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डल और खजियार झील के पुनरुद्धार के लिए बुलाए गए झील संरक्षक और भू-वैज्ञानिक

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धर्मशाला के नड्डी स्थित डल झील में हो रहे रिसाव को रोकने और झील के पुनरुद्धार एवं कायाकल्प के लिए उप-मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने आज यहां जल शक्ति, पर्यटन और वन विभाग के अधिकारियों के साथ मैराथन बैठक की। उन्होंने अधिकारियों से मौके की रिपोर्ट ली और उन्हें झील के संरक्षण के लिए दिशा-निर्देश भी दिए।
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि लाखों लोगों की धार्मिक आस्था व पर्यटन का केंद्र और छोटा मणिमहेश के नाम से विख्यात डल झील के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार पूरी तरह गंभीर है और इसका जल्द पुनरुद्धार कार्य आरम्भ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी और उसके बाद तुरंत पुनरुद्धार का काम शुरू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि डल झील में रिसाव को रोकने के लिए जिला कांगड़ा के उपायुक्त हेमराज बैरवा भारत के लेकमैन के नाम से विख्यात आनंद मल्लिगावड के संपर्क में हैं। इसके अलावा भू-वैज्ञानिकों को भी विशेषज्ञ राय के लिए बुलाया गया है।
आनंद मल्लिगावड बेहद कम लागत से प्रकृति के अनुकूल प्रभावी तकनीकों का स्वयं विकास करके कई झीलों का कायाकल्प कर चुके हैं। इसके अतिरिक्त अन्य पर्यावरणविदों के साथ भी संपर्क किया गया है।
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा भी हर स्थिति पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा 2004-05 से अब तक समुद्र तल से 1,775 मीटर की ऊंचाई पर स्थित डल झील के पुनरुद्धार पर करीब 31 लाख रुपये खर्च किए गए हैं जबकि करोड़ों रुपये खर्च होने की भ्रामक खबरें प्रकाशित कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है।
केवल सिंह पठानिया ने कहा कि इसके साथ ही खजियार झील के कायाकल्प के लिए भी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार धार्मिक और अध्यात्मिक महत्व के स्थलों के संरक्षण लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने प्रदेश की जनता को संदेश देते हुए कहा कि डल झील के वास्तविक सौंदर्य को जल्द निखारा जाएगा और लोगों की आस्था का यह केंद्र जल्द नए स्वरूप में दिखेगा।
बैठक में निदेशक पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विवेक भाटिया, डीएफओ धर्मशाला दिनेश शर्मा, संयुक्त सचिव जीएडी एवं वन प्रवीन कुमार टाक और रेंज फॉरेस्ट ऑफिसर सुमित शर्मा उपस्थित थे।

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