ऊना, 19 फरवरी – समेकित बाल विकास सेवाएं(आईसीडीएस) टास्क फोर्स कमेटी की बैठक उपायुक्त जतिन लाल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में उपायुक्त ने जिला में आईसीडीएस के माध्यम से संचालित की जा रहे सभी योजनाओं की समीक्षा की। उपायुक्त ने कहा कि जिला में कुपोषण की रोकथाम के लिए मिशन मोड में कार्य किया जाएगा। गंभीर तीव्र कुपोषण(सैम) और कुपोषित(मैम) बच्चें तालाश किए जाएंगे और ऐसे बच्चों को कुपोषण से बाहर लाने का प्रयास किया जाएगा ताकि जिला में कोई भी बच्चा कुपोषित न हो सके। उन्होंने जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देश दिए कि जिला के सैम और मैम बच्चों का पूरा ब्यौरा भेजना सुनिश्चित करें, ताकि जिला को कुपोषण मुक्त बनाया जा सके।
जतिन लाल ने कहा कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत जिला के सभी पात्र बच्चों को इस योजना का लाभ मिले इसके लिए विभाग मिशन मोड में कार्य करें। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी व आंगनबाड़ी वर्कर अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर पात्र बच्चों के स्वयं फाॅर्म भरवाना सुनिश्चित करें। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत 27 वर्ष तक के अनाथ बच्चों को चार हज़ार रूपये प्रतिमहा पाॅकेट मनी, तीन बिस्वा भूमि और मकान निर्माण के लिए तीन लाख रूपये, कोचिंग के लिए एक लाख रूपये, लघु/सुक्ष्म उद्योग लगाने के लिए दो लाख रूपये अनुदान और विवाह के लिए भी दो लाख रूपये की अनुदान राशि प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि जिला मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत अब तक 0 से 18 वर्ष के 105 तथा 18 से 27 वर्ष के 354 बच्चों को चिन्हित किया गया है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों में लड़कियों की शारीरिक स्वच्छता तथा पर्यावरण संरक्षण के लिए सैनेटरी नेपकिन, इंसीनरेटर मशीन होना आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिए कि जिला में कितने स्कूलों में इंसीनरेटर मशीन स्थापित की गई है डाटा एकत्रित कर उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि मनरेगा कंवजेंस के तहत 50 नए आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। इसके लिए उन्होंने डीपीओ को निर्देश दिए कि वर्तमान में यह आंगनबाड़ी केंद्र किस जगह पर संचालित हो रहे है उनकी पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
उन्होंने बताया कि जिला में 1364 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिलाओं व बच्चों को सेवाएं प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 6 माह से 6 वर्ष तक के कुल 37 हज़ार 897 बच्चों और 6 हजार 543 गर्भवती व धात्री महिलाओं को लाभान्वित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत एक बच्ची गोद लेने वाले 23 दम्पतियों तथा मेरी गांव की बेटी मेरी शान के तहत 17 दम्पतियों को लाभान्वित किया गया है।
उपायुक्त ने बताया कि पीड़ित महिलाओं को आश्रय देने के लिए जिला में वन स्टोप सेंटर संचालित किया जा रहा है। उन्होंने बताया चालू वित्त वर्ष में 40 मामलों में हैल्थ सुविधा, काूननी सुरक्षा, फिजीयो सोशियल काउंसलिंग व शेल्टर की सुविधा प्रदान की गई है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत चालू वित्त वर्ष में अब तक कुल 3319 पात्र को लाभान्वित किया गया है। बेटी है अनमोल योजना के तहत चालू वित्त वर्ष में 30 लाख 22 हज़ार 250 रूपये व्यय करके 999 बच्चियों को लाभान्वित किया गया। मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत 99 लाख 45 हज़ार रूपये व्यय करके 195 पात्र लाभार्थियों, मुख्यमंत्री शगुन योजना के तहत 63 लाख 86 हज़ार रूपये व्यय करके, मदर टैरेसा असहाय मातृ संबल योजना के तहत 61 लाख 50 हज़ार रूपये व्यय करके 1414 माताओं और 2143 बच्चों को लाभान्वित किया गया है। उन्होंने बताया कि स्वयं का रोजगार स्थापित करने के लिए 25 महिलाओं को एक लाख 25 हज़ार रूपये की सहायता प्रदान की गई। विधवा पुर्नविवाह योजना के तहत 7 पात्र महिलाओं को 5 लाख 65 हज़ार रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई। उन्होंने बताया कि घरेलू हिंसा एक्ट 2005 के तहत 107 मामले निपटाएं गए। उपायुक्त ने बताया कि फोस्टर केयर योजना के तहत जिला में 193 बच्चों को लाभान्वित किया जा रहा है।
इस अवसर पर डीपीओ नरेंद्र कुमार, सीएमओ डाॅ संजीव वर्मा, जिला कल्याण अधिकारी अनीता शर्मा, उप निदेशक कुलभूषण धीमान, उद्यान विभाग के उप निदेशक केके भारद्वाज, सीडीपीओ कुलदीप दयाल सहित अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।