0 0 lang="en-US"> भारत के राष्ट्रपति ने हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया - ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क
Site icon ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क

भारत के राष्ट्रपति ने हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया

Spread the Message
Read Time:4 Minute, 28 Second

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (6 मई, 2024) धर्मशाला में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है। लेकिन, अतीत में बदलाव की गति इतनी तेज नहीं थी। आज हम चैथी औद्योगिक क्रांति के युग में हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग जैसे नए क्षेत्र तेजी से उभर रहे हैं। परिवर्तन की गति और परिमाण दोनों ही बहुत अधिक हैं, जिसके कारण प्रौद्योगिकी और आवश्यक कौशल बहुत तेजी से बदल रहे हैं। 21वीं सदी की शुरुआत में कोई नहीं जानता था कि अगले 20 या 25 वर्षों में लोगों को किस तरह के कौशल की आवश्यकता होगी। इसी तरह, कई मौजूदा कौशल अब भविष्य में उपयोगी नहीं रहेंगे। इसलिए हमें लगातार नए कौशल अपनाने होंगे। हमारा ध्यान लचीला दिमाग विकसित करने पर होना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी तेजी से हो रहे बदलावों के साथ तालमेल बिठा सके। हमें छात्रों में सीखने की जिज्ञासा और इच्छा को मजबूत कर उन्हें 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना होगा।
शिक्षकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो छात्रों को शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाए और उनके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करे। शिक्षा का उद्देश्य छात्रों में अपनी संस्कृति, परंपरा और सभ्यता के प्रति जागरूकता लाना भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस संबंध में शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। उनका कार्य क्षेत्र केवल शिक्षण तक ही सीमित नहीं है, उन पर देश के भविष्य के निर्माण की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा ध्यान क्या सीखें के साथ-साथ कैसे सीखें पर भी होना चाहिए। उन्होंने रेखांकित किया कि जब छात्र बिना किसी तनाव के स्वतंत्र रूप से सीखते हैं, तो उनकी रचनात्मकता और कल्पना को उड़ान मिलती है। ऐसे में वे शिक्षा को सिर्फ आजीविका का पर्याय नहीं मानते. बल्कि, वे नवप्रवर्तन करते हैं, समस्याओं का समाधान ढूंढते हैं और जिज्ञासा के साथ सीखते हैं।
छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हर व्यक्ति में अच्छाई और बुराई दोनों की क्षमता होती है। उन्होंने उन्हें यह ध्यान रखने की सलाह दी कि चाहे वे कितनी भी कठिन परिस्थिति में क्यों न हों, उन्हें कभी भी बुराई को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहिए। उन्हें सदैव अच्छाई का पक्ष लेना चाहिए। उन्होंने करुणा, कर्तव्यनिष्ठा और संवेदनशीलता जैसे मानवीय मूल्यों को अपना आदर्श बनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन मूल्यों के आधार पर वे एक सफल और सार्थक जीवन जी सकते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं में विकास की अपार संभावनाएं हैं। वे विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। अतरू उन्हें स्वयं को राष्ट्र के प्रति समर्पित कर देना चाहिए। यह न केवल उनका मानवीय, सामाजिक और नैतिक कर्तव्य है बल्कि एक नागरिक के रूप में भी उनका कर्तव्य है।

Happy
0 0 %
Sad
0 0 %
Excited
0 0 %
Sleepy
0 0 %
Angry
0 0 %
Surprise
0 0 %
Exit mobile version