आपदा से निपटने में जहां प्रशासन की मुस्तैदी, तत्परता तथा त्वरित राहत- बचाव अभियान की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही। वहीं सीपीएस ऊर्जा, वन, पर्यटन एवं परिवहन सुंदर सिंह ठाकुर भी लगातार प्रभावित स्थलों पर स्वयं ही जाकर राहत- बचाव अभियान को दिशा निर्देश देते रहे। मलाणा नाले में आई बाढ़ की सूचना मिलते ही सीपीएस सुबह ही प्रभावित क्षेत्रों की ओर रवाना हो गए थे। बलाधी, चौकी से लेकर तोष तक का दौरा करते हुए सीपीएस ने कहा कि गत वर्ष आपदा के दौरान जिन स्थानों पर सड़कों को सुरक्षित करने के लिए डंगे लगाए गए थे उन स्थानों का इस वर्ष बचाव हुआ है यही कारण है कि मणिकर्ण घाटी की सड़क कहीं पर भी क्षतिग्रस्त नहीं हुई तथा पूरे मणिकर्ण घाटी में आवाजाही निर्बाध गति से सुचारू बनी रही। उन्होंने कहा कि शारनी, शाट, जछणी, डून्खरा आदि स्थानों पर हमेशा सड़कें अवरुद्ध रहने का खतरा होता था तथा गत समय में ड्रेजिंग कर के नदी के प्रवाह को दुरुस्त करने से भी नुक्सान कम हुआ है। उन्होंने राहत एवं बचाव कार्य में सहयोग करने के लिए एनडीआरएफ़,होमगार्ड्स,पुलिस विभाग तथा स्थानीय रेस्क्यू दल लिटल रेबल आदि का भी आभार प्रकट किया ।