0 0 lang="en-US"> राज्यपाल ने सोलन में 27वें राष्ट्रीय मशरूम मेले का शुभारंभ किया - ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क
Site icon ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क

राज्यपाल ने सोलन में 27वें राष्ट्रीय मशरूम मेले का शुभारंभ किया

Spread the Message
Read Time:5 Minute, 49 Second

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज सोलन में 27वें राष्ट्रीय मशरूम मेले का शुभारंभ करते हुए कहा कि मशरूम की जीवन अवधि (शेल्फ लाइफ) बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा शोध करने की जरूरत है। मेले में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे राज्यपाल ने इस क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और अधिक से अधिक लोगांे को इसके साथ जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
मेले का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन द्वारा संयुक्त तौर पर किया जा रहा है। निदेशालय को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह मेला वर्ष 1998 से लगातार हर वर्ष आयोजित किया जा रहा है। इसी दिन वर्ष 1997 में सोलन को मशरूम सिटी का नाम मिला। बीते 27 वर्षों में कई उत्पादकों ने मशरूम की खेती को रोजगार के तौर पर अपनाया है। उन्होंने कहा इस लंबे अरसे के दौरान मशरूम उत्पादकों ने मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन की तकनीक के द्वारा विभिन्न प्रकार की किस्में विकसित की हैं।
राज्यपाल ने कहा कि वर्ष 1970 के अंत में भारत में मशरूम की खेती शुरू हुई और आज दुनिया के लगभग 100 देशों में इसकी खेती की जा रही है। भारत में जहां 10 वर्ष में मशरूम का उत्पादन एक लाख टन था वह आज 3.50 लाख टन पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि मशरूम उत्पादन में भारत चौथे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि मशरूम की खेती एक छोटे से कमरे से शुरू कर किसान दो तीन माह के भीतर आय अर्जित कर सकते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि ग्रामीण युवाओं के लिए यह रोजगार का बहुत ही शानदार जरिया है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों, उत्पादकों, उद्यमियों और उद्योगों को एक मंच पर आकर मशरूम की पैदावार बढ़ाने के लिए प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन, भारत का एकमात्र संस्थान है जिसके देशभर में 32 मशरूम समन्वयक परियोजना केंद्र हैं। उन्होंने निदेशालय के वैज्ञानिकों से कहा कि वह कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से मशरूम की उत्पादन तकनीकों को देश के कोने-कोने तक पहुंचाएं ताकि नई किस्मों को बेहतर दाम मिलें और किसानों की आर्थिकी भी सुदृढ़ हो।
राज्यपाल ने कहा कि व्यावसायिक उत्पादन के अलावा जंगली मशरूम गुच्छी और कीड़ा-जड़ी मशरूम की ऐसी प्रजातियां हैं जिन पर शोध की आवश्यकता है। अगर गुच्छी और कीड़ा-जड़ी के उत्पादन वृद्धि होगी तो इसके अच्छे दाम मिल सकते हैं। उन्होंने किसानों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर मेले, सेमिनार, प्रशिक्षण और प्रदर्शनियां आयोजित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
राज्यपाल ने असम के अनुज, महाराष्ट्र के गणेश, ओडिशा के प्रकाश चंद, बिहार की रेखा कुमारी और केरल के शिजे को प्रगतिशील मशरूम उत्पादक पुरस्कार से सम्मानित किया।
इससे पूर्व मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन के निदेशक डॉ. वी.पी. शर्मा ने राज्यपाल का स्वागत किया और राष्ट्रीय मशरूम मेले, मशरूम उत्पादन और निदेशालय की उपलब्धियों से अवगत करवाया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के बागवानी उप-महानिदेशक डॉ. संजय कुमार सिंह ने कहा कि निदेशालय ने मशरूम की नई किस्में विकसित की हैं और कई दुर्लभ किस्मों की वैश्विक स्तर पर भी काफी मांग है। उन्होंने कहा कि आज मशरूम का बहुत बड़ा बाजार है और इस मांग को पूरा करने के लिए आधुनिक पद्धतियों के साथ अधिक उत्पादन किया जाना चाहिए।
डॉ. यशवंत सिंह परमार बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी, सोलन के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल भी कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से सफल उद्यमियों को विकसित करने में आईसीएआर-डीएमआर का बहुत बड़ा योगदान है।
इससे पूर्व, राज्यपाल ने विभिन्न उद्यमियों द्वारा मशरूम उत्पादन पर आधारित प्रदर्शनी का भी शुभारंभ किया। उन्होंने उद्यमियों से संवाद किया और उत्पादों में गहरी रूचि दिखाई।

Happy
0 0 %
Sad
0 0 %
Excited
0 0 %
Sleepy
0 0 %
Angry
0 0 %
Surprise
0 0 %
Exit mobile version