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आत्मनिर्भर हिमाचल की दिशा में आगे बढ़ रही वर्तमान प्रदेश सरकार दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर विशेष बल दे रही है। हिमाचल प्रदेश दुग्ध प्रसंघ इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। दुग्ध प्रसंघ की चक्कर इकाई दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बन कर उभरी है। इकाई प्रदेश के बच्चों को पोषित करने के साथ ही लोगों तक ताजा दूध तथा सेना के जवानों को दुग्ध उत्पादों की आपूर्ति कर रही है।
50 हजार लीटर क्षमता के मिल्क प्लांट चक्कर से गाय के पैकेट बंद दूध की आपूर्ति मंडी व कुल्लू जिला में की जाती है। इसके अतिरिक्त दूध पाऊडर, देसी घी, मक्खन, दही, स्वादिष्ट दूध व पनीर का उत्पादन यहां स्थापित अत्याधुनिक संयंत्र में किया जाता है। यहां प्रतिदिन 700 किलोग्राम देसी घी, 200 किलो मक्खन, 700 किलो दही, एक हजार किलो पनीर तथा एक हजार बॉटल स्वादिष्ट दूध उत्पादित हो रहा है। फ्लेवर्ड मिल्क हल्दी, इलायची व स्ट्रॉबेरी के स्वाद में उपलब्ध है जबकि कॉफी स्वाद भी जल्द ही लॉच किया जा रहा है। मंडी के अलावा मनाली, कुल्लू, बिलासपुर, हमीरपुर, घुमारवीं में वितरकों व मिल्क बार के लिए यहां से दुग्ध उत्पाद भेजे जाते हैं। मंडी, पंडोह, नेरचौक, सुंदरनगर, बिलासपुर व हमीरपुर इत्यादि के लिए नए वितरक भी जोड़े जा रहे हैं, जिसके लिए इच्छुक व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं।
देसी घी का उत्पादन मंडी के चक्कर तथा रामपुर इकाई में ही होता है। चक्कर इकाई के तहत न्यूट्रिमिक्स, सेवईयां इत्यादि भी तैयार की जाती हैं। इनकी आपूर्ति प्रदेश के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों में की जाती है जिससे नौनिहालों की पोषण संबंधी आवश्यकताएं पूरी हो रही हैं। यह इकाई सेना के जवानों को भी दूध व इससे बने उत्पादों की आपूर्ति कर उनकी सेहत का ध्यान रखने में अपनी भूमिका निभा रही है। दीपावली व अन्य त्यौहारों के दौरान मिठाईयां भी तैयार की जाती हैं।
इकाई के तहत छह दुग्ध अभिशीतन केंद्र तांदी, बालीचौकी, कोटली, लम्बाथाच, कुन्नू, कटौला व कुल्लू जिला के मौहल में स्थापित किए गए हैं। 25 बल्क मिल्क प्रापण केंद्र भी स्थापित किए गए हैं। इकाई से 216 दुग्ध सहकारी समितियां जुड़ी हुई हैं। पंजीकृत इकाईयों के माध्यम से ही दूध प्रापण का कार्य किया जा रहा है। इन समितियों से 16 हजार से अधिक किसान परिवार सीधे तौर पर जुड़े हैं। प्रदेश सरकार द्वारा दूध के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी के बाद दूध प्रापण का आंकड़ा बढ़ा है। प्रतिदिन मिल्क प्लांट चक्कर में लगभग 80 हजार लीटर दूध की प्राप्ति हो रही है। गाय का दूध गुणवत्ता के अनुसार 41 से 45 रुपए प्रति लीटर तक बिकने से दुग्ध उत्पादक भी उत्साहित हैं।
सितंबर, 1972 में तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री फखरुद्दीन अली अहमद ने प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार की उपस्थिति में इस संयंत्र का उद्घाटन किया था। इंडो-जर्मन परियोजना के तहत स्थापित इस संयंत्र ने स्थापना के 52 वर्ष पूरे कर लिए हैं और दुग्ध उत्पादकों को आर्थिक तौर पर सशक्त कर उनके जीवन में खुशहाली लाने में निरंतर अग्रसर है।
प्लांट में समय के साथ आधुनिक तकनीकी का समावेश निरंतर होता रहा है। इस अर्द्ध-स्वचालित संयंत्र में दुग्ध उत्पादों की शुद्धता एवं स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है। उत्पादन के दौरान मानव सम्पर्क कम से कम हो, इसके लिए अधिकांश कार्य स्वचालित मशीनों के माध्यम से ही किया जाता है। डी-एयरेशन, हानिकारक बैक्टीरिया व सूक्ष्म जीवों को नष्ट करने के लिए पेस्चुराइजेशन, वसा की मात्रा नियंत्रित करने को होमोजेनाइजेशन तथा दुर्गंध इत्यादि दूर करने के लिए डी-ऑर्डराइजर जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाता है। पैकिंग का अधिकतर कार्य भी स्वचालित ही है।
यहां दूध की गुणवत्ता जांचने के लिए उच्च स्तरीय प्रयोगशाला स्थापित है। उत्पादन में प्रयुक्त बर्तनों व अन्य सामान की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। अपशिष्ट युक्त पानी को उपचारित कर पुनः उपयोग योग्य बनाने के लिए भी व्यवस्था की गई है।