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डीसी ने किया मिशन तृप्ति का शुभारंभ

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गर्भधारण से लेकर 2 वर्ष की आयु तक बच्चे के पोषण का रखा जाएगा पूरा ध्यान

धर्मशाला, 15 जनवरी। उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा ने आज बुधवार को जिलाधीष कार्यालय भवन से मिशन तृप्ति का शुभारंभ किया। जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त त्तवाधान में चलने वाले इस अभियान में गर्भधारण से दो वर्ष की आयु तक शिशु के पोषण का पूरा ध्यान रखा जाएगा। अभियान की शुरूआत करते हुए उपायुक्त हेमराज बैरवा ने बताया कि जिला प्रशासन कांगड़ा द्वारा महिला एवं बाल विकास के अंतर्गत ‘मिशन तृप्ति’ एक नई पहल की गई है। उन्होंने शिशु के जन्म से लेकर पहले 1000 दिनों पर विशेष ध्यान देते हुए कहा कि शिशु के जन्म से 2 वर्ष की आयु तक शिषु की मानसिक, बौद्धिक, सृजनात्मक एवं शारीरिक विकास तीव्रता से होता है जिसके मद्देनजर मिशन तृप्ति की शुरुआत जिला कांगड़ा में की जा रही है।
उन्होंने कहा कि जन्म के बाद दो वर्ष की आयु तक बच्चों को आहार में क्या और कैसे दिया जाए इसकी जानकारी अधिकत्म लोगों को नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव से ही शिशुओं को सही आहार नहीं मिल पाता और वे आगे चलकर कुपोषण का शिकार होते हैं। उन्होंने कहा कि दो वर्ष की आयु तक बच्चों का पोषण किस प्रकार हो और उन्हें वे आहार सही समय पर मिले, इसके लिए ही मिशन तृप्ति की शुरूआत की गई है। उन्होंने बताया कि इस मिशन के अंतर्गत आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा वर्कर्स, सामाजिक संस्थाआंे और पंचायतों के सहयोग से शिशुओं को दिए जाने वाले पूर्ण आहार की मॉनिटरिंग सुनिश्चित की जाएगी और परिवार वालों को जागरूक किया जाएगा।
नवजात शिशु के लिए स्तनपान अमृत समान, छः माह बाद कॉम्प्लिमेंटरी फीडिंग बेहद जरूरी
उपायुक्त ने बताया कि नवजात शिशु को जन्म के एक घण्टे के भीतर स्तनपान अमृत समान है। उन्होंने कहा कि मां के दूध में वे सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो शिशु को चाहिए, इसलिए पहले छः महीने शिशु को केवल मां का दूध ही देना चाहिए। इस दौरान शिशु को शारीरिक वृद्धि एवं विकास के लिए जरूरी पोषक तत्व और एंटीबॉडी स्तनपान द्वारा मां के दूध से मिलते हैं। वहीं मां का दूध संक्रमण से भी शिशु का बचाव करता है। उन्होंने बताया कि छः माह की आयु के बाद शिशु के लिए मिशन तृप्ति के तहत कॉम्प्लिमेंटरी फीडिंग व न्यूट्रिशन पर विशेष बल दिया गया है। उन्होंने बताया कि अभियान में कॉम्प्लिमेंटरी फीडिंग की अवधारणा को विशेष तौर पर सम्मिलित किया गया है, जिसके तहत शुरूआती दौर में ही कुपोषण की रोकथाम पर मुहर लगाई जा सके।
चार शिशुओं से की ‘मेरी कटोरी’ अभियान की शुरूआत
हेमराज बैरवा ने बताया कि ‘मेरी कटोरी’ मिशन तृप्ति का ही एक घटक है। उन्होंने बताया कि बहुत बार ऐसा होता है कि परिवार के सदस्य बच्चे को अपने साथ कुछ-कुछ खिलाते रहते हैं। जिससे यह पता नहीं चल पाता कि शिशु ने कितना खाया और क्या-क्या खाया। उन्होंने कहा कि बच्चों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त खाना और पोषण मिले इसके लिए उनकी अलग कटोरी होना जरूरी है। जिससे उसके घर वाले यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि उसने कितना भोजन प्राप्त किया। इसी पहल के अंतर्गत उपायुक्त ने आज चार बच्चों को ‘मेरी कटोरी’ के तहत खाने की कटोरी और गिलास दिया। इसके साथ ही छः माह की आयु पूर्ण करने वाले एक बच्चे का अन्नप्राशन संस्कार भी उपायुक्त कार्यालय में किया।
बच्चों को भूलकर भी न दें प्रोसेस्ड और जंक फूड
उन्होंने बताया कि मिशन तृप्ति के तहत लोगों को यह भी जागरूक किया जाएगा कि वे बच्चों को भूलकर भी जंक या प्रोसेस्ड फूड न दें। उन्होंने कहा कि बच्चों की जिद के चलते या कई बार लाड़-प्यार में हम उन्हें बाजार में मिलने वाला प्रोसेस्ड फूड (पहले से निर्मित डिब्बा बंद खाद्य और पेय पदार्थ) या जंक फूड (बाहर का खाना) दे देते हैं। उन्होंने कहा कि इस सबका जो प्रतिकूल प्रभाव बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, उसको हम आजीवन दूर नहीं कर सकते। इसलिए इन सब चिज्जों से बच्चों को बिलकुल दूर रखते हुए उन्हें केवल प्राकृतिक फूड या घर में बनी चीजें ही दें।
यह रहे उपस्थित
इस दौरान जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक कुमार शर्मा ने जन कल्याण की इस योजना को जनमानस तक पहुंचाने की सभी से अपील की। कार्यक्रम में अतिरिक्त उपायुक्त विनय कुमार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश गुलेरी सहित जिले के सभी खण्ड चिकित्सा अधिकारी व महिला एवं बाल विकास विभाग से बाल विकास परियोजना अधिकारी सहित पर्यवेक्षक उपस्थित रहे।

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