरी शाम कोआयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता संघ के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश राणा ने की। इस बैठक में विभिन्न जिला के अध्यक्ष, महासचिव, केंद्रीय कार्यकारिणीसमिति के सदस्य, रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद रहे।बैठक में तकरीबन 45 पदाधिकारियों ने भाग लिया। संघ ने विभिन्न अवसरोंपर माननीय मुख्यमंत्री महोदय को अपना मांग पत्र सौंपा है और उन्हेचिकित्सकों की समस्याओं के संदर्भ में अवगत करवाया गया है। स्वास्थ्यविभाग में रोजाना कोई ना कोई ऐसी नोटिफिकेशन आ जाती है जिससे किचिकित्सकों के स्वाभिमान पर ठेस पहुंच रही है। संघ की मांग करता है किजल्द से जल्द माननीय मुख्यमंत्री जी वार्ता के लिए संघ के पदाधिकारी कोबुलाएं अन्यथा अब संघ को संघर्ष का रास्ता पुनः अपनाना पड़ेगा।
हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ माननीय मुख्यमंत्रीमहोदय से 3 जून को मिला था और उनका आभारी हैं जो उन्होंने चिकित्सकोंकी मांगों को गहनता से सुना और उन्हें पूरा करने का आश्वासन प्रदान किया।लेकिन माननीय मुख्यमंत्री महोदय से हमारी वार्ता को 7 महीने बीत जाने केबाद भी धरातल पर हमारी मांगों को लेकर कोई भी ठोस कदम नहीं उठायागया है ।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने चिकित्सकों की अग्रिम भर्ती के समयएनपीए को बहाल करने का आश्वासन दिया था और कहा था कि नपीए कोभविष्य में चिकित्सकों की नियुक्ति के समय पुनः लागू कर दिया जाएगा।लेकिन हाल ही में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति में उनके वेतन से इसेहटा दिया गया है। 3 अगस्त 2023 को जारी की गई अधिसूचना नo44059-22461/2023 के तहत विशेषज्ञों का वेतन घटाकर 33660 कर दियाहै। यद्यपि 27 जुलाई 2022 की अधिसूचना नo 41799-20892/2022 केतहत न्यूनतम देय 40392 तय हुआ है। प्रदेश में पहले ही विशेषज्ञचिकित्सकों का अभाव है और इतने कम वेतन पर कार्य करने के बजाएविशेषज्ञों को दूसरे राज्यों का रुख करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेशकी जनता को विशेषज्ञ सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। एनपीए कोअभी तक अग्रिम भर्ती में जोड़ा ही नही गया है परंतु 21-10-23 कीअधिसूचना के तहत एनपीए को सेवानिवृत चिकित्सकों की पेंशन से भी हटादिया गया है। अतः संघ एनपीए को चिकित्सकों की हुई भर्ती में औरसेवानिवृत चिकित्सकों की पेंशन के साथ पुनः संलग्न करने का पुनः अनुरोधकरता है।
चिकित्सकों के पास पदोन्नति के बहुत ही कम पद स्वीकृत है, इससंदर्भ में उन्हें 4-9-14 एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन स्कीम दी जाती थी। लगभगडेट वर्ष रेट जाने के बाद भी विभाग डीपीसी करने में असमर्थ रहा है। केंद्रसरकार ने 2008 के गजट में और 2014 के एक्स्ट्राऑर्डिनरी गजट मेंचिकित्सकों को डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीम के तहत वित्तीय लाभप्रदान किए हैं। यह प्रक्रिया देश के विभिन्न राज्यों जैसे की बिहार , राजस्थानऔर मध्य प्रदेश में केंद्र सरकार की तरह प्रदान की गई है। संघ का माननीयमहोदय से अनुरोध है कि हिमाचल में भी डायनेमिक करियर प्रोग्रेशन स्कीमको केंद्र सरकार के तुल्य लागू किया जाए। मेडिकल कॉलेजों में भीडायनेमिक कैरियर प्रोग्रेशन स्कीम को वितीय लाभ के साथ धरातल पर नहींलाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ रेगुलर डीपीसी भी नहीं की जा रही हैजिसके कारण मेडिकल कॉलेज की मान्यताओं के ऊपर भी खतरा मंडरा रहाहै।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने 3 जून को प्रोजेक्ट डायरेक्टर एड्स कंट्रोलसोसायटी का कार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को पुनः प्रदान करने के संदर्भ मेंसहमति जताई थी । वहीं धरातल पर ना ही स्वास्थ्य निदेशक की स्थाईनियुक्ति हो पाई है और जो ऐड्स कंट्रोल सोसायटी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर काकार्यभार स्वास्थ्य निदेशक को दिया जाना था, वह मामला भी अधर में लटकगया है।
स्वास्थ्य विभाग सेवानिवृत्त मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पदोन्नतिके पदों पर पुनः रोजगार प्रदान कर दिया गया है जोकि संघ की मांगों केविपरीत है। संघ ने पहले भी कई बार किसी अधिकारी को सेवा विस्तारकिए जाने की बात का विरोध जताया है क्योंकि ऐसा करना प्रदेश मेंबेरोजगार युवा चिकित्सकों के हित में नहीं है। वहीं दूसरी ओर वर्षों से अपनीपदोन्नति का इंतजार कर रहे चिकित्सकों को उस पदोन्नति से वंचित रखनाऔर उनका हक किसी और को दे देना एक दुखद विषय है। संघ का माननीयमुख्यमंत्री महोदय से अनुरोध है कि सेवा विस्तारों की प्रक्रिया को शीघ्रसमाप्त किया जाए।
स्वास्थ्य विभाग में स्वास्थ्य निदेशक, उप स्वास्थ्य निदेशक और खंडचिकित्सा अधिकारियों के विभिन्न पद रिक्त चल रहे हैं। इन पदों परपदोन्नति योग्यता एवम वरिष्ठता के आधार पर शीघ्र की जाए ताकिचिकित्सकों के साथ साथ प्रदेश की जनता को इन पदों से दी जाने वालीसेवाओं से लाभ प्रात हो सके। सन 2016 के बाद विभाग चिकित्सकों कीसेनियरिटी लिस्ट बनाने में असफल रहा है जिसके चलते चिकित्सकों कीपदोन्नति पर पूर्ण विराम लग चुका है। चिकित्सा अधिकारियों के पदोन्नति केबहुत ही काम पद हैं और उसमें भी 50% से अधिक पद रिक्त चल रहे हैं।
प्रदेश के अधिकांश स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सा अधिकारियों का बेहद अभाव चल रहा है इसके चलते कई चिकित्सकों को डेपुटेशन पर विभिन्न जगहों पर सेवाएं देना पड़ रही है वहीं दूसरी ओर युवा चिकित्सकों को रोजगार देने के बारे में अब तक कोई भी कम नहीं उठाया गया है। माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने अपने घोषणा पत्र में युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग में युवा चिकित्सकों की भर्ती के लिए कोई भी कदम नही उठाया है। कई सामुदायिक संस्थानों में जहां दिन रात सेवाएं दी जा रही है वहां केवल 2 चिकित्सक ही तैनात हैं वहां इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के तहत चिकित्सकों के पदों की स्वीकृति को शीघ्र बढ़ाया जाए। ऐसाकरने से युवा चिकित्सक को रोजगार के साथ-साथ प्रदेश की जनता को और बेहतरीन सेवाएं प्राप्त हांगी।
माननीय मुख्यमंत्री महोदय से वार्ता के दौरान संघ ने एमएडिपर्सनएक्ट अधिनियम और पीजी पॉलिसी अधिनियम के संशोधन के बारे में भी गहन चर्चा की थी लेकिन धरातल पर कोई भी कदम चिकित्सकों के हित मेंनहीं उठाया गया है। हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ की मांगे व्यावहारिकएवं प्रदेश हित में हैं। अतः संघ माननीय मुख्यमंत्री महोदय से मांगों कोयथावत एवं शीघ्र अति शीघ्र पूरा करके चिकित्सकों का मनोबल बढ़ाने काविनम्र आग्रह करता है। अन्यथा संघ पुनः संघर्ष का रास्ता अपनाने को बाध्यहोगा। यह जानकारी डॉ विकास ठाकुर महासचिव हिमाचल चिकित्सा अधिकारी संघ ने दी।