हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एचपीएसडीएमए) द्वारा आपदारोधी अवसंरचना गठबंधन और एशियाई आपदा तैयारी केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में ‘असेसमेंट ऑफ फिस्कल रिस्क डयू टू डिजास्टर इन क्रिटिकल इंफ्रास्ट्रक्चर’ विषय पर प्रमुख विभागों एवं अन्य हितधारकों के साथ कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आपदाओं के कारण परिवहन (सड़क एवं पुल) और ऊर्जा (विद्युत) जैसे क्षेत्रों की आवश्यक अधोसंरचना पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष प्रभावों के दृष्टिगत राजकोषीय जोखिम मूल्यांकन ढांचे को विकसित करने पर विचार-विमर्श किया गया।
इस अवसर पर विशेष सचिव राजस्व डी.सी. राणा ने भविष्य की आपदाओं के लिए प्रत्येक क्षेत्र और विभागों की तैयारियों के व्यापक मूल्यांकन की आवश्यकता से अवगत करवाया। उन्होंने वर्ष 2023 की बाढ़ के बाद आपदा मूल्यांकन और पुनर्वास की आवश्यकता के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
योजना सलाहकार बसु सूद ने आपदा क्षति और पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण में वित्त पोषण अंतर पर प्रकाश डाला।
एडीपीसी के उप-कार्यकारी निदेशक असलम परवेज ने अधोसंरचना और सांख्यिकीय विश्लेषण व्यय, योजना, ऊर्जा, परिवहन और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सामंजस्य की आवश्यकता पर बल दिया ताकि भविष्य की वित्तीय आवश्यकताओं का आकलन बेहतर तरीके से किया जा सके।
सीडीआरआई की रंजिनी मुखर्जी ने विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी जो महत्वपूर्ण अधोसरचना के निर्माण के लिए राज्य सरकार के लिए सहायक होंगे।
कार्यशाला में विभिन्न सरकारी विभागों, अनुसंधान और तकनीकी संस्थानों, शिक्षाविदों और गैर-सरकारी एजेंसियों 80 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला में जलवायु और आपदारोधी बुनियादी ढांचे के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सुदृढीकरण करने पर चर्चा की गई।
हिमाचल प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने किया कार्यशाला का आयोजन
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