निगम ने तीन माह में 412.99 लाख रुपये के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की बिक्री की
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने आज यहां हिमाचल प्रदेश राज्य हस्तशिल्प एवं हथकरघा निगम के निदेशक मंडल की 192वीं बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने इस अवसर पर 23.38 करोड़ रुपये की लागत की केन्द्रीय प्रायोजित योजना ‘व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना’ (सीएचसीडीएस) के कार्यान्वयन की समीक्षा की। आगामी तीन वर्षों तक चलने वाली इस योजना का उद्देश्य राज्य में हस्तशिल्प क्षेत्र को बढ़ावा देना है।
उन्होंने वित्त वर्ष 2023-24 में निगम की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि इस अवधि के दौरान प्रदेश के 420 कारीगरों को विभिन्न पहलों के माध्यम से लाभान्वित किया गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान अब तक 107 डिज़ाइन और तकनीकी विकास कार्यशालाएं तथा छह उद्यमी विकास कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं, जिससे प्रदेशभर के 2500 कारीगरों को लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की राज्य के कारीगरों द्वारा निर्मित किए गए उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए राज्य के भीतर विषयगत प्रदर्शनियों के आयोजन की योजना है। इसके अलावा, इस परियोजना के तहत दो नये इम्पोरिया खोले जाएंगे और छह मौजूदा इम्पोरिया का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
हर्षवर्धन चौहान ने राज्य के कारीगरों और बुनकरों को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए निगम के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने राज्य के कारीगरों के लिए निगम द्वारा शुरू की गई योजनाओं और कार्यक्रमों को प्रत्येक लाभार्थी तक पहुंचाना सुनिश्चित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि निगम को राज्य के पारंपरिक हथकरघा और हस्तशिल्प विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए।
प्रबन्ध निदेशक गन्धर्व राठौर ने निगम की प्रमुख गतिविधियों के बारे में अवगत करवाया और कहा कि निगम द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 में 40.92 लाख रुपये का लाभ अर्जित किया, जबकि 1 अप्रैल, 2024 से 31 जुलाई, 2024 तक निगम ने 412.99 लाख रुपये के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों की बिक्री की। इसके अतिरिक्त, इस वर्ष शिमला और धर्मशाला में दो ‘ताना-बाना’ (हथकरघा) एक्सपो आयोजित किए जा रहे हैं। जहां 25 बुनकरों को अपने उत्पाद सीधे ग्राहकों को बेचने के लिए निःशुल्क स्थान उपलब्ध करवाया जाएगा।
प्रधान सचिव उद्योग आरडी नज़ीम और निदेशक उद्योग राकेश प्रजापति भी बैठक में उपस्थित थे।