मुख्य संसदीय सचिव सुन्दर सिंह ठाकुर ने अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के अवसर पर कुल्लू जिला में ‘एम्बेसडर मीट’ आयोजित करने की राज्य सरकार की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य के इतिहास में यह पहली बार है कि छः देशों के राजदूत इस उत्सव में भाग ले रहे हैं। इनमें इंडोनेशिया, उज्बेकिस्तान, म्यांमार, रूस, अमरीका और किर्गिस्तान के राजदूत शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस आयोजन से कुल्लू दशहरा को नए आयाम मिलेंगे और विश्वभर में इसकी ख्याति और बढ़ेगी। इस आयोजन से हिमाचल प्रदेश के रीति-रिवाजों और परम्पराओं को वैश्विक स्तर पर लोगों को और अधिक जानने व समझने का अवसर प्राप्त होगा।
उन्होंने कहा कि थाइलैंड और उज्बेकिस्तान के कारीगरों को भी प्रसिद्ध कुल्लू दशहरा उत्सव के धार्मिक और सांस्कृतिक समागम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। इससे उत्सव के बहुआयामी पहलुओं से भी सभी को रू-ब-रू होने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि कुल्लू दशहरे का इतिहास 17वीं शताब्दी से भी पूर्व का है। इसमें कुल्लू घाटी के मुख्य देवता भगवान श्री रघुनाथ जी का रथ विजय दशमी के पहले दिन हजारों श्रद्धालुओं द्वारा सुल्तानपुर के ऐतिहासिक मंदिर से बाहर निकाला जाता है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष इस भव्य आयोजन में 332 स्थानीय देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों के राजदूत निश्चित रूप से इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन की सुनहरी यादें अपने साथ ले जाएंगे और ‘पहाड़ी’ व्यंजनों का आनंद लेने के अलावा हिमाचल प्रदेश की समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और रीति-रिवाजों की मनमोहक झलक भी देखेंगे।
मुख्य संसदीय सचिव ने इस भव्य कार्यक्रम और एम्बेसडर मीट के आयोजन के लिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आभार व्यक्त किया और कहा कि मुख्यमंत्री राजदूतों की बैठक को संबोधित करेंगे और राज्य की विकास यात्रा के अलावा पहाड़ी लोगों के जीवन में राज्य के मेलों और त्योहारों के महत्व को भी साझा करेंगे।
मुख्य संसदीय सचिव ने अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा पर ‘एम्बेसडर मीट’ आयोजित करने के राज्य सरकार के निर्णय को सराहा
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