मंडी, 9 फरवरी। उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने जिले में मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को योजना के लाभार्थी बच्चों के लिए उपयुक्त मेंटरशिप और भविष्य के अवसरों पर सही करियर काउंसलिंग पर विशेष फोकस करने को कहा है।
उन्होंने शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की बैठक लेते हुए इस योजना में विशेषकर 15 से 18 वर्ष के आयुवर्ग के किशारों की अभिरूचि जानकर उन्हें करियर को लेकर सही मार्गदर्शन प्रदान करने की व्यवस्था निर्मित करने पर बल दिया।
उपायुक्त ने कहा कि इस योजना में बाल देखभाल संस्थानों में हर बच्चे के साथ एक मेंटर-संरक्षक उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। इस कार्य को पूरी गंभीरता से करें। उन्होंने कहा कि इससे बच्चों के जीवन में एक बड़ा सकारात्मक बदलाव लाना संभव है।
उन्होंने संस्थानों में दृष्टि व श्रवण बाधित बच्चों के लिए करियर काउंसलिंग की विशेष व्यवस्था करने को कहा। उन्होंने कहा कि कोई भी शारीरिक बाधा जीवन में आगे बढ़ने में बाधा नहीं बन सकती। आज सभी के लिए जीवन के हर क्षेत्र में प्रगति के पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। इन अवसरों की जानकारी उपलब्ध कराने के साथ ही इनके लिए योजनापूर्वक तैयारी को लेकर काउंसलिंग महत्वपूर्ण है। इसमें विशेषज्ञों की भी सेवाएं लें।
मंडी में मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना में 479 बच्चे कवर
अपूर्व देवगन ने बताया कि मंडी जिले में मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना में 479 अनाथ बच्चे कवर हैं। इसके अलावा 356 बच्चे जिले के सरकारी और एनजीओ संचालित बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे हैं। इन बच्चों को सामाजिक सुरक्षा राशि के तौर पर बीते एक साल में लगभग 1.20 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। वहीं, बाल देखभाल संस्थानों में रह रहे बच्चों को कपड़ा भत्ते के तौर पर 17.80 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं। वहीं उन्हें पोषणयुक्त भोजन, स्वच्छता किटें मुहैया कराने तथा कॉपी-किताबें इत्यादि खरीदने को 21.36 लाख रुपये की धनराशि वितरित की गई है। उन्होंने विभिन्न उत्सवों को लेकर उत्सव भत्ते के रूप में 8.64 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं। वहीं इन संस्थानों को भी उत्सव आयोजनों के लिए करीब 5 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं। स्पॉंसर स्कीम और फॉस्टर केयर योजना में करीब 40 लाख रुपये प्रदान किए गए हैं।
मंडी में खुला सुखाश्रय कोष का खाता
डीसी की जिलावासियों से उदारतापूर्वक अंशदान की अपील
उपायुक्त ने बताया कि प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना में सुखाश्रय कोष का गठन किया है। इसी क्रम में मंडी जिले में भी सुखाश्रय कोष बनाया गया है। उन्होंने जिलावासियों से इस कोष में उदारतापूर्वक अंशदान करने का आह्वान किया।
उपायुक्त ने बताया कि जिले में कोष के लिए एचडीएफसी बैंक में खाता खोला गया है। इसकी खाता संख्या 50100688804271 तथा आईएफएससी कोड एचडीएफसी0000727 है। कोष में दान दी गई राशि नियमानुसार आयकर अधिनियम 80 जी के तहत आयकर छूट के लिए पात्र होगी।
उन्होंने अधिकारियों को सुखाश्रय कोष की जानकारी जन जन तक पहुंचाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को कहा, ताकि लोग उदारतापूर्वक अंशदान के लिए बढ़चढ़ कर आगे आएं। अंशदान की अपील के साथ क्यूआर कोड लगी स्टैंडीज बनवाएं और उन्हें उपायुक्त कार्यालय समेत अन्य कार्यालयों में भी लगाएं ताकि इच्छुक लोगों को क्यूआर कोड स्कैन करके ऑनलाइन धनराशि दान देने में सुगमता हो।
4000 रुपये पॉकेट मनी दे रही राज्य सरकार
उपायुक्त ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना के माध्यम से 27 वर्ष की आयु तक अनाथ बच्चों की देखभाल का जिम्मा लिया है। मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का इस ओर विशेष बल है कि सरकार निराश्रितों का संबल बने। इसके लिए कानून बनाकर प्रदेश के 4000 अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट का दर्जा दिया गया है। अनाथ बच्चों को क्लोथ अलाउंस व त्यौहार मनाने के लिए भत्ता प्रदान किया जा रहा है। उनकी उच्च शिक्षा, रहने के खर्च के साथ ही हर महीने 4000 रुपये पॉकेट मनी भी राज्य सरकार की ओर से प्रदान की जा रही है। उनकी स्वास्थ्य देखभाल की जा रही है। बच्चों को नामी स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही सरकार ने उन्हें आत्मनिर्भर बनाने तथा घर बनाने के लिए 3 बिस्वा भूमि तथा 3 लाख रुपये की आर्थिक सहायता का भी प्रावधान किया है।
बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी (महिला एवं बाल विकास) अजय कुमार बदरेल सहित विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे ।
मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना में बच्चों के लिए उपयुक्त मेंटरशिप और करियर काउंसलिंग पर करें फोकस – उपायुक्त
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