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कुल्लू के अटल सदन में हुआ क्रोएशियाई नाटक “द डॉल” का 28वां वर्ल्ड प्रीमियर 

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कुल्लू 18 सितंबर। 2024
हिमाचल प्रदेश के छः ज़िलों में 14 प्रदर्शनों का विधिवत समापन l
कुल्लू के छात्र छात्राओं, बुद्धिजीवियों, नागरिकों और कर्मचारियों के मानस पटल को तर्कसंगत प्रसंगो से झकझोरता नाटक “द डॉल”
दिनांक 18 सितंबर 2024 को भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश  व संकल्प रंगमंडल शिमला द्वारा भाषा एवं संस्कृति विभाग के अटल सदन कुल्लू के ऑडिटोरियम में क्रोएशियाई नाटक “द डॉल” का मंचन किया गया l यही मंचन दिनांक 17 व 18 सितंबर 2024 को दोपहर 2:00 बजे कुल्लू के महाविद्यालयों, नर्सिंग एवं अन्य संस्थानों के विद्यार्थियों व अध्यापकों के लिए विशेष प्रदर्शन किए गए तथा 18 सांय 5:30 बजे भी अटल सदन कुल्लू में कुल्लू के बुद्धिजीवियों, कलाकारों व कुल्लू की प्रबुद्ध जनता के लिए किया गया l
इस नाटक का मूल आलेख अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नाटककार मीरो गावरान ने लिखा है जबकि इसका नाट्य रूपानतरण  सौरभ श्रीवास्तव ने किया है l इस नाटक में मुख्य भूमिका में कोटखाई के पड़ारा गांव के रूपेश भीमटा ने निभाई है जबकि माया द डॉल की मुख्य भूमिका येशवी भारद्वाज ने निभाई और मुख्य धारा के व्यवसायिक रंगमंच में यह इनका पहला ही नाटक है जो पूर्णतया चुनौती पूर्ण है,संगीत रोहित कंवल ने दिया जबकि सेट डिजाइन दीपिका राय, रोहित सिंह परमार व ऋषि राय ने किया l मंच प्रबंधन राखी का था जबकि मंच के पीछे प्रचार प्रसार में अनुभवी अभिनेता नरेश के मिंचा का विशेष योगदान रहा l नाटक का निर्देशन प्रख्यात नाट्य निर्देशक एवं राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी के उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ युवा राष्ट्रीय अकादमी अवार्डी केदार ठाकुर ने किया l
भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में प्रदेश की अग्रणी सांस्कृतिक संस्था संकल्प रंगमंडल शिमला द्वारा विश्व प्रसिद्ध क्रोएशियाई नाटक “द डॉल” का 28वां वर्ल्ड प्रीमियर हिमाचल प्रदेश के छः ज़िलों के नवनिर्मित प्रेक्षागृहोँ तथा ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में किया जा चूका है l इसी कड़ी में यह आयोजन दिनांक 17-18 सितंबर 2024 को अटल सदन कुल्लू में सुनिश्चित किया गया था l इन्हीं प्रदर्शनों के साथ नाटक द डॉल के प्रदेश के छः ज़िलों के 14 प्रदर्शन सफलता पूर्वक संपन्न हुए l
समसामयिक विषय पर आधारित रोचक नाटक “द डॉल” का 28वां वर्ल्ड प्रीमियर करने का सौभाग्य क्रोएशियन नाटककार की अनुमति से हमें प्राप्त हुआ है l अटल सदन कुल्लू के अतिरिक्त दिनांक 18-19 जुलाई को ऐतिहासिक गेयटी थिएटर शिमला, 29 व 30 अगस्त 2024 को इसका प्रदर्शन सोलन के नवनिर्मित कोठों कला केंद्र में हुआ जबकि दिनांक 1 और 2 सितंबर 2024 को बिलासपुर के रौड़ा सेक्टर स्थित बहुउद्देशीय सांस्कृतिक परिसर व 5 सितंबर 2024 को ऐतिहासिक गेयटी थिएटर शिमला में चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादेमी द्वारा आयोजित “चंडीगढ़ थिएटर फेस्टिवल” में भी किया जा चूका है जबकि गौतम ग्रुप ऑफ़ कॉलेजस में यही मंचन दिनांक 11-12 सितंबर 2024,  दिनांक 13 सितंबर को गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक सुन्दर नगर मंडी,  15 सितंबर को संस्कृति सदन मंडी में किया जा चूका है l कुल्लू इस अभियान की अंतिम कड़ी था l
नाटक कि विषयवस्तु
रिश्ते कभी आसान नहीं रहे. हज़ारों साल पहले एक आदमी को एक औरत के बारे में जो बात भ्रमित करती थी, वह आज भी करती है। महिलाएं सदियों से पुरुषों के कुछ विशेष लक्षणों के बारे में शिकायत करती रही हैं। दुनिया ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी, जीव विज्ञान और चिकित्सा में विकास के मामले में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है लेकिन कोई भी तकनीक एक पुरुष और एक महिला के बीच के जटिल रिश्ते को हल नहीं कर सकती है।
 नवीनतम नाटक द डॉल एक आदमी और एक औरत के बीच इसी जटिल रिश्ते से संबंधित है।
क्रोएशियाई लेखक मिरो गाव्रान के प्रसिद्ध नाटक पर आधारित, द डॉल प्रकृति के इन दो अत्यंत महत्वपूर्ण घटकों के मनःस्थिति पर प्रकाश डालता है।
बहुपुरस्कार विजेता क्रोएशियाई नाटककार मिरो गावरन ने कनेक्शन की हमारी आवश्यकता की इस मार्मिक और चंचल खोज को लिखा है।
जब रुद्र की प्रेमिका 7 साल बाद उसे छोड़ देती है, तो वह अकेलेपन से उकता कर अपने साथी के रूप में आर्टिफिशल इंटेलीजेंस में बिलकुल नवीनतम – एक एंड्रॉइड डॉल का परीक्षण करने का मौका पाने के लिए साइनअप करता है। सुंदर, स्मार्ट और एक आदर्श सेक्स पार्टनर, डॉल एक आदर्श समाधान है! जिस क्षण से वह उसकी ज़िन्दगी में आती है l माया, द डॉल उसे सिखाती रहती है कि “कृत्रिम बुद्धि” (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) की अपार सुविधाओं के बावजूद भी मनुष्य एक  वास्तविक साथी के साथ न होने से जीवन में कितना अकेला है।
क्रोएशिया के प्रमुख नाटककारों में से एक की यह चंचल कॉमेडी हमें दिखाती है कि हमारे 21वीं सदी के गैजेट चाहे कितना भी आनंद और व्यवस्था प्रदान करें, कोई भी चीज़ वास्तव में मानव संचार की जगह नहीं ले सकती।
नाटक का सारांश
नाटक द डॉल एक 39 वर्षीय व्यक्ति की कहानी है जिसकी प्रेमिका छह साल के लिवइन रिश्ते के बाद उसे छोड़ देती है क्योंकि वह अपनी शादी और बच्चे के प्रति उसकी अनिच्छा के कारण उसे छोड़ देती है। अकेला रह जाने पर, वह अकेलापन सहन नहीं कर पाता और कुछ महीनों के बाद एक महिला एंड्राइड डॉल के साथ रहना शुरू कर देता है, जिसे आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से पुरुषों को खुश करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और एकदम नवीनतम एंड्रॉइड है। लेकिन एंड्रॉइड का निर्माण एक महिला वैज्ञानिक द्वारा किया गया था, जिसने एंड्रॉइड को पुरुष-महिला संबंधों पर अपने कुछ विचार दिए, ताकि इस अकेले आदमी और “डॉल” द्वारा झेली गई चंचल और हास्यसपद स्थितियों के माध्यम से, दर्शकों को सार दिखाई दे। महिलाओं के प्रति गलत व्यवहार और आज के पुरुषों द्वारा उनके बारे में गलत समझ एक “डॉल” के साथ रहते हुए, आदमी को धीरे-धीरे उन गलतियों का एहसास हुआ जिनके लिए उसकी प्रेमिका ने उसे छोड़ दिया था।
इस नाटक का पहला प्रीमियर जून 2012 में न्यूयॉर्क, यूएसए में स्टोरफ्रंट और बेंच प्रोडक्शंस में किया गया था। अंग्रेजी, जर्मन, पोलिश, चेक, स्लोवेनियाई, रूसी, स्लोवाक, डेनिश, डच, स्पेनिश और अल्बानियाई में अनुवादित।
यह नाटक संयुक्त राज्य अमेरिका, क्रोएशिया, स्लोवाकिया, चेक गणराज्य, स्लोवेनिया, डेनमार्क, क्यूबा, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया के 15 थिएटरों में प्रदर्शित किया गया है और अब ये भारत में भी हो रहा है जिसे उत्तर आधुनिक नाटक के शैली में किया जा रहा है l
गावरान के नाटकों की परिधि बहुत विस्तृत है। उनके कुछ  नाटकों में समकालीन समय के ऐसे विषय हैं जो पचास या सौ साल के पहले के नाटककारों मे नहीं हो सकते हैं। जैसे साइबार तकनीक के विकास के कारण हमारा समय़ पचास- साठ साल पहले की तुलना में काफी बदल गया है। रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इटेलीजेंस  (कृत्रिम बुद्धि) ने वैश्विक स्तर पर आम से लेकर विशिष्ट जनों के जीवन में ऐसा हस्तक्षेप किया है कि लोगों के समझ में नहीं आ रहा है कि आगे क्या  होगा या  क्या हो रहा है? ऐसे में कई आशंकाएं भी हैं, भय भी। पर साथ ही  कुछ ठोस परिस्थितियां भी हैं जिनका हमारी जटिल भावनाओं से एक पेचीदा रिश्ता बन रहा है।
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