0 0 lang="en-US"> घट रही हैं तितलियां और भंवरे, अगर ये नहीं होंगे तो पड़ सकते हैं खाने के लाले - ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क
Site icon ग्रेटवे न्यूज नेटवर्क

घट रही हैं तितलियां और भंवरे, अगर ये नहीं होंगे तो पड़ सकते हैं खाने के लाले

Spread the Message
Read Time:4 Minute, 39 Second

घट रही हैं तितलियां और भंवरे, अगर ये नहीं होंगे तो पड़ सकते हैं खाने के लाले।दिल्ली-NCR में तितलियों की 67 प्रजातियों पर पिछले 5 साल का अध्ययन कहता है कि तितलियों की संख्या लगातार कम हो रही है. 2017 में जहां 75 प्रजातियों की तितलियां थीं, 2022 में उनकी संख्या 76 पर आ गई हैं।General Knowledge : खेत और फूलों पर मंडराते भंवरे, तितलियां और मधुमक्खियों को देखे आपको कितना समय हो गया? क्या यह नजारा अब पहले जैसा है? शायद नहीं, क्योंकि आजकल खेतों में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशकों की वजह से इनकी संख्या कम होती जा रही है. क्या आप जानते हैं कि इन नन्हे जीवों के खत्म हो जाने से इंसानी जीवन पर या दुनिया पर इसका कितना खौफनाक प्रभाव पड़ेगा?

एक रिपोर्ट के मुताबिक तितलियां कम हो रही हैं. दिल्ली-NCR में तितलियों की 67 प्रजातियों पर पिछले पांच साल का अध्ययन कहता है कि तितलियों की संख्या लगातार कम हो रही है. 2017 में जहां 75 प्रजातियों की तितलियां थीं, 2022 में उनकी संख्या 76 पर आ गई हैं. ऐसे में इनसे होने वाले नुकसान को जरा समझते हैं.

इनका संरक्षण है बेहद जरूरी

बरेली कॉलेज में बॉटनी के विभागाध्यक्ष व एसोसिएट प्रोफेसर आलोक खरे बताते हैं कि तितली और मधुमक्खियों का संरक्षण बेहद जरूरी है. भोजन देने वाले करीब छह हजार पौधे होते हैं, लेकिन दुनिया में महज 12 मुख्य पौधों पर ही खेतीबाड़ी निर्भर हो चुकी है जैसे धान, गेहूं, गन्ना आदि. खेतीबाड़ी के क्षेत्र में ये कीट मुख्य भूमिका निभाते हैं. ऐसे में इनके न होने का दुनिया पर बहुत बुरा प्रभाव देखने को मिलेगा.

कृषि होगी बुरी तरह प्रभावित

विश्व की 70 फीसदी कृषि कीट-पतंगों पर निर्भर होती है. आप यह मान सकते हैं कि 100 में से 70 खाद्य पदार्थ में मधुमक्खियों या इन अन्य कीटों का हस्तक्षेप रहता है. मधुमक्खी जब किसी एक फूल पर बैठती है तो उसके पैरों और पंखों पर पराग कण चिपक जाते हैं, फिर जब यह किसी दूसरे पौधे पर बैठती है, तब यह पराग कण उस पौधे में जाकर उसे निषेचित कर देते हैं इससे फल और बीज बनते हैं. इसी प्रकार तितली भी परागण की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती है. मधुमक्खी कुछ पौधों पर नहीं बैठती है जबकि तितली लगभग सभी पौधों पर बैठती है. ऐसे में भविष्य में अगर ये जीव नही हुए तो इसका मानव जीवन सीधा सीधा कुप्रभाव पड़ने वाला है.

आहार श्रंखला पर भी पड़ेगा असर

इन जीवों के न होने से आहार श्रंखला (Food Chain) भी बिगड़ जाएगी. जैसे कि तितली को मेंढक खाता है, मेंढक को सांप. इसी प्रकार पूरी खाद्य श्रंखला संतुलन में रहती है. ऐसे में अगर ये कीट नही बचे तो आहार श्रंखला पर बुरा असर पड़ेगा.

जैव विविधता जरूरी

पृथ्वी पर जैव विविधता का बना रहना बेहद जरूरी है. ग्लोबल वार्मिग (Global Warming) का खतरा बढ़ रहा है और वातावरण में तेजी से बदलाव हो रहा है. कहीं बिन-मौसम बरसात हो रही है तो कही धूप कहीं सर्दी. ऐसे वातावरण में इस तरह के परिर्वतन की वजह से दूसरी फसले पैदा करने में चुनौती आएगी. ऐसे में जैव विविधता का बना रहना बेहद जरूरी हो गया है.

किसानों का मुख्य रोल

जैव विविधिता संरक्षण में किसान अहम भूमिका निभा सकते हैं. कीटनाशक के ज्यादा उपयोग से बचा करें और परंपरागत फसलों से अलग दूसरी फसलें भी उगाया करें.

http://dhunt.in/CG5yq?s=a&uu=0x5f088b84e733753e&ss=pd Source : “ABP न्यूज़”

Happy
0 0 %
Sad
0 0 %
Excited
0 0 %
Sleepy
0 0 %
Angry
0 0 %
Surprise
0 0 %
Exit mobile version