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मन की बात की 110वीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ

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मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार। ‘मन की बात’ के 110वें Episode में आपका स्वागत है। हमेशा की तरह, इस बार भी हमें आपके ढ़ेर सारे सुझाव, Inputs और comments मिले हैं। और हमेशा की तरह इस बार भी ये चुनौती है कि Episode में किन-किन विषयों को शामिल किया जाए। मुझे, Positivity से भरे एक से बढ़कर एक Inputs मिले हैं। इनमें बहुत सारे ऐसे देशवासियों का जिक्र है, जो दूसरों के लिए उम्मीद की किरण बनकर उनके जीवन में बेहतरी लाने में जुटे हुए हैं।

साथियो, कुछ ही दिन बाद 8 मार्च को हम ‘महिला दिवस’ मनाएंगे। ये विशेष दिन देश की विकास यात्रा में नारी-शक्ति के योगदान को नमन करने का अवसर होता है। महाकवि भरतियार जी ने कहा है कि विश्व तभी समृद्ध होगा, जब महिलाओं को समान अवसर मिलेंगे। आज भारत की नारी-शक्ति हर क्षेत्र में प्रगति की नई ऊँचाइयों को छू रही है। कुछ वर्ष पहले तक किसने सोचा था कि हमारे देश में, गाँव में रहने वाली महिलायें भी ड्रोन उड़ाएंगी ! लेकिन आज ये संभव हो रहा है। आज तो गाँव-गाँव में ड्रोन दीदी की इतनी चर्चा हो रही है, हर किसी की जुबान पर नमो ड्रोन दीदी, नमो ड्रोन दीदी ये चल पड़ा है। हर कोई इनके विषय में चर्चा कर रहा है। एक बहुत बड़ी जिज्ञासा पैदा हुई है और इसीलिए, मैंने भी सोचा कि क्यों ना इस बार ‘मन की बात’ में, एक नमो ड्रोन दीदी से बात की जाए। हमारे साथ इस वक्त नमो ड्रोन दीदी सुनीता जी जुड़ी हुई हैं, जो उत्तर प्रदेश के सीतापुर से है।आइए उनसे बात करते हैं।

                                          

 

मोदी जी : सुनीता देवी जी, आपको नमस्कार।

सुनीता देवी : नमस्ते सर।

मोदी जी : अच्छा सुनीता जी पहले मैं आपके विषय में जानना चाहता हूँ, आपके परिवार के विषय में जानना चाहता हूँ। थोड़ा कुछ बता दीजिये।

सुनीता देवी : सर, हमारे परिवार में दो बच्चे हैं, हम हैं, husband हैं, माता जी हैं मेरी।

मोदी जी : आपकी पढ़ाई क्या हुई सुनीता जी।

सुनीता देवी : सर, BA (Final) है।

मोदी जी : और वैसे घर में कारोबार वगैरह क्या है ?

सुनीता देवी : कारोबार वगैरह खेती-बाड़ी सम्बंधित करते हैं, खेती वगैरह।

मोदी जी : अच्छा सुनीता जी, ये drone दीदी बनने का आपका सफ़र कैसे शुरू हुआ। आपको training कहाँ मिली, कैसे-कैसे बदलाव, क्या आया, मुझे, पहले से जानना है।

सुनीता देवी : जी सर, training हमारी फूलपुर IFFCO company में हुआ था इलाहाबाद में और वहीं से हमको training मिली है।

मोदी जी : तो तब तक आपने drone के विषय में सुना था कभी !

सुनीता देवी : सर, सुना नहीं था एक बार ऐसे देखे थे, कृषि विज्ञान केंद्र, जो सीतापुर का है, वहां पे हमने देखा था, पहली बार वहाँ देखा था हमने drone।

मोदी जी : सुनीता जी, मुझे ये समझना है कि मानो आप पहले दिन गए।

सुनीता देवी : जी।

मोदी जी : पहले दिन आपका drone दिखाया होगा, फिर कुछ board पर पढ़ाया गया होगा, कागज़ पर पढ़ाया गया होगा, फिर मैदान में ले जाकर practice, क्या-क्या हुआ होगा। आप मुझे समझा सकती हैं  पूरा वर्णन।

सुनीता देवी : जी-जी सर, पहले दिन सर हम लोग जब गए हैं तब उसके दूसरे दिन से हम लोगों की training शुरू हुई थी। पहले तो theory पढ़ाई गई थी फिर class चले थे दो दिन। class में drone में क्या क्या पार्ट हैं, कैसे-कैसे आपको क्या-क्या करना है – ये सारी चीज़ें theory में पढ़ाई गई थी। तीसरे दिन, सर, हम लोगों का पेपर हुआ था उसके बाद में फिर सर एक computer पे भी पेपर हुआ था मतलब पहले class चला उसके बाद में test लिया गया। फिर practical करवाया गया था हम लोगों का मतलब drone कैसे उड़ाना है कैसे-कैसे मतलब आपको control कैसे संभालना है हर चीज़ सिखाई गई थी practical के तौर में।

मोदी जी : फिर drone काम क्या करेगा, वो कैसे सिखाया ?

सुनीता देवी : सर drone काम करेगा कि जैसे अभी फसल बड़ी हो रही है। बरसात का मौसम या कुछ भी ऐसे, बरसात में दिक्कत होती खेत में फसल में हम लोग घुस नहीं पा रहे हैं तो कैसे मजदूर अन्दर जाएगा, तो इसके माध्यम से बहुत फायदा किसानों को होगा और वहाँ खेत में घुसना भी नहीं पड़ेगा। हमारा drone जो हम मजदूर लगाकर अपना काम करते हैं वो हमारा drone से मेढ़ पे खड़े होके, हम अपना वो कर सकते हैं, कोई कीड़ा-मकोड़ा अगर खेत के अन्दर है उससे हमें सावधानी भी बरतनी रहेगी, कोई दिक्कत नहीं हो सकती है और किसानों को भी बहुत अच्छा लग रहा है। सर, हमने 35 एकड़ spray कर चुके हैं अभी तक।

मोदी जी : तो किसानों को भी समझ है कि इसका फायदा है ?

सुनीता देवी : जी सर, किसानों को बहुत संतुष्ट होते हैं कह रहे हैं बहुत अच्छा लग रहा। समय का भी बचत होता है,सारी सुविधा आप खुद देखती हैं, पानी, दवा सब कुछ साथ-साथ में रखती है और हम लोगों को सिर्फ आकर खेत बताना पड़ता है कि कहां से कहां तक मेरा खेत है और सारा काम आधे घंटे में ही निपटा देती हूँ।

मोदी जी : तो ये drone देखने के लिए और लोग भी आते होंगे फिर तो?

सुनीता देवी : सर, बहुत भीड़ लग जाती है, ड्रोन देखने के लिए बहुत सारे लोग आ जाते हैं। जो बड़े बड़े farmers लोग हैं वो लोग नंबर भी ले जाते हैं कि हम भी आपको बुलाएँगे spray के लिए

मोदी जी : अच्छा। क्योंकि मेरा एक मिशन है लखपति दीदी बनाने का , अगर आज देश भर की बहनें सुन रही हैं तो एक drone दीदी आज पहली बार मेरे साथ बात कर रही है , तो, क्या कहना चाहेंगी आप ?

सुनीता देवी : जैसे आज मैं अकेले drone दीदी हूँ तो ऐसी ही हजारों बहनें आगे आएं कि मेरे जैसे drone दीदी वो भी बने और मुझे बहुत खुशी होगी कि जब मैं अकेली हूँ, मेरे साथ में और हजारों लोग खड़े होंगे, तो बहुत अच्छा लगेगा कि हम अकेले नहीं बहुत सारे लोग हमारे साथ में drone दीदी के नाम से पहचानी जाती हैं।

मोदी जी : चलिए सुनीता जी मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत बधाई। ये नमो drone दीदी, ये देश में कृषि को आधुनिक बनाने का एक बहुत बड़ा माध्यम बन रही है। मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

सुनीता देवी : Thank you, Thank you Sir.

मोदी जी : Thank You !

साथियों, आज देश में कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें देश की नारी-शक्ति पीछे रह गई हो। एक और क्षेत्र, जहाँ महिलाओं ने, अपनी नेतृत्व क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया है, वो है – प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और स्वच्छता। chemical से हमारी धरती माँ को जो कष्ट हो रहा है, जो पीड़ा हो रही है, जो दर्द हो रहा है – हमारी धरती माँ को बचाने में देश की मातृशक्ति बड़ी भूमिका निभा रही है। देश के कोने-कोने में महिलायें अब प्राकृतिक खेती को विस्तार दे रही हैं। आज अगर देश में ‘जल जीवन मिशन’ के तहत इतना काम हो रहा है तो इसके पीछे पानी समितियों की बहुत बड़ी भूमिका है। इस पानी समिति का नेतृत्व महिलाओं के ही पास है। इसके अलावा भी बहनें-बेटियाँ, जल संरक्षण के लिए चौतरफा प्रयास कर रही हैं। मेरे साथ Phone line पर ऐसी ही महिला है कल्याणी प्रफुल्ल पाटिल जी। ये महाराष्ट्र की रहने वाली हैं। आइए, कल्याणी प्रफुल्ल पाटिल जी से बात कर, उनका अनुभव जानते हैं।

 

प्रधानमंत्री जी – कल्याणी जी नमस्ते।

कल्याणी जी – नमस्ते सर जी, नमस्ते।

प्रधानमंत्री जी – कल्याणी जी, पहले तो आप अपने विषय में, अपने परिवार के विषय में, अपने कामकाज विषय में जरा बताइए।

कल्याणी जी – सर, मैं MSC Microbiology हूँ और मेरे घर में मेरे पतिदेव ,  मेरी सास है और मेरे दो बच्चे हैं और तीन साल से मैं अपने ग्राम पंचायत में कार्यरत हूँ।

प्रधानमंत्री जी – और फिर गाँव में खेती के काम में लग गई ? क्योंकि आपके पास basic knowledge भी है, आपकी पढ़ाई भी इस क्षेत्र में हुई है और अब आप खेती में जुड़ गई है, तो क्या क्या नए प्रयोग किये हैं आपने ?

कल्याणी जी – सर, हमने जो दस प्रकार के हमारी वनस्पति है उसको एकत्रित करके उससे हमने organic फवारणी(spray) बनाया जैसे कि जो हम pesticide वगैहरा spray करते तो उस से pest वगैरह जो हमारी मित्र कीट(pest) रहती है वो भी नष्ट हो रहे, और हमारी soil का pollution होता है जो तो तब chemical चीज़े जो पानी में घुल-मिल रही हैं उसकी वजह से हमारी body पर भी हानिकारक परिणाम दिख रहे हैं उस हिसाब से हमने कम से कम pesticide का use कर के ।

प्रधानमंत्री जी – तो एक प्रकार से आप पूरी तरह प्राकृतिक खेती की तरफ जा रही हैं।

कल्याणी जी – हाँ, जो अपनी पारंपरिक खेती है सर वैसे हमने की पिछले साल।

प्रधानमंत्री जी – क्या अनुभव आया प्राकृतिक खेती में ?

कल्याणी जी – सर, जो हमारी महिलाएं हैं, उनको जो खर्च है, वो, कम लगा और जो product हैं, सर, तो वो समाधान पाकर, हमने, without pest वो किया क्योंकि अब cancer के प्रमाण जो बढ़ रहे हैं जैसे शहरी भागों में तो है ही लेकिन गाँव में भी हमारी उसका प्रमाण बढ़ रहा है तो उस हिसाब से अगर आप अपने आगे के परिवार को अपने सुरक्षित करना है तो ये मार्ग अपनाना जरूरी है इस हिसाब से वो महिलाएं भी सक्रिय सहभाग इसके अन्दर दिखा रही हैं।

प्रधानमंत्री जी – अच्छा कल्याणी जी आपने कुछ जल संरक्षण में भी काम किया है ? उसमें क्या किया है आपने ?

कल्याणी जी – सर rainwater harvesting जो हमारे शासकीय जितने भी इमारते हैं जैसे कि प्राथमिक शाला हुई, आँगनबाड़ी हुआ, हमारी ग्राम पंचायत की जो building है, वहां के जो पानी है, बारिश का, वो, सब इकट्ठा करके हमने एक जगह पर collect किया हुआ है और जो recharge shaft है, सर, कि बारिश का पानी जो गिरता है, वो, जमीन के अन्दर percolate होना चाहिए, तो उस हिसाब से हमने 20 recharge shaft हमारे गाँव के अन्दर किये हुए हैं और 50 recharge shaft का sanction हो गया है। अब जल्दी ही उसका भी काम चालू होने वाला है।

प्रधानमंत्री जी – चलिए कल्याणी जी, आपसे बात करके बहुत ख़ुशी हुई। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

कल्याणी जी – सर धन्यवाद, सर धन्यवाद। मुझे भी आपसे बात करके बहुत ख़ुशी हुई। मतलब मेरा जीवन सम्पूर्ण रूप से सार्थक हुआ, ऐसा मैं मानती हूँ।

प्रधानमंत्री जी – बस, सेवा कीजिए।

प्रधानमंत्री जी – चलिए, आप का नाम ही कल्याणी है, तो, आपको तो कल्याण करना ही करना है। धन्यवाद जी। नमस्कार।

कल्याणी जी – धन्यवाद सर। धन्यवाद।

साथियो, चाहे सुनीता जी हो या कल्याणी जी, अलग-अलग क्षेत्रों में नारी-शक्ति की सफलता बहुत प्रेरक है। मैं एक बार फिर हमारी नारी-शक्ति की इस spirit की ह्रदय से सराहना करता हूँ।

 

मेरे प्यारे देशवासियो, आज हम सबके जीवन में technology का महत्त्व बहुत बढ़ गया है। Mobile Phone, Digital Gadgets हम सबकी ज़िन्दगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि Digital Gadgets की मदद से अब वन्य जीवों के साथ तालमेल बिठाने में भी मदद मिल रही है। कुछ दिन बाद, 3 मार्च को ‘विश्व वन्य जीव दिवस’ है। इस दिन को वन्य जीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस वर्ष World Wild Life Day की theme में Digital Innovation को सर्वोपरि रखा गया है। आपको ये जानकर खुशी होगी कि हमारे देश के अलग-अलग हिस्सों में वन्य-जीवों के संरक्षण के लिए technology का खूब उपयोग हो रहा है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार के प्रयासों से देश में बाघों की संख्या बढ़ी है। महाराष्ट्र के चंद्रपुर के Tiger Reserve में बाघों की संख्या ढ़ाई-सौ से ज्यादा हो गयी है। चंद्रपुर जिले में इंसान और बाघों के संघर्ष को कम करने के लिए Artificial Intelligence की मदद ली जा रही है। यहाँ गांव और जंगल की सीमा पर कैमरे लगाए गए हैं। जब भी कोई बाघ गांव के करीब आता है तब AI की मदद से स्थानीय लोगों को मोबाईल पर अलर्ट मिल जाता है। आज इस Tiger Reserve के आस-पास के 13 गांवों में इस व्यवस्था से लोगों को बहुत सुविधा हो गयी है और बाघों को भी सुरक्षा मिली है।

साथियो, आज युवा entrepreneurs भी वन्य जीव संरक्षण और eco-tourism के लिए नए-नए innovation सामने ला रहे हैं। उत्तराखंड के रूड़की में Rotor Precision Groups ने Wildlife Institute of India के सहयोग से ऐसा drone तैयार किया है, जिससे केन नदी में घड़ियालों पर नजर रखने में मदद मिल रही है। इसी तरह बेंगलुरु की एक कंपनी ने ‘बघीरा’ और ‘गरुड़’ नाम का App तैयार किया है। बघीरा App से जंगल सफारी(SAFARI) के दौरान वाहन की speed और दूसरी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है। देश के कई Tiger Reserve में इसका उपयोग हो रहा है। Artificial Intelligence और Internet of things पर आधारित गरुड़ App को किसी CCTV से connect करने पर real time alert मिलने लगता है। वन्य-जीवों के संरक्षण की दिशा में इस तरह के हर प्रयास से हमारे देश की जैव विविधता और समृद्ध हो रही है।

साथियो, भारत में तो प्रकृति के साथ तालमेल हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। हम हजारों वर्षों से प्रकृति और वन्य जीवों के साथ सह-अस्तित्व की भावना से रहते आये हैं। अगर आप कभी महाराष्ट्र के मेलघाट Tiger Reserve जाएंगे तो वहाँ स्वयं इसे अनुभव कर सकेंगे। इस Tiger Reserve के पास खटकली गांव में रहने वाले आदिवासी परिवारों ने सरकार की मदद से अपने घर को Home Stay में बदल दिया है। ये उनकी कमाई का बहुत बड़ा साधन बन रहा है। इसी गांव में रहने वाले कोरकू जनजाति के प्रकाश जामकर जी ने अपनी दो हेक्टेयर जमीन पर सात कमरों वाला home stay तैयार किया है। उनके यहाँ रुकने वाले पर्यटकों के खाने-पीने का इंतजाम उनका परिवार ही करता है। अपने घर के आस-पास उन्होंने औषधीय पौधों के साथ आम और कॉफ़ी के पेड़ भी लगाए हैं। इससे पर्यटकों का आकर्षण तो बढ़ा ही है, दूसरे लोगों के लिए भी रोजगार के नए अवसर बने हैं।

मेरे प्यारे देशवासियो, जब पशु-पालन की बात करते हैं, तो अक्सर गाय-भैंस तक ही रुक जाते हैं। लेकिन बकरी भी तो एक अहम पशु-धन है, जिसकी उतनी चर्चा नहीं होती है। देश के अलग-अलग क्षेत्रों में अनेकों लोग बकरी पालन से भी जुड़े हुए हैं। ओडिशा के कालाहांडी में बकरी पालन, गाँव के लोगों की आजीविका के साथ-साथ उनके जीवन स्तर को ऊपर लाने का भी एक बड़ा माध्यम बन रहा है। इस प्रयास के पीछे जयंती महापात्रा जी और उनके पति बीरेन साहू जी का एक बड़ा फैसला है। ये दोनों बेंगलुरु में Management Professionals थे, लेकिन इन्होंने break लेकर कालाहांडी के सालेभाटा गाँव आने का फैसला लिया। ये लोग कुछ ऐसा करना चाहते थे जिससे यहाँ के ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान भी हो, साथ ही वो सशक्त भी बनें। सेवा और समर्पण से भरी अपनी इसी सोच के साथ इन्होंने माणिकास्तु एग्रो की स्थापना की और किसानों के साथ काम शुरू किया। जयंती जी और बीरेन जी ने यहाँ एक दिलचस्प माणिकास्तु Goat Bank भी खोला है। वे सामुदायिक स्तर पर बकरी पालन को बढ़ावा दे रहे हैं। उनके Goat Farm में करीब दर्जनों बकरियां हैं। माणिकास्तु Goat Bank, इसने, किसानों के लिए एक पूरा System तैयार किया है। इसके जरिए किसानों को 24 महीने के लिए 2 बकरियां दी जाती हैं। 2 वर्षों में बकरियां 9 से 10 बच्चों को जन्म देती हैं, इनमें से 6 बच्चों को बैंक रखता है, बाकी उसी परिवार को दे दी जाती है जो बकरी पालन करता है। इतना ही नहीं, बकरियों की देख-भाल के लिए जरूरी सेवाएँ भी प्रदान की जाती हैं। आज 50 गाँव के 1000 से अधिक किसान इस दंपत्ति के साथ जुड़े हैं। उनकी मदद से गाँव के लोग पशु-पालन के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं। मुझे ये देखकर बहुत अच्छा लगता है कि विभिन्न क्षेत्रों में सफल Professionals छोटे किसानों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए नए-नए तरीक़े अपना रहे हैं। उनका यह प्रयास हर किसी को प्रेरित करने वाला है।

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारी संस्कृति की सीख है – ‘परमार्थ परमो धर्मः’ यानि दूसरों की मदद करना ही सबसे बड़ा कर्तव्य है। इसी भावना पर चलते हुए हमारे देश में अनगिनत लोग नि:स्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करने में अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। ऐसे ही एक व्यक्ति हैं – बिहार में भोजपुर के भीम सिंह भवेश जी। अपने क्षेत्र के मुसहर जाति के लोगों के बीच इनके कार्यों की खूब चर्चा है। इसलिए मुझे लगा कि क्यों ना आज इनके बारे में भी आपसे बात की जाय। बिहार में मुसहर एक अत्यंत वंचित समुदाय रहा है, बहुत गरीब समुदाय रहा है। भीम सिंह भवेश जी ने इस समुदाय के बच्चों की शिक्षा पर अपना focus किया है, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके। उन्होंने मुसहर जाति के करीब 8 हज़ार बच्चों का स्कूल में दाखिला कराया है। उन्होंने एक बड़ी Library भी बनवाई है, जिससे बच्चों को पढाई-लिखाई की बेहतर सुविधा मिल रही है। भीम सिंह जी, अपने समुदाय के सदस्यों के जरूरी Documents बनवाने में, उनके Form भरने में भी मदद करते हैं। इससे जरुरी संसाधनों तक गाँव के लोगों की पहुँच और बेहतर हुई है। लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हो, इसके लिए उन्होंने 100 से अधिक Medical Camps लगवाए हैं। जब कोरोना का महासंकट सिर पर था, तब, भीम सिंह जी ने अपने क्षेत्र के लोगों को Vaccine लगवाने के लिए भी बहुत प्रोत्साहित किया। देश के अलग-अलग हिस्सों में भीम सिंह भवेश जी जैसे कई लोग हैं, जो समाज में ऐसे अनेक नेक कार्यों में जुटे हैं। एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर हम इसी प्रकार अपने कर्तव्यों का पालन करेंगे, तो यह, एक सशक्त राष्ट्र के निर्माण में बहुत ही मददगार साबित होगा।

मेरे प्यारे देशवासियो, भारत की सुन्दरता यहाँ की विविधता और हमारी संस्कृति के अलग-अलग रंगों में भी समाहित है। मुझे ये देखकर अच्छा लगता है कि कितने ही लोग निस्वार्थ भाव से भारतीय संस्कृति के संरक्षण और इसे सजाने-सँवारने के प्रयासों में जुटे हैं। आपको ऐसे लोग भारत के हर हिस्से में मिल जाएंगे। इनमें से बड़ी संख्या उनकी भी है, जो, भाषा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में गान्दरबल के मोहम्मद मानशाह जी पिछले तीन दशकों से गोजरी भाषा को संरक्षित करने के प्रयासों में जुटे रहे हैं। वे गुज्जर बकरवाल समुदाय से आते हैं जो कि एक जनजातीय समुदाय है। उन्हें बचपन में पढ़ाई के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ा था, वो रोजाना 20 किलोमीटर की दूरी पैदल तय करते थे। इस तरह की चुनौतियों के बीच उन्होंने Masters की Degree हासिल की और ऐसे में ही उनका अपनी भाषा को संरक्षित करने का संकल्प दृढ़ हुआ।

साहित्य के क्षेत्र में मानशाह जी के कार्यों का दायरा इतना बड़ा है कि इसे करीब 50 संस्करणों में सहेजा गया है। इनमें कविताएं और लोकगीत भी शामिल हैं। उन्होंने कई किताबों का अनुवाद गोजरी भाषा में किया है।

साथियो, अरुणाचल प्रदेश में तिरप के बनवंग लोसू जी एक टीचर हैं। उन्होंने वांचो भाषा के प्रसार में अपना अहम योगदान दिया है। यह भाषा अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। उन्होंने एक Language school बनवाने का काम किया है। इसके वांचो भाषा की एक लिपि भी तैयार की है। वो आने वाली पीढ़ियों को भी वांचो भाषा सिखा रहे हैं ताकि इसे लुप्त होने से बचाया जा सके।

साथियो, हमारे देश में बहुत सारे ऐसे लोग भी हैं, जो गीतों और नृत्यों के माध्यम से अपनी संस्कृति और भाषा को संरक्षित करने में जुटे हैं। कर्नाटका के वेंकप्पा अम्बाजी सुगेतकर उनका जीवन भी इस मामले में बहुत प्रेरणादायी है। यहां के बागलकोट के रहने वाले सुगेतकर जी एक लोक गायक हैं। इन्होनें 1000 से अधिक गोंधली गाने गाए हैं, साथ ही, इस भाषा में, कहानियों का भी खूब प्रचार- प्रसार किया है। उन्होंने बिना फीस लिए, सैकड़ों विद्यार्थियों, को Training भी दी है। भारत में उमंग और उत्साह से भरे ऐसे लोगों की कमी नहीं, जो, हमारी संस्कृति को, निरंतर समृद्ध बना रहे हैं। आप भी इनसे प्रेरणा लीजिये, कुछ अपना करने का प्रयास करिए। आपको बहुत संतोष का अनुभव होगा।

मेरे प्यारे देशवासियों, दो दिन पहले मैं वाराणसी में था और वहां मैंने एक बहुत ही शानदार फोटो प्रदर्शनी देखी। काशी और आसपास के युवाओं ने कैमरे पर जो Moment capture किए हैं, वो, अदभुत हैं। इसमें काफी फोटोग्राफ ऐसी हैं, जो मोबाईल कैमरे से खींची गई थी। वाकई, आज जिसके पास मोबाईल है, वो एक content creator बन गया है। लोगों को अपना हुनर और प्रतिभा दिखाने में social media ने भी बहुत मदद की है। भारत के हमारे युवा-साथी content creation के क्षेत्र में कमाल कर रहे है। चाहे कोई भी social media platform हो, आपको अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग content share करते हमारे युवा साथी मिल ही जाएंगे। Tourism हो, social cause हो, Public participation हो या फिर प्रेरक जीवन यात्रा, इनसे जुड़े तरह-तरह के contents social media पर मौजूद हैं। Content create कर रहे देश के युवाओं की आवाज आज बहुत प्रभावी बन चुकी है। उनकी प्रतिभा को सम्मान देने के लिए देश में National Creators Award शुरू किया गया है। इसके तहत अलग-अलग categories में उन change makers को सम्मानित करने की तैयारी है, जो सामाजिक परिवर्तन की प्रभावी आवाज बनने के लिए Technology का उपयोग कर रहे हैं। यह contest MyGov पर चल रहा है और मैं content creators को इससे जुड़ने के लिए आग्रह करूँगा। आप भी अगर ऐसे interesting content creators को जानते हैं, तो उन्हें National Creators Award के लिए जरुर nominate करें।

मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे इस बात की खुशी है कि कुछ दिन पहले ही चुनाव आयोग ने एक और अभियान की शुरुआत की है – ‘मेरा पहला वोट – देश के लिए’। इसके जरिए विशेष रूप से first time voters से अधिक-से-अधिक संख्या में मतदान करने का आग्रह किया गया है। भारत को, जोश और ऊर्जा से भरी अपनी युवा शक्ति पर गर्व है। हमारे युवा-साथी चुनावी प्रक्रिया में जितनी अधिक भागीदारी करेंगे, इसके नतीजे देश के लिए उतने ही लाभकारी होंगे। मैं भी First time voters से आग्रह करूंगा कि वे record संख्या में वोट करें । 18 का होने के बाद आपको 18वीं लोकसभा के लिए सदस्य चुनने का मौका मिल रहा है। यानि ये 18वीं लोकसभा भी युवा आकांक्षा का प्रतीक होगी। इसलिए आपके वोट का महत्व और बढ़ गया है। आम चुनावों की इस हलचल के बीच, आप, युवा, ना केवल, राजनीतिक गतिविधियों का हिस्सा बनिए, बल्कि, इस दौरान चर्चा और बहस को लेकर भी जागरूक बने रहिए। और याद रखिएगा – ‘मेरा पहला वोट – देश के लिए। मैं देश के influencers को भी आग्रह करूँगा, चाहे वो खेल जगत के हों, फिल्म जगत के हों, साहित्य जगत के हों, दूसरे professionals हों या हमारे instagram और youtube के influencers हों, वो भी इस अभियान में बढ-चढ़कर हिस्सा लें और हमारे first time voters  को motivate  करें।

साथियो ‘मन की बात’ के इस Episode में मेरे साथ इतना ही। देश में लोकसभा चुनाव का माहौल है और जैसा कि पिछली बार हुआ था, संभावना है कि मार्च के महीने में आचार-संहिता भी लग जाएगी। ये ‘मन की बात’ की बहुत बड़ी सफलता है कि बीते 110 Episode में हमने इसे सरकार की परछाई से भी दूर रखा है। ‘मन की बात’ में,  देश की सामूहिक शक्ति की बात होती है, देश की उपलब्धि की बात होती है। ये एक तरह से जनता का, जनता के लिएजनता द्वारा तैयार होने वाला कार्यक्रम है। लेकिन फिर भी राजनीतिक मर्यादा का पालन करते हुए लोकसभा चुनाव के इन दिनों में अब अगले तीन महीने ‘मन की बात’ का प्रसारण नहीं होगा। अब जब आपसे ‘मन की बात’ में संवाद होगा तो वो ‘मन की बात’ का 111वाँ Episode  होगा। अगली बार ‘मन की बात’ की शुरुआत 111 के शुभ अंक से हो तो इससे अच्छा भला क्या होगा। लेकिन , साथियो, आपको मेरा एक काम करते रहना है। ‘मन की बात’ भले तीन महीने के लिए रूक रहा है , लेकिन देश की उपलब्धियां थोड़ी रुकेंगी, इसलिए, आप ‘मन की बात’ hashtag(#) के साथ समाज की उपलब्धियों को, देश की उपलब्धियों को, social media पर डालते रहें। कुछ समय पहले एक युवा ने मुझे एक अच्छा सुझाव दिया था। सुझाव ये कि ‘मन की बात’ के अब तक के Episode में से छोटे-छोटे video ,  YouTube shorts के रूप में share करना चाहिए। इसलिए मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं से आग्रह करूँगा कि ऐसे Shorts को खूब share करें।

साथियो, जब अगली बार आपसे संवाद होगा, तो फिर, नई ऊर्जा, नई जानकारियों के साथ आपसे मिलूंगा। आप अपना ध्यान रखिये, बहुत बहुत धन्यवाद। नमस्कार।

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