0 0 lang="en-US"> हिमाचल में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न सुखे की उग्र समस्या - ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क
Site icon ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क

हिमाचल में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न सुखे की उग्र समस्या

Spread the Message
Read Time:5 Minute, 25 Second

विश्व में जलवायु परिवर्तन आज के समय में सबसे बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है। यह समस्या न केवल इस पीढ़ी के लिए बल्कि आने वाली पीढियां के लिए भी एक गंभीर समस्या बनकर उभरेगा। और इन सभी समस्याओं के लिए आज के युग का समाज पूर्ण इतिहास जिम्मेदार होगा ऐसा इसलिए है क्योंकि आज के इंसान ने अपनी सुख सुविधाओं एवं ऐशो आराम के लिए प्राकृतिक संसाधनों एवं प्रकृति का अंधाधुंध उपयोग कर रहा है। जिसका कुछ परिणाम हम महसूस कर पा रहे हैं जैसे की प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोत्तरी, अत्यधिक मौसम परिवर्तन, पृथ्वी का अत्यधिक गर्म होना, हरे भरे क्षेत्र का मरुभूमि में परिवर्तन होना तथा कोरोना महामारी जैसे मानव निर्मित आपदाएं इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं।
इसी के संदर्भ में भारत के उत्तर पश्चिम हिमालय के क्षेत्र में बसे हुए सुंदर हिमाचल प्रदेश में भी जलवायु परिवर्तन का असर देखने को मिल रहा है। जैसा कि हर वर्ष हिमाचल प्रदेश के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी नवंबर माह में आरंभ हो जाती थी जिससे कि बागवानों के चेहरे खुशी से खिलते थे तथा निचले क्षेत्रों में अच्छी बारिश होने से गेहूं की फसल पैदावारी में चार चांद लगाते थे। परंतु अगर हम आज के परिदृश्य में देखें तो फरवरी माह आरंभ होने को है लेकिन ना तो अब तक उतनी अच्छी बर्फबारी हुई ना ही बारिश देखने को मिल रही है जिसका की सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन से लगाया जाना उचित होगा। इसी जलवायु परिवर्तन के कारण ही हिमाचल प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न होने को है। इस सूखे की स्थिति से हिमाचल के बागवानों एवं किसानों को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ रही है तथा जिससे कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होगी एवं रोजगार के अवसर भी कम बनेंगे। इन फसलों की कम पैदावारी होने पर बाजार में वस्तुओं के मूल्य में भी आने वाले समय में भारी उछाल देखने को मिल सकता है। इस सूखे की स्थिति से केवल फसलों को ही नहीं बल्कि पेयजल योजनाओं एवं सिंचाई योजनाओं में भी समस्या उत्पन्न हो रही है जिसके कारण शिमला जैसे बड़े शहरों में जल संकट उत्पन्न होने की संभावना है। हिमाचल के सिरमौर जिला की बात करें तो यहां पर विश्व प्रसिद्ध अदरक एवं लहसुन की पैदावार की जाती है तथा इस जलवायु परिवर्तन एवं सूखे की स्थिति होने पर इन बहुमूल्य फसलों पर भी नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा जिससे कि बाजार में इनकी कीमतें अधिक होगी। सुखे से सिर्फ इंसानों को ही नहीं बल्कि पशुओं को भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिससे कि उनके पीने का जल एवं खाने के लिए चारा इत्यादि की भारी कमी भी देखने को मिलती है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए केवल सरकार ही नहीं बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को भी आगे आना होगा तथा इसके दुष्परिणामों को समझना होगा एवं जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले कारणों पर रोक लगानी होगी। इस सूखे की स्थिति से निपटने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार कर पानी के प्रयोग को कम से कम किया जाए अर्थात अनावश्यक रूप से जल को व्यर्थ ना गवाएं जाए एवं वर्षा के जल को संचित किया जाए जिससे कि भूजल का स्तर सही बना रहे एवं भविष्य में सूखे की स्थिति उत्पन्न होने पर इस प्रकार के प्राकृतिक स्रोतों (बावड़ियों, कुओं, तालाबों, झीलों, अमृत सरोवर इत्यादि) के संरक्षण एवं उपयोग किया जा सके। इन सभी कार्यों को पूर्ण रूप से एवं योजनाबद्ध तरीके से करने के लिए सभी विभागों के आपसी समन्वय एवं स्थानीय लोगों के एकजुट प्रयासों की आवश्यकता अपेक्षित रहेगी तभी हम इस जलवायु परिवर्तन एवं सुखे जैसी आपदाओं से निपटने में सक्षम बन पाएंगे ताकि आने वाली पीढ़ियां भी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग एवं उपभोग कर सके।     

Happy
0 0 %
Sad
0 0 %
Excited
0 0 %
Sleepy
0 0 %
Angry
0 0 %
Surprise
0 0 %
Exit mobile version