1857 स्वतंत्रता संग्राम मे तत्कालीन पहाड़ी रियासत के कुल्लू रियासत से कँवर युवराज प्रताप सिंह का शहीदी दिवस नेचर पार्क मे धूम धाम से कुल्लू जिला ब्राह्मण जनकल्याण ने ने धूमधाम से मनाया l समारोह की अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश ब्राह्मण सभा के प्रदेश अध्यक्ष मनमोहन गौतम ने की l अपने अध्यक्षीय भाषण मे मनमोहन गौतम ने कहा की अंग्रेजी हकूमत के विरुद्ध 1857 के स्वतंत्रता मे कुल्लू रियासत के युवराज प्रताप सिंह ने अंग्रेजी फौज को नको चने चवा दिए थे l उनकी बहादुरी के भये से अंग्रेजी हकूमत ने धोखे से राज कुंवर के साथियों को पकड़ कर कारागार मे डाल दिया तथा आनन फ़ानन मे कानूनी कार्यवाही करके 3 अगस्त 1857 को धर्मसाला पुलिस ग्राउंड मे सरेआम फांसी दी थी, यह इतिहास लुप्त प्राय था l पुरोहित चंद्र शेखर, ठाकुर मोलूराम, ठाकुर विद्याचंद व ठाकुर हीरालाल साहित्यकारों ने इस इतिहास को अपनी कलम के माध्यम से चंद पन्नो मे संजोए रखा था l लेकिन ब्राह्मण जनकल्याण सभा ने शहीद के परिवार, राज परिवार व स्थनीय लोगों के सहयोग से इस इतिहास को आमजन मानस के मध्य लाने के उदेश्य से हर वर्ष 3 अगस्त को शहीदी दिवस मना रही है l इस शहीदी दिवस मे हर वर्ष का बढ़ चढ़ कर भाग ले रहे हैँ ब्राह्मण जनकल्याण सभा ने इस महान योद्धा की नेचर पार्क मे मूर्ति की स्थापना की है इसका अनावरण होना अभी बाकी है।
उन्होंने कहा की मोहाल नेचर पार्क का नाम युवराज प्रताप सिंह मेमोरियल किया जाये व पाठ्य पुस्तकों मे इनकी जीवनी पढ़ाई जाने से ही हिमाचल इनकी कुरवानी से ही कुछ उऋण हो पायेगी l प्रदेशाध्यक्ष ने कहा की इस मूर्ति का अनावरण महामहिम राष्ट्रपति या महामहिम उपराष्ट्रपति से किया जाए क्योंकी इनकी कुरवानी का इतिहास महारानी झाँसी एवं मांगलपांडे के समकक्ष है l इस उपलक्ष्य पर पण्डित देवराज, पण्डित खेमराज, ठाकुरदास, लीला गोपाल, ठाकुर हीरालाल, पंचायत प्रधान वेयन्त सिंह ने अपने विचार रखे ।
मुख्यातिथि कंवर युवराज के वंशज कँवर उदय सिंह ने अपने भाषण मे सभा के काम की प्रशंसा की इसके लिए धन्यवाद किया l मुख्य अतिथि ने कहा की ब्राह्मण सभा द्वारा युवराज प्रताप सिंह का शहीदी दिवस बड़े गौरव की बात है जहाँ समाज कुछ भूल जाता है वहां ब्राह्मण जन ही याद दिलाते हैँ व कार्य करवाते हैँ l उन्होंने कहा कि जन भावना व ब्राह्मण सभा द्वारा इस मूर्ति का अनावरण महामहिम से करवाना एक अच्छी पहल है इसे समय रहता पूरा किया जाना चाहिए।
इस उपलक्ष पर स्थनीय जनता के इलावा ये वरिष्ठजन उजस्थित थे।