गांव और शहर की समस्या ।
गांव और शहर की समस्याएं अलग-अलग हैं। गांव की अपनी जीवन शैली है, अपनी आवश्यकताएं हैं, अपनी संस्कृति है। शहर की अपनी अलग जीवन शैली है, अपनी अलग आवश्यकताएं हैं और अपनी अलग संस्कृति है। गांव का जीवन सीधा-सादा और सरल है, वहां पर लोग ज्यादा महत्वाकांक्षी नहीं है। शहरी लोगों में का जीवन व्यस्तता भरा हुआ है, उनकी महत्वाकांक्षायें बढ़-चढ़कर है। गांव में शांति है सरलता है, तनाव मुक्त जीवन है पर शहरी लोगों में अशांति है, भागम भाग है, जीपन की आपा-धापी है, जीवन में बेहद तनाव है। रोजगार की दृष्टि से देखें तो गांव में रोजगार की कमी है, गांव का जीवन अधिकतर कृषि पर ही निर्भर है। जबकि शहरी जीवन में रोजगार की भरमार है, शहर में उद्योग हैं, व्यापार हैं। शहर में रोजगार की कमी नहीं है इसी कारण गांव से लोग रोजगार की तलाश में शहर की ओर खिंचे चले आते हैं। गांव में जहां अशिक्षा, निरक्षरता, बेरोजगारी, जन सुविधाओं का अभाव, सामाजिक जागरूकता की कमी, प्रगतिशील विचारधारा की कमी, पुरातन सोच आदि जैसी समस्याएं हैं वही शहरों में बढ़ती जनसंख्या, जीवन के जरूरी संसाधनों के लिए संघर्ष, बढ़ते अपराध, परिवारों में बढ़ती दूरियां और आत्मीयता की कमी आदि जैसी समस्यायें है।
गांव और शहर की समस्या ।
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